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पुरानी से पुरानी कब्ज से छुटकारा पाने के आसान उपाय

कब्ज़ होना, मल का साफ नहीं होना एक साधारण रोग है, पर यह सारे संसार में फैला हुआ है। क़ब्ज़ सभी रोगों का मूल कारण है। इसे सभी रोगों की माँ भी कह सकते हैं इसके प्रति लापरवाही बरतने से नाना प्रकार के रोग हो जाते हैं। हमारे शास्त्रों में इस विषय में लिखा गया है-
‘सर्वेषामेव रोगाणां निदानं कुपिता मलाः’
अर्थात् सभी रोगोंका कारण मल का कुपित होना ही है।

जानिये कब्ज क्यों होता है ?

क़ब्ज़ होनेका प्रधान कारण है-अनुचित खानपान तथा रहन-सहन। इनके अतिरिक्त और भी कारण हैं, जैसे-शौच के वेग को रोकना, पानी कम पीना, शीघ्रतापूर्वक भोजन करना, समय पर भोजन नहीं करना, बिना पूरी तरह चबाये भोजन करना, भूखसे अधिक भोजन करना, गरिष्ठ भोजन करना, नींदकी कमी और मानसिक चिन्ता आदि।

कब्ज से कैसे बचें ?

✥ क़ब्ज़ नहीं रहे इसके लिये पहला काम है। सूर्योदयसे पहले उठकर एक-दो गिलास गुनगुना पानी पीना। इसे उष:पान कहते हैं। इसके बाद कुछ देर टहलना और शौच जाना, भोजन समयपर करना और खूब चबाकर करना क़ब्ज़ियत दूर रखनेके लिये आवश्यक है।
✥ दोपहरके भोजनमें चोकरसहित आटेकी रोटी, हरी सब्जी, कच्चा सलाद और मट्ठा लेने चाहिये।
✥ तली-भुनी चीजें न खायँ। मैदाकी बनी चीजें कभी न खायें।
✥ भोजन हलका, सुपाच्य और संतुलित हो इसका ध्यान रखे।
✥ तीसरे पहर कोई मौसमी फल खाना चाहिये।
✥ रातका भोजन सोनेके कम-से-कम दो घंटे पहले अवश्य कर ले।
✥ भोजन करते समय या भोजनके तुरंत बाद पानी न पिये।
✥ सोते समय एक गिलास गरम दूध पीना चाहिये। सम्भव हो तो त्रिफला या आँवला या हल्दी या दालचीनी या अरण्ड तेल या सौफ या गुड़ या मिश्री या मेथी या सौठ या कालीमिर्च या लहसुन अपने स्वास्थ्य के अनुसार दूध के साथ लें
✥जिन्हें दूध हजम नहीं होता या सुलभ न हो, उन्हें एक गिलास पानी पीना चाहिये।
इस प्रकार की दिनचर्या से क़ब्ज़ नहीं होगा। क़ब्ज़ न रहना सुखी जीवनका प्रथम सोपान है।
कभी क़ब्ज़ हो जाय तो उसे दूर करनेके कुछ उपाय यहाँ प्रस्तुत हैं, उन्हें काममें लिया जा सकता है

पुरानी से पुरानी कब्ज दूर करने के उपाय :

1- बेल क़ब्ज का सबसे बड़ा शत्रु है। चैत्र, वैशाख और ज्येष्ठमें पके बेल आते हैं। जो पके बेलका सेवन करते हैं, उन्हें क़ब्ज़ कभी नहीं होता। अन्य महीनों में कच्चे बेलका मुरब्बा खाना चाहिये। बेलका गूदा पेटमें जाते ही आगे बढ़ने लगता है और आँतों में चिपके मलको धकेलकर मलाशयमें पहुँचा देता है। शौच महसूस होते ही मल सरलतासे बाहर निकल जाता है।
2- क़ब्ज़ दूर करनेमें भुने चनेका सत्तू बहुत सहायक है। प्रात:-सायं पचास ग्राम सत्तू पानीमें घोलकर पिये।
3- गुलाब-फूल की पत्तियोंसे बना गुलकन्द पचीस ग्राम खाकर एक गिलास गरम दूध सोते समय पी ले-क़ब्ज़ दूर होगा।
4- क़ब्ज़ दूर करने में ईसबगोलकी भूसीकी भी – महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
5-एरण्ड तेल (रेडीका तेल) में सेंकी हुई छोटी हरे को महीन पीस ले और । ईसबगोल की भूसी बराबर मात्रा में डालकर मिला ले।
इस मिश्रण को एक या दो चम्मच की मात्रा में मुँह में डालकर ऊपर से एक गिलास गुनगुना पानी पी ले। यह काम रात्रि में सोते समय करे। प्रात: मल सुगमता से बाहर निकल जायगा।
6- नित्य योगासन करे, क़ब्ज़ नहीं रहेगा। योगासनों में पश्चिमोत्तानासन, वज्रासन, उत्तानपादासन, जानुशिरासन और पवनमुक्तासन आदि क़ब्ज़ दूर करने में बड़े सहायक हैं।

निरोगी रहने हेतु महामन्त्र

मन्त्र 1 :-

• भोजन व पानी के सेवन प्राकृतिक नियमानुसार करें

• ‎रिफाइन्ड नमक,रिफाइन्ड तेल,रिफाइन्ड शक्कर (चीनी) व रिफाइन्ड आटा ( मैदा ) का सेवन न करें

• ‎विकारों को पनपने न दें (काम,क्रोध, लोभ,मोह,इर्ष्या,)

• ‎वेगो को न रोकें ( मल,मुत्र,प्यास,जंभाई, हंसी,अश्रु,वीर्य,अपानवायु, भूख,छींक,डकार,वमन,नींद,)

• ‎एल्मुनियम बर्तन का उपयोग न करें ( मिट्टी के सर्वोत्तम)

• ‎मोटे अनाज व छिलके वाली दालों का अत्यद्धिक सेवन करें

• ‎भगवान में श्रद्धा व विश्वास रखें

मन्त्र 2 :-

• पथ्य भोजन ही करें ( जंक फूड न खाएं)

• ‎भोजन को पचने दें ( भोजन करते समय पानी न पीयें एक या दो घुट भोजन के बाद जरूर पिये व डेढ़ घण्टे बाद पानी जरूर पिये)

• ‎सुबह उठेते ही 2 से 3 गिलास गुनगुने पानी का सेवन कर शौच क्रिया को जाये

• ‎ठंडा पानी बर्फ के पानी का सेवन न करें

• ‎पानी हमेशा बैठ कर घुट घुट कर पिये

• ‎बार बार भोजन न करें आर्थत एक भोजन पूणतः पचने के बाद ही दूसरा भोजन करें



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