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पित्त की पथरी

आजकल कुछ बीमारियां ऐसी हैं जो साइंस की तरक्की की तरह ही बढ़ती जा रही हैं। यहां हम वैज्ञानिकों द्वारा किए जा रहे आविष्कारों को घेरे में नहीं ले रहे, अपितु यह बताना चाहते हैं कि भले ही साइंस ने इतनी तरक्की कर ली हो लेकिन कुछ बीमारियां ऐसी हैं जो खत्म होने की बजाय और भी बढ़ती चली जा रही हैं। इन्हीं शारीरिक परेशानियों में से एक है ‘पित्त (गॉल ब्लैडर) की पथरी’।

परेशानी का सबब

लेकिन क्यों इतनी सक्रिय है यह बीमारी? और कैसे बनती है ऐसी परेशानी? दरसला पित्ताशय की पथरी बनने के कारणों का अभी तक पता नहीं चला है, लेकिन माना जाता है कि यह मोटापे, डायबिटीज, आनुवांशिक तथा रक्त संबंधी बीमारियों की वजह से हो सकती है।

पित्ताशय में पथरी

आमतौर पर 85 प्रतिशत लोगों के पित्ताशय में यह पथरी चुपचाप पड़ी रहती है। इनसे कोई कष्ट नहीं होता। जिन लोगों को पेट के दाएं ऊपरी हिस्से में दर्द होता है उन्हें पथरी की समस्या हो सकती है।

दो प्रकार की पथरी

पथरी वैसे दो प्रकार की होती है – पहली पित्त की पथरी और दूसरी किडनी की पथरी। किडनी में बनी पथरी अधिक परेशान नहीं करती, कष्टदायी वह भी होती है किंतु कुछ साधारण प्राकृतिक उपायों से यह पथरी अपने आप ही मूत्र मार्ग से बाहर निकल जाती है। किंतु जो अधिक परेशानी वाली बात है वह है पित्त की पथरी ।

गॉल ब्लैडर की पथरी

गॉल ब्लैडर जिसे हम ‘पित्ताशय’ कहते हैं वह हमारे लीवर के ठीक साथ होता है। यह नाशपाती के आकार का थैलीनुमा अंग होता है जो हमारे लीवर के ठीक नीचे पाया जाता है। सामान्यतः इसका कार्य पित्त को इकट्ठा करना एवं उसे गाढ़ा करना है।

पाचक रास के लिए

यदि आप नहीं जानते तो बता दें कि ‘पित्त’ एक पाचक रस है जो कि लीवर द्वारा बनाया जाता है। यह वसायुक्त पदार्थों के पाचन में मदद करता है। यह पित्त हमारे शरीर को किसी प्रकार का नुकसान ना पहुंचाए इसका ख्याल रखता है ‘गॉल ब्लैडर’।

सैकड़ों की संख्या में हो पत्थर

लेकिन कुछ कारणों से इसी पित्ताशय में पथरियां बन जाती हैं। यह पत्थर सैकड़ों की संख्या में हो सकते हैं, छोटे या बड़े साइज में भी। डॉक्टरों का यह मानना है कि ये पत्थर पित्त की थैली में बार-बार सूजन आने के कारण बनते हैं।

सर्जरी होती है

गॉल ब्लैडर में से पथरी निकालने के लिए सामान्यत: आपने ऑप्रेशन के बारे में ही सुना होगा। इस ऑप्रेशन के दौरान रोगी के शरीर से यह गॉल ब्लैडर निकाल बाहर कर दिया जाता है। उस समय रोगी को आराम तो मिल जाता है लेकिन उसके भविष्य के लिए खड़े हो जाते हैं कुछ संकट। उसकी पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है और थोड़े भी वसा युक्त खाद्य पदार्थ वह ग्रहण नहीं कर सकता।

घरेलू उपाय

लेकिन यदि कोई ऑप्रेशन से बचना चाहता है और साथ ही पित्त की पथरी से छुटकारा पाना चाहता है तो एक उपाय है। यह एक उपाय आपको जादू जैसा लगेगा, क्योंकि यह शत-प्रतिशत सफल होता है।

घरेलू उपाय

इसके लिए आप कुल 5 दिनों तक एप्पल जूस पीयें। सेब का यह रस घर पर ही बनाएं, बाजारी डिब्बे वाला जूस ना लें। साथ ही इन पांच दिनों में दिनभर में 3-4 सेब भी खाएं। छठे दिन आप रात का खाना ना लें।

घरेलू उपाय

इस छठे दिन शाम 6 बजे आप गुनगुने पानी के साथ एक चम्मच सेंधा नमक, जिसे हम पहाड़ी नमक भी कहते हैं, वह लें। इसके ठीक 2 घंटे बाद 8 बजे फिर से गर्म पानी के साथ एक चम्मच सेंधा नमक लें।

घरेलू उपाय

अंत में रात 10 बजे आधा कप जैतून यानि कि ऑलिव ऑयल को आधा कल नींबू के रस में मिलाकर पी जाएं। अगले दिन सुबह आपको स्टूल के साथ कुछ हरे पत्थर मिलेंगे।

मिलेगा परिणाम

तो देखा आपने कि जिस पथरी को एलोपैथ में केवल सर्जरी से बाहर करने का उपाय मौज़ूद है, उसी को कितनी सहजता और बिना किसी दर्द के बाहर करने का अचूक उपाय जड़ी-बूटियों के द्वारा किया जा सकता है। सबसे रोचक बात ये है कि इस विधि को अपनाने से कोई साइड इफेक्ट भी नहीं और इसे कितनी भी उम्र के लोग अपना सकते है..

कोई भी आयुवेदिक औषधि परयोग करने से पहले किसी आयुवेदाचार्य से सलाह ले व उनके मारगदर्शन मे ले।

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