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: घरेलू नुस्खे

पपीते के पत्तो की चाय किसी भी स्टेज के कैंसर को सिर्फ 60 से 90 दिनों में कर देगी जड़ से खत्म,

पपीते के पत्ते 3rd और 4th स्टेज के कैंसर को सिर्फ 35 से 90 दिन में सही कर सकते हैं।

अभी तक हम लोगों ने सिर्फ पपीते के पत्तों को बहुत ही सीमित तरीके से उपयोग किया होगा, बहरहाल प्लेटलेट्स के कम हो जाने पर या त्वचा सम्बन्धी या कोई और छोटा मोटा प्रयोग, मगर आज जो हम आपको बताने जा रहें हैं, ये वाकई आपको चौंका देगा, आप सिर्फ 5 हफ्तों में कैंसर जैसी भयंकर रोग को जड़ से ख़त्म कर सकते हैं।

ये प्रकृति की शक्ति है और बलबीर सिंह शेखावत जी की स्टडी है जो वर्तमान में as a Govt. Pharmacist अपनी सेवाएँ सीकर जिले में दे रहें हैं।

आपके लिए नित नवीन जानकारी कई प्रकार के वैज्ञानिक शोधों से पता लगा है कि पपीता के सभी भागों जैसे फल, तना, बीज, पत्तिया, जड़ सभी के अन्दर कैंसर की कोशिका को नष्ट करने और उसके वृद्धि को रोकने की क्षमता पाई जाती है।

विशेषकर पपीता की पत्तियों के अन्दर कैंसर की कोशिका को नष्ट करने और उसकी वृद्धि को रोकने का गुण अत्याधिक पाया जाता है। तो आइये जानते हैं उन्ही से।

University of florida ( 2010) और International doctors and researchers from US and japan में हुए शोधो से पता चला है की पपीता के पत्तो में कैंसर कोशिका को नष्ट करने की क्षमता पाई जाती है।

Nam Dang MD, Phd जो कि एक शोधकर्ता है, के अनुसार पपीता की पत्तियां डायरेक्ट कैंसर को खत्म कर सकती है, उनके अनुसार पपीता कि पत्तिया लगभग 10 प्रकार के कैंसर को खत्म कर सकती है जिनमे मुख्य है।

breast cancer, lung cancer, liver cancer, pancreatic cancer, cervix cancer, इसमें जितनी ज्यादा मात्रा पपीता के पत्तियों की बढ़ाई गयी है, उतना ही अच्छा परिणाम मिला है, अगर पपीता की पत्तिया कैंसर को खत्म नहीं कर सकती है लेकिन कैंसर की प्रोग्रेस को जरुर रोक देती है।।

तो आइये जाने पपीता की पत्तिया कैंसर को कैसे खत्म करती है?

  1. पपीता कैंसर रोधी अणु Th1 cytokines की उत्पादन को ब़ढाता है जो की इम्यून system को शक्ति प्रदान करता है जिससे कैंसर कोशिका को खत्म किया जाता है।
  2. पपीता की पत्तियों में papain नमक एक प्रोटीन को तोड़ने (proteolytic) वाला एंजाइम पाया जाता है जो कैंसर कोशिका पर मौजूद प्रोटीन के आवरण को तोड़ देता है जिससे कैंसर कोशिका शरीर में बचा रहना मुश्किल हो जाता है।
    Papain blood में जाकर macrophages को उतेजित करता है जो immune system को उतेजित करके कैंसर कोशिका को नष्ट करना शुरू करती है, chemotheraphy / radiotheraphy और पपीता की पत्तियों के द्वारा ट्रीटमेंट में ये फर्क है कि chemotheraphy में immune system को दबाया जाता है जबकि पपीता immune system को उतेजित करता है, chemotheraphy और radiotheraphy में नार्मल कोशिका भी प्रभावित होती है पपीता सोर्फ़ कैंसर कोशिका को नष्ट करता है।

सबसे बड़ी बात के कैंसर के इलाज में पपीता का कोई side effect भी नहीं है।।

कैंसर में पपीते के सेवन की विधि :
कैंसर में सबसे बढ़िया है पपीते की चाय। दिन में 3 से 4 बार पपीते की चाय बनायें, ये आपके लिए बहुत फायदेमंद होने वाली है। अब आइये जाने लेते हैं पपीते की चाय बनाने की विधि।

  1. 5 से 7 पपीता के पत्तो को पहले धूप में अच्छी तरह सुखा ले फिर उसको छोटे छोटे टुकड़ों में तोड़ लो आप 500 ml पानी में कुछ पपीता के सूखे हुए पत्ते डाल कर अच्छी तरह उबालें।
    इतना उबाले के ये आधा रह जाए। इसको आप 125 ml करके दिन में दो बार पिए। और अगर ज्यादा बनाया है तो इसको आप दिन में 3 से 4 बार पियें। बाकी बचे हुए लिक्विड को फ्रीज में स्टोर का दे जरुरत पड़ने पर इस्तेमाल कर ले। और ध्यान रहे के इसको दोबारा गर्म मत करें।
  2. पपीते के 7 ताज़े पत्ते लें इनको अच्छे से हाथ से मसल लें। अभी इसको 1 Liter पानी में डालकर उबालें, जब यह 250 ml। रह जाए तो इसको छान कर 125 ml. करके दो बार में अर्थात सुबह और शाम को पी लें। यही प्रयोग आप दिन में 3 से 4 बार भी कर सकते हैं।

पपीते के पत्तों का जितना अधिक प्रयोग आप करेंगे उतना ही जल्दी आपको असर मिलेगा। और ये चाय पीने के आधे से एक घंटे तक आपको कुछ भी खाना पीना नहीं है।

कब तक करें ये प्रयोग वैसे तो ये प्रयोग आपको 5 हफ़्तों में अपना रिजल्ट दिखा देगा, फिर भी हम आपको इसे 3 महीने तक इस्तेमाल करने का निर्देश देंगे। और ये जिन लोगों का अनुभूत किया है उन लोगों ने उन लोगों को भी सही किया है, जिनकी कैंसर में तीसरी और चौथी स्टेज थी. चलिए जानते है खाना पकाने और खाने के लिए कौन सी धातु के बर्तन फायदेमंद है और नुकसानदेह है!

आहार का चुनाव हम अपने स्वास्थ को ध्यान में रख कर करते हैं, ताकि खाना शरीर में जाने के बाद हमे ऊर्जा प्रदान करे, शरीर स्वस्थ रहे और शरीर का संतुलन बना रहे.

जिस तरह खाने के अंदर पोषक तत्व रहते हैं, वैसे ही खाने के लिए जो पात्र उपयोग में लाते है, उसके भी फायदे और नुक्सान को ध्यान में रखना चाहिए.

इसलिए सही भोजन के साथ सही धातु के बर्तन का चुनाव भी जरूरी होता है, ताकि खाने के गुणों में वृद्धि हो और हमारा शरीर रोगों से दूर रहे.

आप भोजन पकाने और परोसने के लिए कई तरह के पात्र का प्रयोग करते होंगे लेकिन आपको उन पात्रों में गुणों का पता है क्या ?

क्या आप जानते है कि किस धातु के बर्तन में खाना खाने से क्या फायदा और क्या नुक्सान होता है?

तो आइये जानते है कौन सी धातु के बर्तन में भोजन करने से क्या क्या लाभ और हानि होती है.

मिट्टी

मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं , जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते हैं । इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से शरीर के कई तरह के रोग ठीक होते हैं । आयुर्वेद के अनुसार , अगर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरे – धीरे ही पकना चाहिए । भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने में वक़्त थोड़ा ज्यादा लगता है , लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है । दूध और दूध से बने उत्पादों के लिए सबसे उपयुक्त हैं मिट्टी के बर्तन । मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पूरे १०० प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं । और यदि मिट्टी के बर्तन में खाना खाया जाए तो उसका अलग से स्वाद भी आता है ।

(अर्थव्यवस्था को बनाये रखने हेतु सर्वोत्तम है मिट्टी के बर्तन का उपयोग करना इससे लाखो कुम्हार परिवार को नियमित रोजगार मिल सकता है हमे और आपको स्वस्थ स्वास्थ्य)

सोना

सोना एक महँगी धातु है. सोना लाल, सफ़ेद, और पीले रंग में उपलब्ध होता है. लेकिन भारत में सबसे ज्यादा पीला सोना प्रयोग में लाया जाता है. सोने के बर्तन में पहले के राजा महाराजा भोजन करते थे. सोना एक गर्म धातु है. सोने से बने पात्र में भोजन बनाने और करने से शरीर के आन्तरिक और बाहरी दोनों हिस्से कठोर, बलवान, ताकतवर और मजबूत बनते है. और साथ साथ सोना आँखों की रौशनी बढ़ता है – आँखों को तेज करता है.व मानसिक रोगों से बचाता है

चाँदी

सोने के बाद चाँदी की धातु मूल्य में दुसरे नंबर पर होती है. चाँदी एक ठंडी धातु है, जो शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचाती है. शरीर को शांत रखती है. इसके पात्र में भोजन बनाने और करने के कई फायदे होते हैं, जैसे दिमाग तेज होता है, आँखों स्वस्थ रहती है, आँखों की रौशनी बढती है और इसके अलावा पित्तदोष , कफ और वायुदोष को नियंत्रित रहता है.

(मेरे स्मरणानुसार शादी में गरीब से गरीब परिवार चाँदी का एक कटोरा या कटोरी जरूर देते हैं कारण गर्भावस्था में चाँदी के बर्तन में दही खाना गर्भवस्था में अत्यधिक स्वास्थ्यवर्धक होता है)

कांस

चाँदी के बाद काँसे के बर्तन का मूल्य आता है. यह चाँदी से थोड़ी सस्ती होती है और इसके बर्तन का प्रयोग माध्यम वर्गीय परिवार में अधिक होता है. खास कर गाँव में मेहमान नवाजी के लिए इन्हीं से बने पात्र में भोजन परोसा जाता है. इसके बने पात्र में खाना खाने से बुद्धि तेज होती है, रक्त में शुद्धता आती है, रक्तपित शांत रहता है और भूख बढ़ाती है. लेकिन कांस्य में खट्टी चीजे नहीं परोसना चाहिए खट्टी चीजे इस धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती है जो नुकसान देती है. (अर्थव्यवस्था को बनाये रखने हेतु सर्वोत्तम है कांसा के बर्तन का उपयोग करना इससे लाखो ठठेरे परिवार को नियमित रोजगार मिल सकता है हमे और आपको स्वस्थ स्वास्थ्य)

तांबा

कांस के बर्तन के बाद तांबे के बने बर्तन का प्रयोग होता है. तांबा के बने बर्तन का हर घर में पूजा पाठ में भी प्रयोग लाया जाता है. इस पात्र का पानी रोग मुक्त बनाता है, रक्त शुद्ध करता है, स्मरण-शक्ति अच्छी रखता है, लीवर संबंधी समस्या दूर करता है, तांबे का पानी शरीर के विषैले तत्वों को खत्म कर देता है इसलिए इस पात्र में रखा पानी स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है. तांबे के बर्तन में दूध नहीं पीना चाहिए इससे शरीर को नुकसान होता है.

पीतल

अनेक घरों में पीतल के बर्तन का भी उपयोग होता है. यह सामान्य कीमत की धातु है. इसमें भोजन पकाने और करने से कृमि रोग, कफ और वायुदोष की बिमारी नहीं होती.

(सभी पर्व त्यौहार में कम से कम भोग लगाने हेतु आज भी इसी पात्र में प्रसाद तैयार किये जाते हैं)

लोहा

लगभग हर घर में लोहे के बर्तन का प्रयोग भी होता है. इसमें बने भोजन खाने से शरीर की शक्ति बढती है, इसमें लोह्तत्व शरीर में जरूरी पोषक तत्वों को बढ़ता है. लोहा कई रोग को खत्म करता है , पांडू रोग मिटाता है, शरीर में सूजन और पीलापन नहीं आने देता, कामला रोग को खत्म करता है, और पीलिया रोग को दूर रखता है. लेकिन लोहे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें खाना खाने से बुद्धि कम होती है और दिमाग का नाश होता है. इसके पात्र में दूध पीना अच्छा होता है.

(पहले के शादी व्याह व अन्य सामाजिक कार्यक्रमो में इसी के बड़े बड़े पात्र में चावल,दाल, सब्जी बनाये जाते थे साथ ही पानी पिलाने हेतु भी इसी के बने बड़े गंगोल में रखा जाता था मेरे यादनुसार जो आज खत्म हो चुका है आधुनिकता के कारण इसी लिए आज के समारोह के भोजन को ग्रहण कर अस्वस्थ भी हो रहे हैं)

स्टील

वर्तमान समय में स्टील के बर्तन का उपयोग कुछ ज्यादा होता है. यह बहुत सुरक्षित और किफायती होता है. स्टील के बर्तन नुक्शान्देह नहीं होते क्योंकि ये ना ही गर्म से क्रिया करते है और ना ही अम्ल से. इसलिए नुक्सान नहीं होता है. इसमें खाना बनाने और खाने से शरीर को कोई फायदा नहीं पहुँचता तो नुक्सान भी नहीं पहुँचता.

एलुमिनियम

एल्युमिनिय बोक्साईट का बना होता है. इसमें बने खाने से शरीर को सिर्फ नुक्सान होता है. यह आयरन और कैल्शियम को सोखता है इसलिए इससे बने पात्र का उपयोग नहीं करना चाहिए. इससे हड्डियां कमजोर होती है , मानसिक बीमारियाँ होती है, लिवर और नर्वस सिस्टम को क्षति पहुंचती है. उसके साथ साथ किडनी फेल होना, टी बी, अस्थमा, दमा, बात रोग, शुगर जैसी गंभीर बीमारियाँ होती है. इन बीमारियों का जड़ से इलाज नहीं हो पाता. इसलिए अंग्रेज जेल के कैदी को इसमें खाना परोसा करते थे.

इन सब बर्तनों में खाना पकाने और खाने से कुछ फायदे और कुछ नुकसान होते हैं, जिससे हमारे स्वास्थ्य पर असर पड़ता है.

इसलिए इन सारी बातों को ध्यान में रखकर खाना पकाने और खाने के लिए सही बर्तनों को चुनिए.

मेरे स्मरणानुसार शादी में गरीब से गरीब परिवार भी अपनी बेटियों को एक एक सेट बर्तन फूल(कांसा) व पीतल के जरूर देते थे

(आज भी सभी पूजा पाठ शादी हो या श्राद्ध या अन्य कोई भी यज्ञ हवन कीर्तन भजन कथा में अन्न से बने पकवान प्रसाद हेतु मिट्टी के पात्र में ही बनते व रखे जाते हैं) (क्यों क्योंकि मिट्टी ही सबसे पवित्र होती है आज भी जगन्नाथ पुरी में मिट्टी के पात्र में बने प्रसाद से ही भोग लगता है ऐसा नहीं कि जगन्नाथ पुरी सोने या पीतल के पात्र वहन नहीं कर सकते)

निरोगी रहने हेतु महामन्त्र

• भोजन व पानी के सेवन प्राकृतिक नियमानुसार करें

• ‎रिफाइन्ड नमक,रिफाइन्ड तेल,रिफाइन्ड शक्कर (चीनी) व रिफाइन्ड आटा ( मैदा ) का सेवन न करें

• ‎विकारों को पनपने न दें (काम,क्रोध, लोभ,मोह,इर्ष्या,)

• ‎वेगो को न रोकें ( मल,मुत्र,प्यास,जंभाई, हंसी,अश्रु,वीर्य,अपानवायु, भूख,छींक,डकार,वमन,नींद,)

• ‎एल्मुनियम बर्तन का उपयोग न करें ( मिट्टी के सर्वोत्तम)

• ‎मोटे अनाज व छिलके वाली दालों का अत्यद्धिक सेवन करें

• ‎भगवान में श्रद्धा व विश्वास रखें

वन्देमातरम
* गरम नारियल पानी प्लीज, प्लीज फॉरवर्ड: *
TATA मेमोरियल हॉस्पिटल के डॉ। राजेन्द्र ए। बडवे ने जोर देकर कहा कि यदि * जो हर कोई इस समाचार पत्र को प्राप्त करता है, वह दस प्रतियों को दूसरों को अग्रेषित कर सकता है, तो निश्चित रूप से कम से कम एक जीवन वापस बच जाएगा … * मैंने पहले ही अपना हिस्सा बना लिया है, आशा है कि आप भी कर सकते हैं। अपने हिस्से के साथ मदद करें। धन्यवाद!

  • गर्म नारियल पानी आपको जीवन भर बचा सकता है *
  • गर्म नारियल ~ केवल कैंसर कोशिकाओं को मारता है! *
  • एक कप में 2 से 3 पतले नारियल के फाक काटें, गर्म पानी डालें, यह “क्षारीय पानी” बन जाएगा, हर दिन पिएं, यह किसी के लिए भी अच्छा है। *
  • गर्म नारियल पानी एक कैंसर-रोधी पदार्थ छोड़ता है, जो चिकित्सा क्षेत्र में कैंसर के प्रभावी उपचार में नवीनतम प्रगति है। * गर्म नारियल के रस का अल्सर और ट्यूमर पर प्रभाव पड़ता है। सभी प्रकार के कैंसर को रोकने के लिए साबित। *
  • नारियल के अर्क के साथ इस प्रकार का उपचार केवल घातक कोशिकाओं को नष्ट करता है, यह स्वस्थ कोशिकाओं को प्रभावित नहीं करता है। * इसके अलावा, नारियल के रस में अमीनो एसिड और नारियल पॉलीफेनोल * उच्च रक्तचाप को नियंत्रित कर सकते हैं, प्रभावी रूप से गहरी शिरा घनास्त्रता को रोक सकते हैं, रक्त परिसंचरण को समायोजित कर सकते हैं और रक्त के थक्कों को कम कर सकते हैं। * पढ़ने के बाद, * दूसरों को बताएं, परिवार, दोस्तों, प्यार फैलाएं! * खुद की सेहत का ख्याल रखें। 🙏🏻💖
    : खून की खराबी दूर करने के घरेलु आयुर्वेदिक उपाय

रक्त विकार अर्थात खून में दूषित द्रव्य बनना। खून में दूषित द्रव्य बनने के कई कारण होते हैं। सूक्ष्म कीटाणु फैलने के कारण यह रोग होता है। जब किसी रोगी का खून दूषित हो जाता है तो फुंसियां हो जाती हैं, किसी को फोड़े निकल आते हैं, किसी को ऐसे फोड़े हो जाते हैं जो किसी साधारण दवा से ठीक ही नहीं होता। इस तरह विभिन्न कारणों से उत्पन्न रक्त विकार को दूर करने के लिए घरेलू आयुर्वेदिक औषधि का प्रयोग करने से लाभ होता है।

विभिन्न औषधियों से उपचार:

दो तोला काली द्राक्ष (मुनक्के) को 20 तोला पानी में रात्रि को भिगोकर सुबह उसे मसलकर 1 से 5 ग्राम त्रिफला के साथ पीने से कब्जियत, रक्तविकार, पित्त के दोष आदि मिटकर काया कंचन जैसी हो जाती है।

बड़ के 5 से 25 ग्राम कोमल अंकुरों को पीसकर उसमें 50 से 200 मि.ली. बकरी का दूध और उतना ही पानी मिलाकर दूध बाकी रहे तब तक उबालकर, छानकर पीने से रक्तविकार मिटता है।

नीम- रक्त की सफाई के लिए नीम सबसे बेहतरीन उपाय है। सुबह नीम की कुछ कच्ची कोपलें खाली पेट चबाएं और ऊपर से पानी पी जाएं। या फिर नीम की कुछ कोपलें बारीक पीसकर पानी में मिलाकर भी पी सकतें हैं। कुछ ही हफ़्तों में रक्त की सारी दूषिता समाप्त हो जाएगी।

चिरायता- चिरायता रक्त की सफाई के लिए रामबाण औषधि है। सुबह के समय चिरायते की कुछ पत्तियों को पीसकर एक गिलास पानी में मिलाकर पी जाएं। कुछ ही दिनों में रक्त की शुद्धि के लक्षण आपको खुद दिखाई देने लगेंगे।

हरड़ –रात को गरम पानी के साथ दो हरड़ का चूर्ण लें

त्रिफला –दिन में दो बार एक-एक चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी से लें

अदरक और नींबू- अदरख के छोटे टुकड़े को पीसकर इसमें, नींबू की दो-तीन बूंदे चुटकी भर नमक और पीसी हुई काली मिर्च (चुटकी भर) मिला कर सुबह के समय खाली पेट लें। धीरे-धीरे खून की सफाई होती चली जाएगी।

बेल पत्र- पके बेल के गूदे में देशी शक्कर और इसका सेवन नियमित तौर पर रक्त की शुद्धता कुछ ही हफ़्तों में हो जाएगी।

रक्त शोधक हल्दी- हल्दी रक्त शुद्धि के लिए अचूक औषधि है। यह रक्त के दोषों को मूत्र द्वारा अथवा दस्त द्वारा निकालकर दूर कर देती है। यह शरीर में चूने के पदार्थ के साथ मिलकर रक्त को शुद्ध लाल रंग का बनाती है।

लहसुन- सुबह खाली पेट, 2-3 लहसुन की कलियों का सेवन न सिर्फ पूरे शरीर को फंगल इन्फैक्शन से बचाता है बल्कि यह रक्त शुद्धि भी करता है।

तुलसी- सुबह रोज खाली पेट तुलसी के पत्तों का सेवन न सिर्फ रक्त शुद्धि(khoon saaf) करता है, बल्कि यह ऑक्सीजन से भरपूर भी होता है, और रक्त में भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन भी पहुंचाता है।

आवंला- आंवला पूरी सेहत की दृष्टि से, चमत्कारिक फल है। विटामिन सी से भरपूर आंवला, लिवर की कार्यक्षमता को बढ़ाता है और शरीर की रोग प्रति रोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। इसके अलावा रक्त को शुद्ध बनाने में भी यह बेहद कारगार है।

मेथी- रात्रि भिगोया हुया दो चम्मच मेथी सुबह इसका पानी पीने में मेथी को चबाकर खाने से रक्तविकार नस्ट हो इससे सभी रोग नस्ट होते है जैसे मोटापा,हृदयघात,उच्च रक्तचाप,मधुमेह,हार्मोन्स,अनिद्रा,चर्म रोग,गठिया,कमर दर्द,घुटने का दर्द, बहनो की मासिकधर्म से जुड़ी सभी समस्या आयुर्वेद की भाषा में कहे तो वात व कफ से जुड़ी सभी समस्या

कच्ची लौकी (बिना छिलका उतारे)का जूस अदरक,कालीमिर्च एलोवेरा धनिया,पुदीना,तुलसी पते की चटनी युक्त व हींग जीरा मिलाकर 200ml सुबह शाम खाली पेट सेवन कर रक्त विकार ही नहीं हृदय से सम्बंधित सभी प्रकार की सर्जरी से बच सकते हैं

गिलोय रक्त की सफाई के लिए रामबाण औषधि है। सुबह के समय गिलोय की कुछ पत्तियों या डंठल को पीसकर एक गिलास पानी में उबालकर पी जाएं। कुछ ही दिनों में रक्त की शुद्धि के लक्षण आपको खुद दिखाई देने लगेंगे।

एलोवेरा :- नियमित सुबह दो चम्मच एलोवेरा का रस सेवन कर रक्तविकार ही नहीं अन्य रोग भी दूर कर सकते हैं,

सर्दियों के मौसम में अर्जुन छाल का काढ़ा नियमित सेवन से रक्त विकार ही नहीं हृदय से सम्बंधित सभी प्रकार की सर्जरी से बच सकते हैं

मेरे जीजा जी के ईट फैक्ट्री में काम करने वाली बहन के ऊपर आजमाया हुया परीक्षित नुस्खा अजवायन गुड़ घी युक्त हर भोजन के बाद 6 माह नियमित सेवन से रक्तविकार ही नहीं पेट के सभी रोग, आधे सीसी का दर्द, अनिद्रा,कमजोरी,चर्म रोग, मासिकधर्म की समस्या,पूरे शरीर का दर्द अर्थात यह कहे की 3 महीने सेवन के बाद उसे छोटी बड़ी उल्टी दस्त बुखार सर्दी खांसी नजला जुकाम बीमारी छू भी नहीं पाई है उसकी आर्थिक हालात कमजोर होने के कारण उसे यह औषधि भी जीजा जी के द्वारा उपलब्ध करायी गयी थी

निरोगी रहने हेतु महामन्त्र

मन्त्र 1 :-

• भोजन व पानी के सेवन प्राकृतिक नियमानुसार करें

• ‎रिफाइन्ड नमक,रिफाइन्ड तेल,रिफाइन्ड शक्कर (चीनी) व रिफाइन्ड आटा ( मैदा ) का सेवन न करें

• ‎विकारों को पनपने न दें (काम,क्रोध, लोभ,मोह,इर्ष्या,)

• ‎वेगो को न रोकें ( मल,मुत्र,प्यास,जंभाई, हंसी,अश्रु,वीर्य,अपानवायु, भूख,छींक,डकार,वमन,नींद,)

• ‎एल्मुनियम बर्तन का उपयोग न करें ( मिट्टी के सर्वोत्तम)

• ‎मोटे अनाज व छिलके वाली दालों का अत्यद्धिक सेवन करें

• ‎भगवान में श्रद्धा व विश्वास रखें

मन्त्र 2 :-

• पथ्य भोजन ही करें ( जंक फूड न खाएं)

• ‎भोजन को पचने दें ( भोजन करते समय पानी न पीयें एक या दो घुट भोजन के बाद जरूर पिये व डेढ़ घण्टे बाद पानी जरूर पिये)

• ‎सुबह उठेते ही 2 से 3 गिलास गुनगुने पानी का सेवन कर शौच क्रिया को जाये

• ‎ठंडा पानी बर्फ के पानी का सेवन न करें

• ‎पानी हमेशा बैठ कर घुट घुट कर पिये

• ‎बार बार भोजन न करें आर्थत एक भोजन पूणतः पचने के बाद ही दूसरा भोजन करें


: 🌹अनिद्रा के तकलीफ हो तो ….

🌹अनिद्रा की तकलीफ में सौंफ मिश्री धनिया का सम भाग मिश्रण 10 ग्राम रात को भीगा कर सुबह पी लें 10 ग्राम सुबह भीगा कर शाम को पी लें आरामदायक नींद आएगी। अंग्रेजी दवाइयों की गुलामी नहीं करनी पड़ेगी
🌷🌷सोना भला किसे नहीं अच्‍छा लगता है। सोने से दिमाग ताजा रहता है और शरीर में दिन-भर काम करने क लिये एनर्जी भरती है।
🥀यही नहीं नींद पूरी करने से मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग और समय से पहले मौत को भी टाला जा सकता है। हम सभी जानते हैं कि कम सोने से शरीर और दिमाग पर बुरा असर पड़ता है, पर क्‍या आप जानते हैं कि वहीं ज्‍यादा देर तक सोने से भी शरीर पर नकारात्‍मक प्रभाव पडता है।
🥀जी हां, अगर आप रात में सोने के बाद सुबह बहुत लेट उठते हैं तो आप अपने व्‍यवहार में कई सारे बदलाव देख सकते हैं। इसका सीधा असर हमारे दिमाग और हार्मोन्स पर पड़ता है।
🥀नाईट शिफ्ट में काम करने से आपको हो सकते हैं ये गंभीर रोग
🌺क्‍योकि ऐसे लोंगो के दिमाग में व्हाइट मैटर सबसे खराब स्थिति में होता है। तो अगर आप कल को तनाव और डिप्रेशन में रहते हैं तो इसका मेन कारण देर से सो कर उठना ही है।

🥀आपको सुबह जल्‍दी सो कर उठने की आदत डालती चाहिये क्‍योंकि इससे हमें स्‍वस्‍थ वातावरण मिलता है। सुबह ना तो वातावरण में प्रदूषण होता है और ना ही शोर शराबा। सुबह जल्दी उठने से हमें बल ओर बुद्दि मिलती है।
🌹बाएं ओर करवट ले कर सोने के बेहतरीन फायदे
हर इंसान के लिए केवल 8 घंटो तक सोना ही उचित रहता है। कोशिश करें की हमेशा अलार्म लगा कर ही सोएं और उससे ज्‍यादा सोने की कोशिष न करें वरना दर्द शुरू हो सकता है।
🌻जरुरतभर की नींद काफी है लेकिन अगर आप उससे ज्‍यादा सोते हैं तो, नीचे की स्‍लाइड्स जरुर पढ़ ले क्‍योकि इसमें हमने ज्‍यादा देर तक सोने के साइड इफेक्‍ट बताए हैं।स्नेहा समूह

1.🥀 मोटापा बढ़ेगा
मोटोपे और देर तक सोने के बीच में कनेक्‍शन है। अगर आप लंबे समय तक सोते हैं तो आपका शरीर रेस्‍ट मोड में होता है। कम शारीरिक गतिविधि का मतलब है कि आपका शरीर है कम कैलोरी बर्न करेगा, जो बदले में वजन बढ़ाएगा। PLOS ONE में प्रकाशित एक अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने पाया कि बहुत अधिक सोने पर इंसान मनोवैज्ञानिक बीमारियों और उच्च बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) से ग्रस्‍थ हो जाता है।

💐2. डिप्रेशन होना
ज्‍यादा देर तक सोने से दिमाग में dopamine and serotonin का लेवल कम हो जाता है। इससे आपका मूड बदलता रहता है और दिन प्रतिदिन चिड़चिडे होते चले जाते हैं।

  1. 🌼दिल की बीमारी का खतरा
    जब भी हम देर तक सोते हैं, तो उसका सीधा खतरा हमारे दिल को होता है। इससे हमें हार्ट डिजीज होने का खतरा सामान्य के मुकाबले ज्यादा हो सकता है।

4🌺. पीठ में दर्द
जब हम देर तक सोते हैं, तो हमें अक्सर पीठ में दर्द होने लगता है क्योंकि देर तक सोने से हमारी पीठ अक्कड़ जाती है, जिससे हमें दर्द का सामना करना पड़ता है और हमारे शरीर में ब्लड फ्लो सही ठंग से नहीं होता। इसलिए हमें जल्दी बिस्तर छोड़ देना चाहिए।

5🍂. याददाश्त कमजोर होना
जब भी हम अधिक देर तक सोते हैं तो इसका असर हमारे दिमाग पर बहुत गहरा पड़ता है। इससे हमारी याददाश्त कमजोर होने लगती है।स्नेहा समूह

  1. 🌻मधुमेह हो सकता है
    बहुत अधिक नींद शरीर में शुगर को संसाधित करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है और ग्लूकोज सहिष्णुता को बिगाड़ सकता है। इस कारण आपको टाइप 2 मधुमेह का खतरा ज्‍यादा बढ सकता है।

7🌻. कब्‍ज की समस्‍या
जो लोग ज्‍यादा देर तक सोते हैं उनको हमेशा कब्‍ज रहता है। पेट ठीक रखने के लिये अपनी बॉडी को मूव कराना काफी जरुरी है।

8.🌻 समय से पहले मौत
ज्‍यादा देर सोने से आपकी मौत जल्‍दी को सकती है। यह बात रिसर्च में प्रूफ की गई है। वे लोग जो नींद कम लेते हैं और वे लोग जो ज्‍यादाा सोते हैं, उन्‍हें मौत का खतरा जल्‍दी होता है। 8 घंटे की नींद हर मनुष्‍य के लिये काफी है।स्नेहा आयुर्वेद ग्रुप

🌹9. सिरदर्द
बहुत ज्यादा देर तक सोने से आपको सिर दर्द भी मिल सकता है। यह मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर में उतार-चढ़ाव के कारण हो सकता है, जिसमें नींद के दौरान सेरोटोनिन बढ़ सकता है, जिससे सिरदर्द हो सकता है।

🍃10. मस्तिष्क को बू़ढ़ा बनाए
बहुत अधिक सोने से आपके मस्तिष्क की शक्ति प्रभावित हो सकती है। क्योंकि यह मस्तिष्क को उम्र के हिसाब से तेज़ी से बूढ़ा बना देता है।
[भोजन के बाद सौंफ खाने के 9 बेहतरीन फायदे और जबरदस्त नुस्खे

1 भोजन के बाद रोजाना 30 मिनट बाद सौंफ लेने से कॉलेस्ट्रोल काबू में रहता है। 
2 पांच-छे ग्राम सौंफ लेने से लीवर और आंखों की रोशनी ठीक रहती है। अपच संबंधी विकारों में सौंफ बेहद उपयोगी है। बिना तेल के तवे पर सिकी हुई सौंफ और बिना तली सौंफ के मिक्चर से अपच होने पर बहुत लाभ होता है। 
3 दो कप पानी में उबली हुई एक चम्मच सौंफ को दो या तीन बार लेने से अपच और कफ की समस्या समाप्त होने में मदद मिलती है। 
4 अस्थमा और खांसी के उपचार में भी सौंफ का सेवन सहायक है। 
5 कफ और खांसी होने पर भी सौंफ खाना फायदेमंद होता है। 
6 गुड़ के साथ सौंफ खाने से मासिक धर्म नियमित होने लगते है। 
7 यह शिशुओं के पेट और उनके पेट के अफारे को दूर करने में बहुत उपयोगी है। 
8 एक चम्मच सौंफ को एक कप पानी में उबलने दें और 20 मिनट तक इसे ठंडा होने दें। इससे शिशु के कॉलिक का उपचार होने में मदद मिलती है। शिशु को एक या दो चम्मच से ज्यादा यह घोल नहीं देना चाहिए। 
9 सौंफ के पावडर को शकर के साथ बराबर मिलाकर लेने से हाथों और पैरों की जलन दूर होती है। भोजन के बाद 10 ग्राम सौंफ लेनी चाहिए।

🚩🚩 जय श्री राम 🚩🚩
🌹त्वचा के लिए गौ मूत्र के औषधीय प्रयोग

🌹गौमूत्र का सेवन करने से त्वचा संबंधी रोग जैसे सोराइसिस, एक्जिमा, खुजली, खाज, दाद आदि रोग ठीक होते है।

🌻गौमूत्र की मालिश करने से त्वचा के सफ़ेद धब्बे ठीक हो जाते है।

🌹खुजली, खाज, दाद, आदि समस्या में रोज गौमूत्र से मालिश करने से वे ठीक हो जाते है।

🌻आँखों के नीचे काले धब्बे होने पर रोज सुबह गौमूत्र लगायें, सभी धब्बे चले जायेंगे। अगर गौमूत्र न मिले तो उसके अर्क का इस्तेमाल कर सकते है। अर्क 1 चम्मच से अधिक नहीं लेना चाहिए, और हां अर्क का इस्तेमाल आंख में डालने के लिए बिलकुल न करें।

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