Phone

9140565719

Email

mindfulyogawithmeenu@gmail.com

Opening Hours

Mon - Fri: 7AM - 7PM

कैसे करें कर दर्शनम् –

सुबह जब नींद से जागें तो अपनी हथेलियों को आपस मे मिलाकर पुस्तक की तरह खोल लें और यह श्लोक पढ़ते हुए हथेलियों का दर्शन करें-

कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती।
कर मूले स्थितो ब्रह्मा प्रभाते कर दर्शनम्॥

अर्थात- (मेरे) हाथ के अग्रभाग में लक्ष्मी का, मध्य में सरस्वती का और मूल भाग में ब्रह्मा का निवास है।

हथेलियों के दर्शन करते समय एक और मंत्र भी बोला जाता है…

कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती।
करमूले तू गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम ॥

अर्थात- (मेरे) हाथ के अग्रभाग में लक्ष्मी का, मध्य में सरस्वती का और मूल भाग में भगवान विष्णु का निवास है।

हथेलियों के दर्शन का मूल भाव तो यही है कि हम अपने कर्म पर विश्वास करें। हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि ऐसे कर्म करें जिससे जीवन में धन, सुख और ज्ञान प्राप्त करें। हमारे हाथों से ऐसा कर्म हों जिससे दूसरों का कल्याण हो। संसार में इन हाथों से कोई बुरा कार्य न करें।
हथेलियों के दर्शन के समय मन में संकल्प लें कि मैं परिश्रम कर दरिद्रता और अज्ञान को दूर करूंगा और अपना व जगत का कल्याण करूंगा।

हाथों का ही दर्शन क्यों –

हमारी संस्कृति हमें सदैव कर्म का संदेश देती है। जीवन के चार आधार- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को पुरुषार्थ कहा गया है। ईश्वर पुरुषार्थी मनुष्य की ही सहायता करते हैं। कर्म से हम अपने जीवन को स्वर्ग बना सकते हैं और नर्क में भी ढकेल सकते हैं। मनुष्य के हाथ शरीर के महत्वपूर्ण अंग हैं। हमारे दो हाथ पुरुषार्थ और सफलता के प्रतीक हैं।

इस परंपरा के संबंध में वेद कहते हैं-

कृतं मे दक्षिणेहस्ते जयो मे सष्य आहित:। – अथर्ववेद 7/50/८

अर्थात- मेरे दाहिने हाथ में पुरुषार्थ है और बाएं हाथ में सफलता। भावार्थ यही है कि हम यदि परिश्रम करते हैं तो सफलता अवश्य मिलती है। हमे अपने कर्म में पीछे नहीं हटना चाहिए,

Recommended Articles

Leave A Comment