: क्या लगता है आपको, 3 मई के बाद एकाएक कोरोना चला जायेगा, हम पहले की तरह जीवन जीने लगेंगे ?
नही, कदापि नही।
कोरोना वायरस अब हमारे देश में जड़ें जमा चुका है, हमे इसके साथ रहना सीखना पड़ेगा।
पर कैसे?
सरकार कब तक लॉक डाउन रखेगी ?
कब तक बाहर निकलने में पाबंदी रहेगी ?
हमे स्वयं इस वायरस से लड़ना पड़ेगा, अपनी जीवन शैली में बदलाव करके,
अपनी इम्युनिटी स्ट्रांग करके।
हमे सैकड़ों साल पुरानी जीवन शैली अपनानी पड़ेगी।
अपने भोजन में पौष्टिक आहार की मात्रा बढ़ानी होगी, अपक्व आहार ज्यादा खायें। (सलाड,चटनी, फल, शाकभाजी, अंकुरित कठोल, ड्रायफ्रूटस… वगैरह वगैरह)
शुद्ध आहार लें, शुद्ध मसाले खाएं।
आंवला, एलोवेरा, गिलोय, काली मिर्च, लौंग आदि पर निर्भर हों।
सीजनल, रीजनल और ऑरिजनल अपनाये।
ग्रीन जूस पीये।
दोपहर को दो करैला, दो टमाटर, एक खीरा /ककड़ी का जूस पीये।
एन्टी बाइटिक्स के चंगुल से खुद को आज़ाद करें।
डेरी प्रोडक्ट और बेकरी प्रोडक्ट ना खायें। (दुध, चीज, पनीर, ब्रेड, बिस्किट, खारी, टोस्ट, चॉकलेट, केडबरी, वडापाव, मिसलपाव, फ़ास्ट फ़ूड, पिज़्ज़ा, बर्गर, वगैरह वगैरह…. और सभी तरह के पेकिंग वाले ड्रिंक, कोल्ड्रिंक को भूल जाएं।)
मानव/फेक्ट्री मे निर्मित सभी खाध प्रदार्थ छोड़कर प्रकृति निर्मित सभी खाध प्रदार्थ ख़ाना चाहिए।
सीजनल, रीजनल और ऑरिजनल और उनके मूल स्वरुप में अपनाये।
अपने बर्तनों को बदलना होगा, अल्युमिनियम, स्टील आदि से हमे पीतल, कांसा, तांबा, मिट्टी के बर्तन को अपनाना होगा जो प्राकर्तिक रूप से वायरस की खत्म करते हैं।
अपने आहार में ताज़े फलों का रस, हरे पत्तों के रस की मात्रा बढ़ानी होगी।
भूल जाइए जीभ का स्वाद, तला-भुना मसालेदार, होटल वाला कचरा।
साथ साथ तन की सफाई दिंन मे दो बार स्नान से,
मन सफाई दो बार ध्यान से, (30 से 45 मिनट)
और
शरीर की अंदरूनी सफाई एनीमा, वमन, जलनेती से करनी चाहिए।
कम से कम अगले 2 -3 साल तक तो यह करना ही पड़ेगा।
तभी हम सरवाइव कर पाएंगे।
आयुर्वेद उपचार गुपँ की तरफ़ से ७९७७७४०४६२ आप को जूड ना हो तो हमें बताये
इस बात को मान कर इन पर अमल करना शुरू कर दें।
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बताया गया है कि कच्ची भिंडी खाने से मधुमेह कंट्रोल में हो जाती है, इसलिये आइये जानते हैं कि कच्ची भिंडी का उपयोग कैसे करें और इससे मधुमेह कैसे कंट्रोल होगा।
भिंडी खा कर कंट्रोल करें मधुमेह
मधुमेह को कंट्रोल करने के लिये भिंडी को ऐसे उपयोग करें
दो भिंडी लीजिये और उसे आगे और पीछे दोंनो ओर से काट लें। इसमें से एक एक चिपचिपा सफेद तरल बाहर आना शुरू हो जाएगा जिसे आपको धोना नहीं है। जब आप सोने जाएं तब इन कटी हुई भिंडी को पानी के गिलास में डाल दीजिये और गिलास को ढंक दीजिये। सुबह होते ही पानी में से कटी हुई भिंडी के टुकडे़ को निकालिये और पानी को पी लीजिये।
अगर आपको ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में करना है तो इस विधि को लगातार कुछ महीनों के लिये करें। कच्ची भिंडी आपके लिये जितनी फायदेमंद होगी उतनी पकाई हुई भिंडी बिल्कुल नहीं होगी।
मधुमेह रोगियों के लिये भिंडी खाने के स्वास्थ्य लाभ
- लो जीआई फूड- जीआई का मतलब होता है ग्लाइसिमिक इंडेक्स। हर मधुमेह रोगी को ऐसा अहार खाने की सलाह दी जाती है जिसमें ग्लाइसिमिक इंडेक्स की मात्रा कम हो। भिंडी में केवल 20 ग्लाइसिमिक इंडेक्स होता है जो कि बहुत ही कम गिना जाता है।
- किडनी रोग से लडे- टाइप 2 डायबीटीज होने से किडनी पर भी असर पड़ता है। भिंडी खाने से किडनी की समस्या दूर होती है। तो ऐसे में अगर आप मधुमेह से ग्रस्थ हैं तो भिंडी खाइये।
- घुलनशील फाइबर- घुलनशील फाइबर डायबिटिक रोगियों के लिये अच्छा होता है क्योंकि यह कार्बोहाइड्रेट को पचाने में बहुत ही अहम रोल अदा करता है। भिंडी जिसमें घुलनशील रेशे की मात्रा अधिक पाई जाती है पाचन क्रिया को धीमा कर देता है और कार्बोहाइड्रेट का खून में प्रभाव घटा देता है।
गठिया Arthritis के लिए सरल रामबाण इलाज।
गठिया के रोगी के एक या कई जोड़ों में दर्द, अकड़न या सूजन आ जाती है। इस रोग में जोड़ों में गांठें बन जाती हैं और शूल चुभने जैसी पीड़ा होती है, इसलिए इस रोग को गठिया भी कहते हैं। आधुनिक चिकित्सा के अनुसार खून में यूरिक एसिड की अधिक मात्रा होने से गठिया रोग होता है।
भोजन में शामिल खाघ पदार्थों के कारण जब शरीर में यूरिक एसिड अधिक मात्रा में बनता है तब गुर्दे उन्हें खत्म नहीं कर पाते और शरीर के अलग- अलग जोड़ों में में यूरेट क्रिस्टल जमा हो जाता है। और इसी वजह से जोड़ों में सूजन आने लगती है तथा उस सूजन में दर्द होता है।
गठिया रोग का कारण
फास्ट फूड, जंक फूड और डिब्बाबंद खाना खाने से भी गठिया रोग हो सकता है।
ज्यादा गुस्सा आने की प्रवृति और ठंठ के दिनों में अधिक सोने की आदत से भी गठिया हो सकता है।
आलसी व्यक्ति जो खाना खाने के बाद श्रम नहीं करते हैं उन्हें भी गठिया की शिकायत हो सकती है।
वसायुक्त भोजन अधिक मात्रा में खाने से भी गठिया रोग हो सकता है।
जिन लोगों को अजीर्ण की समस्या रहती है और अधिक मात्रा में खाना खाते हैं, इस वजह से भी गठिया रोग हो सकता है।
वैदिक आयुर्वेद के अनुसार दूषित आम खाने की वजह से भी गठिया रोग हो सकता है।
बचाव विधि
बथुआ के ताजा पत्तो का रस पंद्रह ग्राम प्रतिदिन पीने से गठिया दूर होता है। इस रस में नमक चीनी आदि कुछ न मिलाएं। नित्य प्रात: खाली पेट ले या फिर शाम चार बजे। इसके लेने के आगे पीछ दो-दो घंटे कुछ न लें। एक-दो मास लें।
विशेष
आटा गूंधते समय उसमे बथुआ पत्ते मिलाकर चपाती बनाये और दिन में एक समय खाएं तो जल्दी लाभ होगा।
अन्य विधि
नागौरी असगन्ध की जड़ और खांड दोनों संभाग लेकर कूट-पीसकर कपड़े से छानकर बारीक़ चूर्ण बना ले और किसी कांच के पात्र में रख लें। आवश्यकता अनुसार तीन सप्ताह से छ: सप्ताह तक ले। इस योग से गठिया का वह रोगी जिसने खाट पकड़ ली हो वह भी स्वस्थ हो जाता है। कमर-दर्द, हाथ पावं जंघाओं का दर्द एवं दुर्लब्ता मिटती है। यह एक उच्च कोटि का टॉनिक है।
विशेष
- असगन्ध प्रयोग करने से पहले इसे दूध में उबालकर साफ़ कर लेना चाहिए और फिर सुखकर तब बनाना अच्छा रहता है। शीतकाल में इसका प्रयोग उपयुक्त रहता है।
- उष्ण प्रकृति वाले इसका अधिक सेवन न करे।
- आँव की शिकायत में इसे न लें।
4.तली हुई वस्तुएं या तेल, खटाई और बदिकारक वस्तुएं न खाएं।
- जोड़ो का दर्द मिटाने के लिए बेसन की बिना नमक की रोटी देसी घी डालकर खानी चाहिए।
- असंगंध का चूर्ण दो चम्मच की मात्रा से देसी घी से बनाये गये गुड के हलवे में 15 दिन प्रात: खाली पेट लेने से गठिया ठीक होता है।
अन्य विधि – बारीक़ असगंध का चूर्ण दो भाग, स्कन्थ का चूर्ण एक भाग और पीसी हुई मिश्री तीन भाग मिलाकर रख ले। इसे दो चम्मच (6 ग्राम ) की मात्रा से दिन में दो बार दूध या गर्म पानी या चाय के अनुपान से दो-तीन सप्ताह तक लेने से विभिन्न वात रोग तथा जोड़ो के दर्द नष्ट होते हैं।