Phone

9140565719

Email

mindfulyogawithmeenu@gmail.com

Opening Hours

Mon - Fri: 7AM - 7PM


मन की शक्ति बड़ी ही अद्भुत है। कहते हैं मन बड़ा ही सार्मथ्यवान है। हम जैसा सोचते हैं, जैसा विचार करते हैं वैसे ही बन जाते हैं। इसलिए ही हमारे शास्त्रों और मनीषियों ने कहा है कि सदा शुभ को सुनो! शुभ को देखो! जिससे हमारा मन भी शुभ का ही चिंतन कर सके।
एक भाई ने बड़ा सुंदर कहा है-
जैसा हम देखते और सुनते हैं वैसा ही चिंतन हमारा मन करने लगता है और जैसा चिंतन हमारा मन करता है, वैसा हमारा आचरण बन जाता है।

हमारे जीवन निर्माण में मन की अहम भूमिका होती है। मन केवल गलत दिशा में ही नहीं लेकर जाता है अपितु उचित दिशा में भी लेकर जाता है। ये हम पर निर्भर करता है कि हम उसे कहाँ ले जाना चाहते हैं।

मन उस अबोध बालक की तरह है, जिसे लाल अंगारे और लाल फल में कोई भेद नजर नहीं आता। जिसे रस्सी और साँप में कोई भेद नजर नहीं आता। वो दोनों को समान रूप से पकड़ना चाहता है।

बस यही पर विवेक की जरूरत होती है, जो मन को हित और अहित का भान करा दे। हम जिधर मन को लेकर जायेंगे वो उसे ही पकड़ना प्रारम्भ कर देगा। विषयों की तरफ लेकर जाओ या उस प्रभु की मन वहीं रस खोजने लगेगा।

एक बार मन कहीं गलत जगह लग गया तो अब चाहकर भी इसे हटाना संभव नहीं हो पायेगा। इसलिए प्रयास करना चाहिए कि मन को सदैव, शुभ में , सद् में और श्रेष्ठ में ही लगाना चाहिए जिससे एक आदर्श व्यक्तित्व का निर्माण सफल हो सके।
आओ जानें मन को वश में करने के उपाय
मन एक बार में एक ज्ञान को ही पकड़ता है।- युगपत ज्ञानमनुत्पत्तिर्मनसो लिंगम्-न्यायदर्शन
यह चेतन आत्मा के ऊपर निर्भर करता है वह किधर मन को लगावे।
क्योंकि मन तो जड़ है।
आत्मा का सबसे नजदीकी मित्र और शत्रु भी।
मन से संकल्प विकल्प दोनों ही लिए जाते हैं। मन ही शरीर को धारण करता है और मन ही शरीर से मुक्त करवाता है।
मन ही बन्धन और मोक्ष का कारण है।
मन एव मनुष्याणां कारणं बन्ध मोक्षयोः
जो व्यक्ति शुभसँकल्पों को उठवा निष्काम कर्मों की ओर प्रवृत्त होता है तथा सब कुछ भगवद अर्थ अर्पण करते हुए शुद्ध उपासना में मन को लगाता है वह मोक्ष की ओर गति करता है। जो व्यक्ति सकाम शुभ और अशुभ कर्मों में प्रवृत्त होता है वह कर्मानुसार भोग योनियों को प्राप्त कर संसार मे आता है।
अतः यह जान मन के निर्बल अंग पर प्रहार कर इसे वश में करना चाहिए।
१-मन की निर्बलता जड़ता है।
२-मन एक बार में एक जगह टिकने के स्वभाव वाला है।
३-मन द्वारा कुछ भी उठवाया जा सकता है संकल्प या विकल्प।
अतः चेतन आत्मा इस जड़ मन को इस तरह आसानी से वश में कर सकता है।
अन्यथा यह मन चेतन जीवात्मा को जड़ होते हुए भी रस्सीवत बांधने में सफल हो जाता है।
शुभ रात्रि
आओ मन के शिव संकल्प सूक्त वेद मन्त्र पढ़कर सोएं
उस परमब्रह्म में मन लगा उसके परम् आनंद में खोएं
ओ३म् यज्जाग्रतो —–

🕉🙏🙏🕉

Recommended Articles

Leave A Comment