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गायत्री मंत्र क्यों और कब ज़रूरी है
☀सुबह उठते वक़्त 8 बार ❕✋✌👆❕अष्ट कर्मों को जीतने के लिए !!

🍚🍜 भोजन के समय 1 बार❕👆❕ अमृत समान भोजन प्राप्त होने के लिए !!

🚶 बाहर जाते समय 3 बार ❕✌👆❕समृद्धि सफलता और सिद्धि के लिए !!

👏 मन्दिर में 12 बार ❕👐✌❕
प्रभु के गुणों को याद करने के लिए !!

😢छींक आए तब गायत्री मंत्र उच्चारण ☝1 बार अमंगल दूर करने के लिए !!

सोते समय 🌙 7 बार ❕✋✌ ❕सात प्रकार के भय दूर करने के लिए !!

कृपया सभी बन्धुओं को प्रेषित करें 👏👏 !!!

ॐ , ओउम् तीन अक्षरों से बना है।
अ उ म् ।
“अ” का अर्थ है उत्पन्न होना,

“उ” का तात्पर्य है उठना, उड़ना अर्थात् विकास,

“म” का मतलब है मौन हो जाना अर्थात् “ब्रह्मलीन” हो जाना।

ॐ सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और पूरी सृष्टि का द्योतक है।

ॐ का उच्चारण शारीरिक लाभ प्रदान करता है।

जानीए

ॐ कैसे है स्वास्थ्यवर्द्धक
और
अपनाएं आरोग्य के लिए ॐ के उच्चारण का मार्ग…

  1. ॐ और थायराॅयडः-
    ॐ का उच्‍चारण करने से गले में कंपन पैदा होती है जो थायरायड ग्रंथि पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
  2. ॐ और घबराहटः-
    अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है तो ॐ के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं।
  3. ॐ और तनावः-
    यह शरीर के विषैले तत्त्वों को दूर करता है, अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है।
  4. ॐ और खून का प्रवाहः-
    यह हृदय और ख़ून के प्रवाह को संतुलित रखता है।
  5. ॐ और पाचनः-
    ॐ के उच्चारण से पाचन शक्ति तेज़ होती है।
  6. ॐ लाए स्फूर्तिः-
    इससे शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है।
  7. ॐ और थकान:-
    थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं।
  8. ॐ और नींदः-
    नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है। रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसको करने से निश्चिंत नींद आएगी।
  9. ॐ और फेफड़े:-
    कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मज़बूती आती है।
  10. ॐ और रीढ़ की हड्डी:-
    ॐ के पहले शब्‍द का उच्‍चारण करने से कंपन पैदा होती है। इन कंपन से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और इसकी क्षमता बढ़ जाती है।
  11. ॐ दूर करे तनावः-
    ॐ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव-रहित हो जाता है।

आशा है आप अब कुछ समय जरुर ॐ का उच्चारण करेंगे। साथ ही साथ इसे उन लोगों तक भी जरूर पहुंचायेगे जिनकी आपको फिक्र है
“पहला सुख निरोगी काया”

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