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🧜🏻‍♂🧜🏻‍♂बच्चो के रोग-उपचार

🧜🏻‍♂दस्त लगने पर

🔅पहला प्रयोगः जायफल या सोंठ अथवा दोनों का मिश्रण पानी में घिसकर सुबह-शाम 3 सेस 6 रत्ती (करीब 400 से 750 मिलीग्राम) देने से हरे दस्त मिट जाते हैं।

🔅दूसरा प्रयोगः 1 ग्राम खसखस पीसकर 10 ग्राम दही में मिलाकर देने से बच्चों की दस्त की तकलीफ दूर होती है।

🔆उदरविकार

5 ग्राम सौंफ़ लेकर थोड़ा कूट लें। एक गिलास उबलते हुए पानी में डालें व उतार लें और ढँककर ठण्डा होने के लिए रख दें। ठण्डा होने पर मसलकर छान लें। यह सोंफ का 1 चम्मच पानी 1-2 चम्मच दूध में मिलाकर दिन में 3 बार शिशु को पिलाने से शिशु को पेट फूलना, दस्त, अपच, मरोड़, पेटदर्द होना आदि उदरविकार नहीं होते हैं।
दाँत निकलते समय यह सोंफ का पानी शिशु को अवश्य पिलाना चाहिए जिससे शिशु स्वस्थ रहता है।

🔆अपच

नागरबेल के पान के रस में शहद मिलाकर चाटने से छोटे बच्चों का आफरा, अपच तुरंत ही दूर होता है।


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डार्क सर्कल आज की समस्या

आज की भाग दौड वाली लाइफ मे ये आम समस्या है
इससे बचा जा सकता है यदि हम अपनी दिनचर्या नियमित रखे
समय से सोना मुख्य उपाय है अपने सोनै का समय निश्चित रखे कम से कम 8 घंटे की नींद ले

10 से 12 गिलास पानी पिये

अपने भोजन मे विटामिन c
जरूर शामिल करे
मौसमी फल खाये उनका जूस पिये

लेकिन फीर भी आप इस समस्या से घिर चुके है तौ आज हम आपको कुछ कारगर टिप्स बताते है जीनकी मदद से आप डार्क सर्कल से छुटकारा पा सकते है

सुझाव

दिये जाने वाले सभी उपाय हानि रहित है फीर भी सभी की स्किन टाइप अलग होती है ओर यदि कीसी खास सामग्री से आपको एलर्जी है तो आप यूज नही करे

उपाय 1

सामग्री
1चम्मच शहद
1चुकटी हल्दी

साफ बाउल मे मीला ले
20 मीनट लगा कर रखे
ताजे पानी से धो ले
अच्छे परिणाम के लीये कम से कम 1 माह तक डेली लगाये

उपाय 2

सामग्री

2चम्मच टमाटर पल्प
आधा चम्मच निंबू का रस
दोनो को अच्छे से मीला लै
काटन बाल ले काले घेरे पर लगाये काटन से हलकी मसाज करे कमसे कम 3 मीनट
इसके बाद खीरे की स्लाइस रखे करीब आधे घंटे तक
इसके बाद ताजै पानी से वाश कर ले
अच्छे परिणाम के लीये कम से कम 15 दिन यूज करे

उपाय 3

सामग्री
नारियल का तेल 1चम्मच
2छोटी पीस कपूर के मिलाये

बहुत अच्छे से मिक्स कर ले
इसको डार्क सर्कल पर 15 मीनट लगाये दिन मे 2 बार
ये उपाय केवल डार्क सर्कल पर ही नही हर तरह के चेहरे पर हुये दाग धब्बे झुर्रियों जले कटे के निशान सभी के लीये रामबाण नुस्खा है

उपाय 4

सामग्री
6से7बूँद ग्लिसरीन
विटामिन E का आधा कैप्सूल

अपने हाथ अच्छे से साफ कर ले
अपनी अंगुली से करीब 10 सैकेंड मिक्स करे
इसको आधा घंटे लगा कर रखे फिर ताजे पानी से चेहरे धो ले
7 दिन लगाये
ध्यान रखे यै सोल्यूशन आंख मे ना जायै नही तो तेज जलन हो सकती है आंख मे
सोने से पहले पैरों की मालिश करेंगे तो होंगें ये लाभ…..
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1 :- खून का दौरा सुचारु करे :- सारा दिन टाईट जूते और अन्य तरह के फुटवियर पहनने से पैरों के तलवों तक खून का दौरा सुचारु रूप से नही हो पाता है । इस अवरुद्ध हुये खून के दौरे को सुचारू करने के लिये पैरों की मालिश सर्वोत्तम उपाय है । सोने से पहले 10 से 20 मिनट तक पैरों और तलवों की मालिश करने से पैरों के अंतिम हिस्से तक खून का दौरा सुचारू हो जाता है । यह मालिश उन लोगों के लिये विशेष रूप से लाभकारी है जिनको मधुमेह रोग के कारण तलवों में सुन्नपन की समस्या पैदा होने लगी है ।
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2 :- अच्छी नींद लाये :- सारे दिन की भाग-दौड़ के बाद शाम होते होते दिमाग बहुत ज्यादा थकने लगता है जिस कारण बहुत से लोग शांतिपूर्वक नही सो पाते है और उनकी नींद पूरी रात बार बार टूटती है । यदि ऐसे परेशान लोग रोज रात को सोने से पहले 10-15 मिनट तक अपने पैरों पर मालिश करें तो यह पैरों की बेचैनी को खत्म करके शांतिपूर्वक नींद आने में सहायता करता है ।
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3 :- तनाव और अधीरता को भगाये :- हम लोग अधिकतर तनाव और अधीरता में रहते ही हैं । पैरों की मालिश तनाव और हड़बड़ी को घटाने में बहुत मदद कर सकती है । यह दिमाग को शांति पहुचाने के अलावा और भी बहुत से लाभ कर सकती है । मालिश करते समय तलवों पर अलग अलग हिस्सों पर अतिरिक्त दवाब देनें से नाड़ीतंत्र सही होता है और पूरे शरीर में आराम महसूस होता है जिससे तनाव में बहुत लाभ होता है ।
दवाब हाथों से देने के अतिरिक्त एक्यूप्रेशर वाले फुटपैड़ भी प्रयोग किये जा सकते हैं ।
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4 :- पैरों के दर्द से राहत :- अच्छी तरह से की गयी मालिश पैरों और पैरों की माँशपेशियों को बहुत अच्छी तरह से आराम पहुँचाती है साथ ही साथ पैरों पर आयी हुयी सूजन भी मालिश से उतर जाती है जिस कारण से पैरों के दर्द में बहुत आराम होता है । यदि मलिश करने से पहले पैरों को हल्के गुनगुने पानी से धो लिया जाये तो परिणाम और भी बेहतर होते हैं ।
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5 :- रक्तचाप कम करता है :- चूंकि दिन भर जूते पहने रहने से पैर के अंतिम भाग तक खून का दौरा सही से नही पहुँच पाता है अत: दिल ज्यादा जोर से पम्पिंग करके इस समस्या को दूर करने की कोशिश करता है जिस कारण से बाकि पूरे शरीर में रक्त्चाप बढ़ने का खतरा रहता है । यदि रात को तलवों में मालिश की जाये तो पैरों का रक्तदवाब सही रहता है और इस समस्या से बचा जा सकता है ।
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पैरों की मालिश कैसे की जाये :- शरीर के बाकि हिस्सों की मालिश करने के लिये आपको दूसरों की मदद की जरूरत पड़ सकती है किंतु पैरों की मालिश आप अपने आप ही कर सकते हैं । पैरों की मालिश का सही तरीका पढ़िये ।
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– एक बड़े बरतन में गुनगुना पानी भरिये और उसमें अपनी पसंद का कोई भी तेल 5-6 बूँद ड़ालिये ।
– 10 मिनट के लिये अपने पैरों को इसमें डुबाकर बैठ जाइये और फिर एक सूती तौलिये से पैरों को दबा-दबा कर पोंछ लीजिये ।
– अब एक कुर्सी पर आराम से बैठ जाइये ।
– अपने सीधे पैर के तलवे को उल्टे पैर के घुटने पर टिका लें ।
– अपनी पसंद का कोई भी तेल जैसे कि नारियल तेल, तिल तेल, सरसों तेल अथवा जैतून का तेल हल्का गर्म किया हुया लेकर अपने सीधे पैर की मालिश कीजिये । मालिश करते समय हाथ ऊपर से नीचे की तरफ ले जायें और पैरों पर हल्का हल्का सा दवाब जरूर दीजिये ।
– पैरों के बाद तलवों और पैर की अंगुलियों की भी मालिश कीजिये ।
– अब पैरों की स्थिति बदलकर उल्टे पैर भी इसी तरह मालिश कीजिये ।
– ध्यान रखें एक पैर की सम्पूर्ण मालिश के लिये 10-15 मिनट पर्याप्त हैं ।
जय श्री कृष्ण

खर्राटों से परेशान हैं तो आजमाएं

अक्सर नींद के दौरान अधिक खर्राटों की वजहें नींद के दौरान श्वास नली में ऑक्सीजन पास होने में दिक्कत, नाक की नली में दिक्कत, दवा का साइड एफेक्ट, एल्कोहल, बहुत अधिक थकान हो सकती हैं।

इससे आराम के लिए आप घर पर कुछ घरेलू उपाय आजमा सकते हैं। इनका कोई साइड एफेक्ट भी नहीं है और ये आसानी से घर में उपलब्ध हैं।

मक्खन या ब्राह्मी तेल को हल्का गर्म करें और दो बूंद नाक के छेद में डाले। रोज सोने से पहले और सुबह उठने के बाद यह प्रक्रिया नियमित रूप से दोहराएं।

एक ग्लास गर्म पानी में आधा चम्मच इलायची पाउडर मिलाएं और रोज सोने से पहले रात में इसका सेवन करें।

एक कप गर्म दूध में दो चम्मच हल्दी पाउडर मिलाएं और रोज सोने से पहले इसका सेवन करें
जय श्री कृष्ण

‘कब्ज'(constipation)

प्रातः नहाने के पहले और रात को नित्य
सरसो का तेल मे पानी मिलाकर पेट मे
मालिश करने से लाभ मिलता है ।
एक पाव लगभग कच्चे गाजर अच्छी तरह
चबा-चबा कर रोज खाली पेट खाने से भी
गैस दुर होता है और भुख अच्छी लगती है ।
अगर पुरनी कब्ज हो तो नीबु का रस एक
ग्लास गुनगुने पानी मे मिलाकर सुबह
खाली पेट और रात्रि सोने के पहले पीने से
आराम मिलेगा ।
मेथी भाजी खाने से भी कब्ज दुर होती
है ।
गेहु के पौधे का रस पीने से भी कब्ज
नहीहोती है ।
रात को सोते समय पिसी हुई सौफ
आधा चम्मच खाकर गरम पानी पी लेने से
कब्ज मे आराम मिलता है ।
जय श्री कृष्ण

जलने पर राहत के लिए घरेलू उपाय

  1. जब भी किसी कारण से त्वचा जल जाए, तो तुरंत उस पर ठंडा पानी डालें, ताकि फफोले ना पड़ सकें। इसके बाद भी आप जले हुए स्थान पर ठंडे पानी में कपड़ा भिगोकर लपेट दें, ताकि यह खतरा और भी कम हो जाए।
  2. जलने पर एलोवेरा काफी फायदा पहुंचाता है। प्राथमिक उपचार के तौर पर इसके गूदे का प्रयोग जले हुए स्थान पर किया जा सकता है। इसेक बेहतर परिणाम प्राप्त होंगे। पानी या दूध से घाव को धोने के बाद एलोवेरा को जले हुए स्थान पर लगाएं।
  3. जले हुए स्थान पर आलू या आलू का छिलका लगाकर रखने से भी जलन से राहत मिलेगी और ठंडक मिलेगी। इसके लिए आलू को दो भागों में काटकर उसे जख्म पर रखें। जलने के तुरंत बाद यह करना काफी फायदेमंद होगा।
  4. जले हुए स्थान पर तुरंत हल्दी का पानी लगाने से दर्द कम होता है और आराम मिलता है। इसलिए इसे प्राथमिक उपाचार के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है।
  5. शहद का प्रयोग भी जले हुए स्थान पर करने से लाभ होता है, क्योंकि यह एक अच्छा एंटीबायोटिक होता है। यह घाव के कीटाणुओं को खत्म करने में सहायक होता है। इसके लिए शहद को पट्टी पर लेकर पट्टी को घाव पर रख दें और इस पट्टी को दिन में दो से तीन बार जरूर बदलें।
  6. जले हुए स्थान पर टी-बैग रखने से भी आपको काफी राहत मिलेगी। इसके लिए टी-बैग को फ्रि‍ज या ठंडे पानी में कुछ देर रखने के बाद घाव पर लगाएं। इसमें टैनिक अम्ल होता है, जो घाव की गर्मी को कम की उसे ठीक करने में मदद करता है।
  7. जले हुए हिस्से पर तुलसी के पत्तों का रस लगाना भी बेहद असरकारक होता है। इससे हुए वाले भाग पर दाग बनने की संभावना कम होती है।
  8. तिल का उपायोग भी जलने पर राहत पहुंचाने में सहायक है। तिल को पीसकर जले हुए स्थान पर लगाने से जलन और दर्द नहीं होगा। तिल लगाने से जलने वाले हिस्से पर से दाग-धब्बे भी समाप्त होते हैं।
  9. जल जाने पर टूथपेस्ट भी एक कारगर उपचार है जिससे जलन तो कम होती ही है, साथ ही त्वचा पर फफोले भी नहीं पड़ते। इसलिए जलने पर कुछ उपलब्ध न हो तो तुरंत टूथपेस्ट लगा लिजिए।
  10. जलने पर तुरंत पानी में नमक डालकर गाढ़ा घोल बनाएं, और प्रभावित स्थान पर लगाएं, इससे ठंडक भी मिलेगी और त्वचा फफोले भी नहीं पड़ेंगे।
  11. जले हुए स्थान पर तुरंत मीठा सोडा डालकर रगड़ने से भी फफोले नहीं पड़ते और बिल्कुल जलन नहीं होती।

आयुर्वेद में ग्वारपाठा के औषधीय गुण

हमारे आस पास तमाम ऐसी वनस्पतियां पाई जाती हैं जिनमें औषधीय गुण मिलते हैं। समझ और सजगता का अभाव होने के कारण इनका सही प्रयोग नहीं हो पाता। इन्हीं वस्पतियों में घृतकुमारी का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। आयुर्वेद में इसे ग्वारपाठा, घी कुंवारा, स्थूलदला, कुमारी आदि नामों से इसे जाना जाता है एवं अंग्रेजी में इसे एलोवेरा के नाम से जाना जाता है।

घृतकुमारी के पत्तों का इस्तेमाल यकृत विकार, आमवात, कोष्ठबद्धता, बवासीर, स्त्रियों के अनियमित मासिक चक्र और मोटापा घटाने के साथ ही चर्म रोग में भी लाभकारी होता है। घृतकुमारी सभी स्थानों पर पूरे वर्ष सुगमता से मिलता है। इसके गूदे में लौह, कैल्शियम, पोटैशियम एवं मैग्नीशियम पाया जाता है।
एलोवेरा के फायदे:-

1.- एलोवेरा में 18 धातु, 15 एमिनो एसिड और 12 विटामिन मौजूद होते हैं जो खून की कमी को दूर कर रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढाते हैं।

2.- एलोवेरा के कांटेदार पत्तियों को छीलकर रस निकाला जाता है। 3 से 4 चम्मदच रस सुबह खाली पेट लेने से दिन-भर शरीर में चुस्ती व स्फूर्ति बनी रहती है।

3.- एलोवेरा का जूस पीने से कब्ज की बीमारी से फायदा मिलता है।

4.- एलोवेरा का जूस मेहंदी में मिलाकर बालों में लगाने से बाल चमकदार व स्वस्‍थ्‍य होते हैं।

5.- एलोवेरा का जूस पीने से शरीर में शुगर का स्तर उचित रूप से बना रहता है।
एलोवेरा का जूस बवासीर, डायबिटीज, गर्भाशय के रोग व पेट के विकारों को दूर करता है।

6.- एलोवेरा का जूस पीने से त्वचा की खराबी, मुहांसे, रूखी त्वचा, धूप से झुलसी त्‍वचा, झुर्रियां, चेहरे के दाग धब्बों, आखों के काले घेरों को दूर किया जा सकता है।

7.- एलोवेरा का जूस पीने से मच्छर काटने पर फैलने वाले इन्फेक्शन को कम किया जा सकता है।

8.- एलोवेरा का जूस ब्लड को प्यूरीफाई करता है साथ ही हीमोग्लोबिन की कमी को पूरा करता है।

9.- शरीर में वहाईट ब्लड सेल्स की संख्या को बढाता है।

10.- एलोवेरा का जूस त्वचा की नमी को बनाए रखता है जिससे त्वचा स्‍वस्‍थ्‍य दिखती है। यह स्किन के कोलाजन और लचीलेपन को बढाकर स्किन को जवान और खूबसूरत बनाता है।

11.- एलोवेरा के जूस का नियमित रूप से सेवन करने से त्वचा भीतर से खूबसूरत बनती है और बढती उम्र से त्वचा पर होने वाले कुप्रभाव भी कम होते हैं।

12.- एलोवेरा के जूस का हर रोज सेवन करने से शरीर के जोडों के दर्द को कम किया जा सकता है।

13.- एलोवेरा को सौंदर्य निखार के लिए हर्बल कॉस्मेटिक प्रोडक्ट जैसे एलोवेरा जैल, बॉडी लोशन, हेयर जैल, स्किन जैल, शैंपू, साबुन, फेशियल फोम आदि में प्रयोग किया जा रहा है।

14.- एलोविरा जैल या ज्यूस मेहंदी में मिलाकर बालों में लगाने से बाल चमकदार होंगे।

सावधानी: गर्भवती औरतों और पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिये घृतकुमारी-एलोविरा के आन्तरिक सेवन करने की सख्त मनाही है।
मेथी का दाना

मेथी भी जलने के दाग को कम करने में बहुत मदद करती है।

विधि- रात भर ज़रूरत के अनुसार मेथी का दाना पानी में भिंगोकर रख दें।अगले दिन सुबह इसको पीसकर पेस्ट बना लें। अब दाग के जगह पर पेस्ट को लगाकर सूखने के लिए छोड़ दें। पेस्ट के सूखने के बाद पानी से धो लें। नियमित रूप से इसका इस्तेमाल करें। हल्दी में ज़रूरत के अनुसार पानी डालकर पेस्ट जैसा बना लें फिर दाग के जगह पर लगायें। क्योंकि हल्दी में एन्टीसेप्टिक का गुण होता है वह दाग को दूर करने में बहुत मदद करता है। मेथी बाल और त्वचा संबंधी अनेक समस्याओं से लड़ने में बहुत मदद करता है।
इसके अलावा आप नारियल का तेल भी घाव पर लगाने से जलने के निशान कम होते हैं ।
👉🏻जौ का पानी या सत्तू के लाभ।
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इसका सत्तू बाजार में तैयार मिल जाता हैं।
बस घर में लाइए और पानी में घोलिये, स्वाद अनुसार मिश्री डालिये और सब को पिलाइये।
👉🏻जौ का पानी एक ऐसा पेय है जो कि जौ को पानी में उबालकर तैयार किया जाता है।
👉🏻 यदि इसमें थोड़ी सी चीनी और नींबू भी मिला दिया जाये तो यह एक शानदार पेय पदार्थ बन सकता है।
👉🏻जौ के पानी में इतने स्वास्थ्य लाभ हैंकि आप सुनकर चौंक जाएँगे।हम आपको बताते हैं जौ का पानी कैसे बनाया जाये और यह किस प्रकार स्वास्थ्य लाभ हैं।
जौ का पानी कैसे बनाएँइसकी एक सर्विंग बनाने के लिए एक सौस पैन में 2 टेबल स्पून जौ में 1 कप पानी मिला लें। जब तक जौ नरम हों तब तक इसे उबालें।
इस मिश्रण को एक जालीदार कपड़े से छान लें। आप छिलके वाले और बिना छिलके वाले दोनों में से किसी भी प्रकार के जौ ले सकते हैं।छिलके वाले में ज्यादा फाइबर होता है और पकाने में ज्यादा समय लगता है इसलिए बिना छिलके वाले पकाने में आसान हैं।
जौ के पानी के स्वास्थ्य लाभ<

  1. इसमें मौजूद बीटा–ग्लूकेन शरीर से जहरीले पदार्थों को बाहर मल द्वारा बाहर निकालने में मदद करता है और बवासीर के खतरे को कम करता है। यह आपको कब्ज से राहत देता है, आंतों को साफ रखता है जिससे की पेट के कैंसर की संभावना कम हो जाती है।
  2. यह मूत्र वर्धक के रूप में काम करता है यह बेकार पानी और विषैले पदार्थों को मूत्र द्वारा शरीर से बाहर निकाल देता है।
  3. यह गर्मी को कम करता है इसलिए गर्मी में इसका सेवन फायदेमंद है।4.चूंकि यह ठंडक करता है इसलिए यदि तेज मसालेदार खाने से आपके पेट में जलन हो रही है तो यह आपको राहत दे सकता है।
  4. जौ एंटी-इंफ़्लामेंट्री है। गठियाऔर जोड़ों के दर्द से पीड़ित लोगों को जौ के पानी से फायदा मिलता ह
  5. इसका बीटा –ग्लूकेन शरीर में ग्लूकोज के अवशोषण को कम करता है जिससे ब्लड शुगर लेवल को बनाए रखता है। इसका मतलब है कि कि यदि आपको शुगर है तो जौ का पानी पीने से आपका शुगर लेवल नियंत्रण में रह सकता है।
  6. इस पानी का एक गिलास रोजाना सेवन फाइबर की आवश्यकता को पूरी करता है।
  7. फाइबर की अधिकता के कारण यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करताहै। इससे आपका दिल स्वस्थ रहता है।
    9.किडनी की पथरीके लिए भी यह अचूक औषधि है। एक गिलास जौ के पानी का रोजाना सेवन करने से किडनी की पथरी शरीर से बाहर निकल जाती है और आपकी किडनी स्वस्थ रहती है।
    घर में कोई मेहमान आये तो उनको कोल्ड ड्रिंक के ज़हर की बजाये सत्तू दीजिये।

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    गले के रोग

परिचय: 👇🏻👇🏻
गले में कोई रोग हो जाने के कारण व्यक्ति को बोलने तथा खाना खाने में बहुत परेशानी होती है। गले के रोग से पीड़ित रोगी के गले में रुकावट, भारीपन, ज्वर, सिर में दर्द, आवाज बैठना तथा भारीपन जैसी समस्याएं हो जाती हैं।

गले के रोग होने के कारण-👇🏻

दूषित वायु तथा पानी को पीने से गले में कई प्रकार के रोग हो जाते हैं।
अधिक खट्टे, ठंडे तथा बासी खाद्य-पदार्थों के सेवन से गले के रोग हो सकते हैं।
मिर्च-मसालों का अधिक सेवन करने के कारण भी गले में अनेक रोग हो जाते हैं।
अधिक तैलीय पदार्थों का भोजन सेवन करने से गले में कई प्रकार के रोग हो सकते हैं।

गले के रोग का उपचार-👇🏻

गले के रोग को ठीक करने के लिए गले पर गर्म या ठंडा सेंक करना चाहिए। इसके फलस्वरूप रोगी को बहुत अधिक फायदा मिलता है।
गले में दर्द होने पर तुलसी का रस शहद में मिलाकर चाटने से गले मे दर्द ठीक हो जाता हैं।🕉🙏🏻🎋

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हीमोग्लोबिन बढ़ाने के उपाय👇🏻👇🏻

अमरूद- 🍏अमरूद जितना ज्यादा पका हुआ होगा, उतना ही पौष्टिक होगा। पके अमरूद को खाने से शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी नहीं होती।

आम- 🍋आम खाने से हमारे शरीर में रक्ति अधिक मात्रा में बनता है, एनीमिया में यह लाभकारी होता है।

सेब-🍎 सेब एनीमिया जैसी बीमारी में लाभकारी होता है। सेब खाने से शरीर में हीमोग्लोबिन बनता है।

अंगूर-🍇 अंगूर में भरपूर मात्रा में आयरन पाया जाता है। जो शरीर में हीमोग्लोबिन बनाता है, और हीमोग्लोबिन की कमी संबंधी बीमारियों को ठीक करने में सहायक होता है।

चुकन्दर- चुकन्दर से प्राप्त उच्च गुणवत्ता का लोह तत्व रक्त में हीमोग्लोबिन का निर्माण व लाल रक्तकणों की सक्रियता के लिए बेहद प्रभावशाली है। खून की कमी यानी एनीमिया की शिकार महिलाओं के लिए चुकंदर रामबाण के समान है। चुकन्दर के अलावा चुकन्दर की हरी पत्तियों का सेवन भी बेहद लाभदायी है। इन पत्तियों में तीन गुना लौह तत्व अधिक होता है।

तुलसी- 🍃तुलसी रक्त की कमी को कम करने के लिए रामबाण है। तुलसी के नियमित सेवन से शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ती है।

सब्जियां- शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जियां को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए। हरी सब्जियों में हीमोग्लोबिन बढ़ाने वाले तत्व ज्यादा मात्रा में पाये जाते है।

तिल- तिल हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाता है। तिल खाने से रक्ताअल्पता की बीमारी ठीक होती है।

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गला बैठना

परिचय:👇🏻
इस रोग में रोगी का गला बैठ जाता है जिसके कारण रोगी को बोलने में परेशानी होने लगती है तथा जब व्यक्ति बोलता है तो उसकी आवाज साफ नहीं निकलती है तथा उसकी आवाज बैठी-बैठी सी लगती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि स्वर नली के स्नायुओं पर किसी प्रकार के अनावश्यक दबाव पड़ने के कारण वे निर्बल पड़ जाती हैं। इस रोग के कारण रोगी की आवाज भारी होने लगती है तथा गले में खुश्की हो जाती है और कभी-कभी रोगी को सूखी खांसी और सांस लेने में परेशानी होने लगती है।

गला बैठने के कारण :- 👇🏻

अधिक गाना गाने, चीखने-चिल्लाने तथा जोर-जोर से भाषण देने से रोगी का गला बैठ जाता है।
ठंड लगने तथा सीलनयुक्त स्थान पर रहने के कारण गला बैठ सकता है।

ठंडी चीजों का भोजन में अधिक प्रयोग करने के कारण भी यह रोग सकता है।
शरीर के अन्दर किसी तरह का दूषित द्रव्य जमा हो जाने पर जब यह दूषित द्रव्य किसी तरह से हलक तक पहुंच जाता है तो गला बैठ जाता है।

गला बैठने पर उपचार :-👇🏻

गला बैठने के रोग का उपचार करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को अपने पेड़ू पर गीली मिट्टी की पट्टी से लेप करना चाहिए तथा इसके बाद एनिमा क्रिया का प्रयोग करके पेट को साफ करना चाहिए।

गला बैठने के रोग से पीड़ित रोगी को सुबह तथा शाम के समय में अपने गले के चारों तरफ गीले कपड़े या मिट्टी की गीली पट्टी का लेप करना चाहिए।

रोगी व्यक्ति को अपने गले, छाती तथा कंधे पर बारी-बारी से गर्म या ठंडा सेंक करना चाहिए तथा इसके दूसरे दिन उष्णपाद स्नान (गर्म पानी से पैरों को धोना) करना चाहिए।

रोगी व्यक्ति को गर्म पानी में हल्का सा नमक मिलाकर उस पानी से गरारे करने चाहिए और सुबह तथा शाम के समय में एक-एक गिलास नमक मिला हुआ गर्म पानी पीना चाहिए।

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