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[08/10, 21:12] Pawan Garg: कैसा भी बुखार हो दूर करेंगे तुलसी के यह रामबाण प्रयोग

★ भारतवर्ष के अनेक भागों में मलेरिया का प्रकोप विशेष रूप से पाया जाता है। यह बरसा ऋतु के पश्चात मच्छरों के काटने से फैलता है। तुलसी के पौधों में मच्छरों को दूर भगाने का गुण और उसकी पत्तियों का सेवन करने से मलेरिया का दूषित तत्त्व दूर हो जाता है। इसलिए हमारे यहाँ ज्चर आने पर तुलसी और कालीमिर्च का काढ़ा बनाकर पी लेना सबसे सुलभ और सरल उपचार माना जाता है।

★ डॉक्टर लोग इसके लिए ‘कुनैन’ का प्रयोग करते हैं, पर कुनैन इतनी गरम चीज है कि उसके सेवन से बुखार दूर हो जाने पर भी अनेक बार अन्य उपद्रव पैदा हो जाते हैं। उनसे खुश्की, गरमी, सिर चकराना, कानों में साँय-साँय शब्द सुनाई पड़ना आदि दोष उत्पन्न हो जाते हैं। इसको मिटाने के लिए दूध-संतरा आदि रस जैसे पदार्थों के सेवन की आवश्यकता होती है, जिनका सामान्य जनता को प्राप्त हो सकना कठिन ही होता है।

तुलसी से बुखार दूर करने के वैद्यक ग्रंथों के कुछ घरेलू नुस्खे इस प्रकार हैं :

(१) जुकाम के कारण आने वाले ज्वर में तुलसी के पत्तों का रस अदरक के रस के साथ शहद मिलाकर सेवन करना चाहिए।

(२) बुखार ठीक करने का घरेलू उपाय – तुलसी के हरे पत्ते 60 ग्राम और कालीमिर्च, 30 ग्राम दोनों को एक साथ बारीक पीसकर झरबेरी(बेर) के बराबर गोलियाँ बनाकर छाया में सुखा लें। इसमें से दो गोलियाँ तीन-तीन घंटे के अंतर से जल के साथ सेवन करने से मलेरिया अच्छा हो जाता है।

(३) तुलसी के पत्ते 11, कालीमिर्च 9, अजबाइन २ ग्राम, सौंठ 3 ग्राम, सबको पीसकर 60 ग्राम पानी में घोल लें। तब एक कोरा मिट्टी का प्याला, सिकोरा या कुल्हड़ आग में खूब तपाकर उसमें उक्त मिश्रण को डाल दें और उसकी भाप रोगी के शरीर को लगाएँ। कुछ देर बाद जब वह गुनगुना, थोड़ा गरम रह जाए तो जरा-सा सेंधा नमक मिलाकर पी लिया जाए। इससे सब तरह के बुखार जल्दी ही दूर हो जाते हैं।

(४) पुदीना और तुलसी के पत्तों का रस 12-12 ग्राम लेकर उसमें 3 ग्राम शक्कर मिलाकर सेवन करें, इससे मंद-ज्वर में बहुत लाभ होता है।

(५) शीत ज्वर में तुलसी के पत्ते, पुदीना, अदरक तीनों 6-6 ग्राम लेकर काढ़ा बनाकर पिएँ।

(६) तुलसी के पत्ते और काले सहजन के पत्ते मिलाकर पीस लें। उस चूर्ण का गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से विषम ज्वर दूर होता है।

(७) मंद ज्वर में तुलसी पत्र 6 ग्राम , काली द्राक्ष दस दाना, कालीमिर्च एक ग्राम, पुदीना एक ग्राम , इन सबको ठंडाई की तरह पीस-छानकर मिश्री मिलाकर पीने से लाभ होता है।

(८) विषम ज्वर और पुराने ज्वर में तुलसी के पत्तों का रस 12 ग्राम पीते रहने से लाभ होता है।

(९) तुलसी पत्र 12 ग्राम , कालीमिर्च 12 ग्राम , करेले के पत्ते 12 ग्राम , कुटकी 48 ग्राम, सबको खरल में खूब घोंटकर मटर के बराबर गोलियाँ बनाकर छाया में सुखा लें। ज्वर आने से पहले और सायंकाल के समय दो-दो गोली ठंडे पानी के साथ सेवन करने से जाड़ा देकर आने वाला बुखार दूर होता है। मलेरिया के मौसम में यदि स्वस्थ मनुष्य भी एक गोली प्रतिदिन सुबह लेता रहे तो ज्वर का भय नहीं रहता। ये गोलियाँ दो महीने से अधिक रखने पर गुणहीन हो जाती हैं।

(१०) तुलसी पत्र और सूरजमुखी की पत्ती पीस-छानकर पीने से सब तरह के ज्वरों में लाभ होता है।

(११) कफ के ज्वर में तुलसी पत्र, नागरमोंथा और सौंठ बराबर लेकर काढ़ा बनाकर सेवन करें।

(१२) जो ज्वर सदैव बना रहता हो उसमें दो छोटी पीपली पीसकर तथा तुलसी का रस और शहद मिलाकर गुनगुना करके चाटें।

(१३) तुलसी पत्र और नीम की सींक का रस बराबर लेकर थोड़ी कालीमिर्च के साथ गुनगुना करके पीने से क्वार के महीने का फसली बुखार दूर होता है।

(१४) सामान्य हरारत तथा जुकाम में तुलसी की थोड़ी-सी पत्तियों का चाय की तरह काढ़ा बनाकर उसमें मिश्री मिलाकर पीने से लाभ होता है। कितने ही जानकार व्यक्तियों ने आजकल बाजार में प्रचलित चाय की अपेक्षा तुलसी की चाय को हितकर बताया है

विशेष : “तुलसी अर्क ” सर्दी -जुकाम खांसी ,एसिडिटी ज्वर ,दस्त ,वमन,हिचकी ,मुख की दुर्गन्ध ,मन्दाग्नि ,पेचिस में लाभ दायी व हृदय के लिए हितकर है ,यह रक्त में से अतिरिक्त स्निग्धांश को हटाकर रक्त को शुद्ध करता है।यह सौन्दर्य ,बल ब्रह्मचर्य एवं स्मृती वर्धक व कीटाणु ,त्रिदोष और विषनाशक है ।

मन्त्र 1 :-

• भोजन व पानी के सेवन प्राकृतिक नियमानुसार करें

• ‎रिफाइन्ड नमक,रिफाइन्ड तेल,रिफाइन्ड शक्कर (चीनी) व रिफाइन्ड आटा ( मैदा ) का सेवन न करें

• ‎विकारों को पनपने न दें (काम,क्रोध, लोभ,मोह,इर्ष्या,)

• ‎वेगो को न रोकें ( मल,मुत्र,प्यास,जंभाई, हंसी,अश्रु,वीर्य,अपानवायु, भूख,छींक,डकार,वमन,नींद,)

• ‎एल्मुनियम बर्तन का उपयोग न करें ( मिट्टी के सर्वोत्तम)

• ‎मोटे अनाज व छिलके वाली दालों का अत्यद्धिक सेवन करें

• ‎भगवान में श्रद्धा व विश्वास रखें

मन्त्र 2 :-

• पथ्य भोजन ही करें ( जंक फूड न खाएं)

• ‎भोजन को पचने दें ( भोजन करते समय पानी न पीयें एक या दो घुट भोजन के बाद जरूर पिये व डेढ़ घण्टे बाद पानी जरूर पिये)

• ‎सुबह उठेते ही 2 से 3 गिलास गुनगुने पानी का सेवन कर शौच क्रिया को जाये

• ‎ठंडा पानी बर्फ के पानी का सेवन न करें

• ‎पानी हमेशा बैठ कर घुट घुट कर पिये

• ‎बार बार भोजन न करें आर्थत एक भोजन पूणतः पचने के बाद ही दूसरा भोजन करें


[ बवासीर को जड़ से खत्म करने में मददगार हैं ये आयुर्वेदिक उपचार, जानें सेवन का तरीका

फाइबर युक्त आहार
अच्छी पाचन क्रिया के लिए फाइबर से भरा आहार बहुत जरूरी होता है। इसलिए अपने आहार में रेशयुक्त आहार जैसे साबुत अनाज, ताजे फल और हरी सब्जियों को शामिल करें। साथ ही फलों के रस की जगह फल खाये।

असरदार छाछ
बवासीर के मस्सों को दूर करने के लिए मट्ठा बहुत फायदेमंद होता है। इसके लिए करीब दो लीटर छाछ लेकर उसमे 50 ग्राम पिसा हुआ जीरा और स्वादानुसार नमक मिला दें। प्यास लगने पर पानी के स्थान पर इसे पीये। चार दिन तक ऐसा करने से मस्से ठीक हो जायेगें। इसके अलावा हर रोज दही खाने से बवासीर होने की संभावना कम होती है। और बवासीर में फायदा भी होता है।
त्रिफला
त्रिफला के चूर्ण का नियमित रूप से रात को सोने से पहले 1-2 चम्मच सेवन कब्ज की समस्या दूर करने मेंं मदद करता है। जिससे बवासीर में राहत मिलती है।
जीरा
जीरा, पेट की समस्याओं में बहुत काम का होता है। जीरे को भूनकर मिश्री के साथ मिलाकर चूसने से फायदा मिलता है। इसके अलावा आधा चम्मच जीरा पाउडर को एक गिलास पानी में डाल कर पीयें। इसके साथ जीरे को पीसकर मस्सों पर लगाने से भी फायदा मिलता है।

अंजीर
सूखा अंजीर बवासीर के इलाज के लिए एक और अद्भुत आयुर्वेदिक उपचार हैं। एक या दो सूखे अंजीर को लेकर रात भर के लिए गर्म पानी में भिगों दें। सुबह खाली पेट इसको खाने से फायदा होता है।
तिल
खूनी बवासीर में खून को रोकने के लिए 10 से 12 ग्राम धुले हुए काले तिल को लगभग एक ग्राम ताजा मक्खन के साथ लेना चाहिए। इसे लेने से भी बवासीर में खून आना बंद हो जाता है।
हरीतकी
हरड़ के रूप में लोकप्रिय हरीतकी कब्ज को दूर करने का एक बहुत अच्छा आयुर्वेदिक उपाय है। हरीतकी चूर्ण आधा से एक चम्मच, रात को गुनगुने पानी से लेने से या गुड़ के साथ हरड खाने से बवासीर की समस्या से निजात मिलता है।
बड़ी इलायची
लगभग 50 ग्राम बड़ी इलायची को तवे पर रखकर भूनते हुए जला लीजिए। ठंडी होने के बाद इस इलायची को पीस चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को नियमित रूप से सुबह पानी के साथ खाली पेट लेने से बवासीर की समस्या ठीक हो जाती है।
आंवला
आंवला शरीर में आरोग्य शक्ति को बढ़ाता है।आंवला पेट के लिए बहुत फायदेमंद होता है। बवासीर की समस्या होने पर आंवले के चूर्ण को सुबह-शाम शहद के साथ पीने से फायदा होता है।

नीम
नीम के छिलके सहित निंबौरी के पाउडर को प्रतिदिन 10 ग्राम रोज सुबह रात में रखे पानी के साथ सेवन कीजिए, इससे बवासीर में फायदा होगा। इसके अलावा नीम का तेल मस्सों पर लगाने और इस तेल की 4-5 बूंद रोज पीने से बवासीर में लाभ होता है।
गुलाब की पंखुडियां
बवासीर में खून की समस्या को दूर करने के लिए थोड़ी सी गुलाब की पंखुडी को 50 मिलीलीटर पानी में कुचल कर तीन 3 दिन खाली पेट लेना चाहिए। लेकिन ध्यान रहें इस उपचार के साथ केले का सेवन न करें।
इसबगोल
इसबगोल की भूसी, गलत खान-पान से उपजी व्याधियों को दूर करने की एक ऐसी ही अचूक, प्राकृतिक और चमत्कारिक औषधि है। इसबगोल भूसी का प्रयोग करने से से अनियमित और कड़े मल से राहत मिलती है। इससे कुछ हद तक पेट भी साफ रहता है और मस्सा ज्यादा दर्द भी नही करता। रात को सोने से पहले एक या दो चम्मच इसकी भूसी को दूध या पानी के साथ लिया जा सकता है।

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