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जीवन रूपी नदियाँ जिन दो किनारों के बीच होकर बहती है, उसका एक छोर असफलता तो दूसरा सफलता है। कुछ लोग असफलता वाले किनारे पर बैठकर जीवन में आने वाले उतार-चढ़ावों के द्वंद्व में फंसकर डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं। दरअसल, ऐसे लोगों में इच्छाशक्ति का पूरी तरह से अभाव होता है।
असलियत में इच्छाशक्ति का अभाव ही व्यक्ति के जीवन में निराशा को उत्पन्न करता है। आम तौर पर निराशावादी दृष्टिकोण वाले व्यक्ति असफलता को अपना भाग्य व नियति मान लेते हैं जबकि दृढ़ इच्छाशक्ति वाले व्यक्ति सदैव उत्साह व उमंग से लबरेज रहते हैं।
जीवन के हर कदम पर हमारी सोच, हमारे बोल, हमारे कर्म ही हमारा भाग्य लिखते हैं !
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