मैदा के बने खाद्य पदार्थ क्यों नहीं खाने चाहिऐ ?
- जैसे ही मैदा से बने चीजें – समोसे, कचौरी, ब्रेड, पाव, बिस्किट, खारी, टोस्ट, नानखटाई, पास्ता, बर्गर, पिज्जा, नूडल्स, नाॕन, तंदूरी रोटी आदि खाते हैं, शरीर में शर्करा (शुगर) का लेवल बढ जाता है (क्योंकि मैदा में ग्लाइसेमिक इंडेक्स ज्यादा होता है) इसलिए अग्न्याशय (Pancreas) को पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन छोड़ने के लिए जरूरत से ज्यादा सक्रिय होना पड़ता है। लेकिन मैदा का बहुत अधिक सेवन हो तो इंसुलिन का बनना धीरे-धीरे कम हो जाता है और डायबिटीज हो जाती है।
- मैदा में अलोक्जल केमिकल होता है जो अग्न्याशय (Pancreas) की इंसुलिन बनाने वाली बीटा कोशिकाओं को मारकर टाइप 2 डायबिटीज पैदा करता है।
- मैदा कब्ज करता है। क्योंकि इसके कण बहुत ही बारीक हैं, डाइजेसिटिव जूस इसमें मिक्स ना होने से पूरा डाइजेसन नहीं हो पाता है।
- मैदा को ‘सफेद जहर’ और ‘आंत का गोंद’ भी कहते हैं।
- मैदा से बने ढेरों चीजें एसिडिटी बढाती हैं व इसको बेलेन्स करने के लिए हड्डियों से कैल्शियम सोख लेती है जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, और लम्बे समय तक इनके सेवन से स्थायी सूजन, गठिया आदि कष्टसाध्य बीमारियां हो जाती हैं।
- अधिक मात्रा में मैदे के सेवन से हानिकारक कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) का बढ़ जाता है। इसके कारण वजन बढ़ने, हाई ब्लड प्रेशर और चित्त में अस्थिरता (मूड स्विंग) की शिकायत हो जाती है।
- मैदा और इससे बनी चीजों का अधिक मात्रा में सेवन आपको मोटापे की ओर ले जाता है। इसके अलावा, इसके सेवन से आपको अधिक भूख महसूस होती है और मीठा खाने की तलब बढ़ जाती है।
- मैदा से एलर्जी भी हो सकती है क्योंकि इसमें ग्लूटेन भी ज्यादा होता है।
- मैदा और इससे बनी चीजें आंतों में चिपक जाते हैं। इसमें पोषक तत्व व फाइबर नहीं होता जिससे पाचन प्रक्रिया धीमी हो जाती है और फलस्वरूप मेटाबोलिज्म सुस्त पड़ जाता है जिस से अपच की समस्या होने लगती है।
इसके अलावा यह तनाव, सिरदर्द और माइग्रेन का कारण भी बन जाता है।