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गाय का विज्ञान मामूली नही है ।

एक उदाहरण से अपनी बात शुरू करता हूँ , यदि कोई मानव दूसरे को लूटने , मारने , ठगने , दुख पहुंचाने आदि का सोच भी पाता है तो वो आयुर्वेद अनुसार स्व में स्थित नही है यानी स्वस्थ नही है , अब MRI , CBC और ULTRASOUND से तो आप उसे बीमार घोषित नही कर पाएंगे ।

बहुत ज़्यादा गहराइ मे तो नही , किन्तु मोटे तौर पे समझने का प्रयास करते है , शरीर पंच महाभूतों से बना है , अग्नि , वायु , आकाश , पृथ्वी और जल ।
पांच महाभूतों के अद्भुत मिश्रण से तीन दोष और सात दुष्य बनते है ।

जल और पृथ्वी का मेल कफ है, यह मध्यम भारी होता है , बचपन साधारणतः कफ के प्रभाव में रहता है , कफ कल्पनाशीलता , संतुलन , को बढ़ाने वाला है ।

पृथ्वी और अग्नि मिलें तो बना पित्त , सबसे भारी और ऊर्जावान , शरीर मे पाचन से लेकर जोश का ज़िम्मा इसी का है , जवानी मुख्यतः इसके प्रभाव की अवस्था है ।

आकाश और वायु मिले तो वात बना , शरीर की सभी क्रियाएँ इसी के वेग से संभव है , यह सूखाता भी है , दर्द इसके असंतुलन से ही पैदा होते है , बुढापा इसके प्रभाव में होता है ।

वात पित्त कफ के फिर कई प्रकार और उप प्रकार हैं ।

भोजन पचाने से शरीर मे दुष्य बनना शुरू होते हैं , हर दुष्य के अपने मल और आंव होते हैं ।

भोजन पचता है तो रस बनेगा , रस से फिर रक्त , रक्त से मांस , मांस से मेध , मेध से मज्जा , मज्जा से अस्थि , और अस्थि से धातु । सभी दुष्य है, और जब यह दूषित हो जाते है रोग उत्पन्न होते हैं । धातु ( सोम ) का पान जब कोई करे तब उसमें ओझ ( Aura ) और तेज उत्पन्न हो सकता है , अब ऐसा संभव कहाँ , सोम रस माने ग्लेनफ़ेड़ीच या शिवास रीगल समझ लिया है हम पढ़े लिखो ने तो ।

शरीर मे अलग अलग ऊर्जा चक्र है मूल से शुरू करे तो मूलाधार से स्वादिष्ठान फिर मणिपुर , फिर अनाहत , फिर विशुद्ध फिर आज्ञा अंत मे सहस्रार , इन चक्रों को पहचानना और ऊर्जाओं को नियंत्रित और नियामक रखना इनके प्रभावों को जानने से हम ऊर्जाओं द्वारा भी दोषों का संतुलन कर सकते है ।

शरीर की 72000 नाड़ियों में भिन्न भिन्न ऊर्जाओं का संचार सदा रहता है , नाभि इनका केंद्र है ।

अब बात करें गाय की , उसके गव्यों की और उसके साथ हमारे संबंध की ।

गाय ही एक ऐसा प्राणी है जो इस ब्राह्मण से ( cosmos ) सूर्यकेतु नाड़ी द्वारा सभी तरह की ऊर्जाओं को शोधित कर पाने में सक्षम है ( cosmic energies ) , सूर्य की किरण का विश्लेषण सिर्फ सात रंगों तक और पराबैंगनी किरणों तक सीमित नही , किन्तु सूर्य से दो अन्य महत्वपूर्ण ऊर्जाएं गोमाता शोधित कर अपने गव्यों में डाल देती है , यह ऊर्जाएं हैं – प्रज्ञा और क्रिया ।

गाय के सभी गव्य विशुद्ध रूप से महाभूत हैं –
दूध शुद्ध जल है , गोमय पृथ्वी , घी अग्नि , गोमूत्र वायु और छाछ आकाश ।
गव्यों का सेवन किसी भी महाभूत के असंतुलन को संतुलित करने में सक्षम होता है ।

किंतु एक गूढ़ रहस्य की बात यह है कि जब तक कोई स्वेच्छा और प्रेम से न दे या आप उसे आस्था से न लें तो कुछ भी आप खा लीजिये सिर्फ मल ही बना पाएंगे और उससे अधिके कुछ भी नही ।

अब आप सोच रही होंगी की बैक्टीरिया या एंजाइम या मिक्रोबायोम की बात कहां रह गयी ?

शरीर मे सभी शुक्ष्म जीवाणुओं की व्रद्धि , कीटाणुओं का नाश और पांच महाभूतों से निर्मित अंगों और ग्रंथियों में उनके रहने के वातावरण को हम गाय के गव्यों से नियंत्रित अथवा संतुलित कर सकते हैं ।

जैसे प्रो बायोटिक ड्रिंक yaakult की जगह देसी गाय की छाछ पी जाय तो 100 गुना ज्यादा स्वास्थवर्धक बैक्टेरिया मिलेगा , और साथ ही आकाश महाभूत का संतुलन भी होगा ।
और एक उदाहरण से समझे तो जैसे सल्फर की मौजदगी में मवाद वाला बैक्टीरिया या फंगस नही पनप पाता और कैल्शियम होने से रक्त संचार बढ़ता है , अब यह दोनों तत्व गाय के मूत्र से मिल जाये तो बन गयी बात ।

गोमूत्र में लगभग शरीर के लिए सभी खनिज और लवण मौजूद होते है ।

अब बात करें नंदी चिकित्सा की तो , आपने कभी किसी से प्यार तो किया ही होगा , उसके लिए नींदे तो खोई होंगी , और शायद उसके लिए कुछ भी करने का हौसला होगा । जब किसी से प्रेम का ऐसा बंधन हो जाता है तब हम बिना उससे मिले भी अनुभूति कर पाते है कि शायद उसे कोई कष्ट है । और हम उसके कष्ट को जानने और मिटाने के लिए जतन शुरू कर देते हैं ।

अब यह ज़रूरी नही यह प्रेम संबंध एक स्त्री और पुरुष के बीच ही हो सकता है , मा और बेटी में भी होता है , पिता और पुत्र में भी , एक नंदी और उसके गोपाल में भी …..

हम एक नंदी को उत्तम औषधि खिला कर , उस का संबंध पीड़ित मानव से जब स्थापित करने में कामयाब हो जाते है तो जो करुणा और प्रेम भाव से उस नंदी की गव्य प्राप्त होते है उनकी ऊर्जा का वर्णन संभव नही है । तब वहां शुरू होती है pranic healing , नंदी का प्रेम और उसका ओझ , उसके ऊर्जा चक्र , उसकी आत्मा अब सब आप के लिए कार्य करती है ।

नंदी के मूत्र में और कुछ बनस्पतियों के योग से हम मानव के डीएनए तक पर काम कर सकते है ।

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