: 🌻यौन शक्ति दायक और उत्तम वाजीकारक लहसुन पाक अनेक रोगों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दे..!!
मर्दाना ताक़त, जोड़ो का दर्द , (सन्धिवात ), सायटिका, हिचकी, श्वास, सिर दर्द, अपस्मार, गुल्म, उदर रोग, प्लीहा, कृमि, शौथ, अग्निमान्ध, पक्षाघात, खांसी, शूल आदि के लिए उत्तम औषिधि – लहसुन पाक।
🌺लहसुन पाक पोष्टिक आहार के रूप में वाजीकारक योग हैं। विवाहित पुरुषों के लिए यौन शक्तिदायक वृद्धक तो होता ही है साथ ही शरीर की सप्त धातुओं को पुष्ट और सबल करके शरीर को सुडौल और बलवान बनाने वाला भी है। आइये जाने लहसुन पाक बनाने की विधि।
🌹बनाने की विधि :—-
लहसुन की 100 ग्राम कलियोँ को , इनका छिलका अलग करके , काट कर छोटे-छोटे टुकड़े कर लें। एक लीटर दूध में एक गिलास पानी डाल कर, ये सभी टुकड़े डाल दें और गरम होने के लिए रख दें। उबल जाने पर जब दूध गाढ़ा हो जाये और मावा जैसा बन जाये तब उतार कर ठंडा कर लें और मिक्सी में पीसकर लुगदी बना लें।
🌻एक कढाई में थोडा सा शुद्ध देशी घी गरम करके इस लुगदी को डाल दें और धीमी ( मंदी ) आंच पर पकाएं। जब लाल हो जाये तब इसे उतार लें यदि घी बच जाए तो अलग कर लें। अब इसमें आवश्यक मात्रा में शक्कर की चाशनी तैयार करें।स्नेहा आयुर्वेद ग्रुप
🍁भुनी हुई लुगदी और केशर 1 ग्राम , लौंग 2 ग्राम ,जायफल 2 ग्राम ,दालचीनी 2 ग्राम , और सौंठ 5 ग्राम — इन सबको बारीक़ पीसकर चाशनी में डाल दें और भली-भांति मिला लें और थाली में फैला कर जमा लें यही लहसुन पाक है।
🍃लाभ और प्रयोग विधि :—-
यह पाक सुबह शाम ( रात को सोने से पहले ) एक-एक चम्मच की मात्रा में, मिश्री मिले हुए हलके गरम दूध के साथ कम से कम 60 दिन तक सेवन करना चाहिए।
🥀इसके सेवन से जोड़ो का दर्द , (सन्धिवात ), सायटिका , हिचकी , श्वास , सिर दर्द, अपस्मार , गुल्म , उदर रोग , प्लीहा ,कृमि ,शौथ , अग्निमान्ध, पक्षाघात, खांसी, शूल, आदि अनेक रोगों को निरोगी बनाने में सहायक होता है तथा स्नायविक संस्थान की कमजोरी, व् यौन शिथिलता दूर करके बल प्रदान करता है।स्नेहा समूह
🍂एसे रोगों से ग्रस्त रोगी के अलावा यह पाक प्रौढ़ एवम वृद्ध स्त्री पुरुषों के लिए शीतकाल में सेवन योग्य उत्तम योग है।
🍃सर्दियों मे आयुर्वेद का विशेष उपहार – सोंठ पाक
आयुर्वेद में एक से बढ़ कर एक ऐसे दिव्य योग उपलब्ध है जिनका सेवन करके शरीर में शक्ति का संचार किया जा सकता है। सौंठ दुनिया की सर्वश्रेष्ठवातनाशक औषधि है, सौंठ पाक सौंठ से बानी हुयी आयुर्वेद की उत्तम औषिधि हैं जो सर्दियों में अमृत समान हैं। सर्दियों में सोंठ पाक का कैसे उपयोग किया जाए, आइये जाने इसके बारे में।
🌺सोंठ पाक
🍃सोंठ 320 ग्राम
🥀देशी घी 800 ग्राम (यदि गाय का घी मिले तो बहुत अच्छा)स्नेहा आयुर्वेद ग्रुप
🌻दूध 5 लीटर(यदि गाय का हो तो अधिक अच्छा )
🍃चीनी 2 किलो (चीनी के स्थान पर मिश्री या खांड ले तो अधिक गुणकारी होगा)
💐सोंठ, काली मिर्च, पीपल, दालचीनी, छोटी इलायची, तेजपता प्रत्येक 10ग्राम लेवें। स्नेहा समूह
🍂इस तरह से कुल तैयार मिश्रण लगभग 4 किलो बनता है। कम बनाने के लिए दिए गए तौल के अनुपात मे कम या अधिक बना सकते है। सोंठ पिसी हुई ले या खुद पिसे, परंतु उसमे घुन न लगा हो। बहुत दिनो की पिसी हुई न ले यदि साबुत सोंठ को खुद पिसें तो अधिक गुणकारी होगा। सबसे पहले सोंठ व दूध को मिलाकर इतना पकाए की इसका खोया (मावा) बन जाए। अब इसमें घी मिला लें। घी मिलाकर खोये को इतना भुने कि लगभग सूख जाए। इसके बाद आग से उतार कर इसमे पिसी हुई चीनी या मिश्री मिलाकर दूसरी औषधियाँ भी मिला दे। ध्यान रहे खोये मे पानी कम रहे नहीं तो ये खराब हो जाएगा।
💐इसके सेवन के फायदे निम्नलिखित हैं।
🌾1. सर्दी मे बार बार होने वाले खांसी जुकाम से बचाएगा।
2.🌾 डिप्रेशन मे अत्यंत लाभकारी है।
3🌸. चलते फिरते समय चक्कर आने मे लाभकारी है ।
4🌷. आमवात अर्थात जोड़ों के दर्द मे फायदा करता है।
- 🌾बालो को समय से पहले सफ़ेद होने से रोकता है।
6.🍁 पुरुषों के रोगों मे भी फायदा करती है।स्नेहा समूह
🌹मात्रा और सेवन विधि :-
अपनी पाचन शक्ति के अनुसार 25 ग्राम से 50 ग्राम वजन में, सुबह खाली पेट खूब चबा-चबाकर खाएं और ऊपर से मीठा गुनगुना दूध पियें।
🍂सावधानी
मधुमेह के रोगी इससे बचें या डॉक्टर की सलाह से लें। यदि पाचन शक्ति अच्छी न हो तो उसे अवश्य बढ़ाने के उपाय करें अन्यथा इस बहुमूल्य औषधि का पूरा लाभ नहीं मिलेगा। इसे बच्चे बूढ़े जवान स्त्री पुरूष सभी ले सकते है बस मात्रा का ध्यान रखें। कोशिश करें की सर्दी के मौसम में ही सेवन करें बहुत अधिक गर्मीं में इसका सेवन नहीं करें। क्योंकि स्वभाव से यह योग उष्ण प्रकृति का है।