मेरे स्वर्गीय दादा जी के जीवन काल के 95वर्ष के अनुभव का यह उदर रक्षक चूर्ण जिसे हमारा परिवार ही नहीं उनके सभी आजपास अनजाने व जानकर भी सेवन करते रहें है आप सभी भी यथासंभव इसे बनाकर सेवन कर लाभांवित हो
उदर रक्षकपाचक व स्वादिष्ट चूर्ण बनाने की विधि ,फायदे और उपयोग
यह एक स्वादिष्ट, पाचक एवं क्षुधावर्द्धक चूर्ण है जिसे भोजन के बाद आधा से एक चम्मच चटनी की तर अथवा दालशाक या सलाद में बुरक कर या गुड़ या शहद के साथ या गर्म पानी गर्म दूध खाया जाता है
बनाने के लिए सामग्री :
1सौंफ 100ग्राम
2आंवला 100ग्राम
3हरड़ 75 ग्राम
4बहेड़ा 25ग्राम
5जीरा 100 ग्राम
6अजवायन 100 ग्राम
7धनिया 100 ग्राम
8दालचीनी पाउडर 20ग्राम
9हल्दी 20ग्राम
10कालीमिर्च 20 25 ग्राम
11 सफेद मिर्ची
12सौठ 25 ग्राम
13लौंग 5 ग्राम
14हींग 5 ग्राम
15सुहागा 5ग्राम
16फिटकिरी 5 ग्राम
17इलायची 2 3 ग्राम
18कड़ी पता 50ग्राम
19नीम की पत्तियां 20ग्राम
20पुदीना 75ग्राम
21सेदा नमक स्वादानुसार
22 काला नमक स्वादानुसार
23पीपल 5ग्राम
सुहागा व फिटकिरी को पाउडर बनाकर तबे पर फुलाये जबतक चट चट की आवाज बन्द न होऔर अब सभी को पाउडर बनाकर मिक्स कर सुरक्षित रख लें
उदर रक्षक चूर्ण बनाने की विधि में ध्यान रखने योग्य :सबको मिला कर खूब अच्छी तरह कूट पीस कर महीन पाउडर बना लें। इसे घर पर हाथ चक्की से, मिक्सी ग्राइण्डर से या इमाम दस्ते में कूट पीस कर तैयार किया जाना चाहिए ताकि इसमें अन्य कोई पदार्थ न मिल जाए। इसे बिजली की बड़ी आटा चक्की पर न पिसवाएं।
उपयोग :उदर रक्षक चूर्ण हमारे रसोईघर का एक ऐसा चूर्ण है जिसके सेवन से उदर को नई ऊर्जा के साथ रोगमुक्त करता है इसको कटे हुए फलों पर , सलाद या दाल, सब्ज़ी में डाल कर भी उपयोग किया ही जा सकता है, साथ ही अचार चटनी में भी इसका उपयोग किया जा सकता है। इससे खाने का स्वाद अच्छा होता है और साथ ही भोजन में रुचि बढ़ती है व साथ ही आहार के पाचन में मदद मिलती है।