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: #भोजन के #मेल

हमारे #जीवन में यह #जानकारी रखना बहुत जरूरी है कि कौन-कौन से #भोजन का #मेल #सही है या कौन-कौन से गलत। #आयुर्वेद में भी भोजन के मेल पर बहुत सारी #बातें बताई गई हैं। इसमें कई #पदार्थ एक दूसरे से मिलकर #जहर के सामान हो जाते हैं जैसे #शहद और #घी बराबर खाने से #जहर बन जाता है।

भोजन के अलग-अलग #तत्वों को #पचाने के लिए अलग अलग पाचक रसों की जरूरत पड़ती है। श्वेतसार की #पाचनक्रिया क्षार #रस से होती है जबकि प्रोटीन को #अम्ल पचाता है। अगर दोनों प्रकार के भोजन साथ साथ खाये जायेंगे तो दोनों के पाचक रस साथ साथ बनेंगे। इस तरह अम्ल रस और क्षार रस मिलकर #प्रभावहीन हो जाते हैं जिससे प्रोटीन सड़नें शुरू हो जाते हैं। जिससे पाचनक्रिया काम नहीं करती है।

इसी प्रकार एक ही समय में कई #वस्तुएं #सब्जी, #फल, #अचार,#दही, #खीर, #मिठाई, #पापड़, आदि एक साथ खाने से रासायनिक क्रिया शुरू हो जाती है और पाचन तंत्र खराब हो जाता है।

एक समय में एक ही प्रकार का खाना खाना उचित आहार है। यह सही है मिश्रित भोजन गलत कदम है। एक टाईम में कम से कम खानों के मिश्रण को आसानी से पचाया जा सकता है।

भोजन में एक समय फल और एक समय सलाद लेना चाहिए। इसे एकाहार भी कहते हैं।

अनुचित मेल-

दूध और दही के साथ केला।दूध या दही के साथ मूली।दूध के साथ दही।शहद के साथ गर्म जल व और कोई गर्म पदार्थ।शहद और मूली।खिचड़ी और खीर।दूध के साथ खरबूजा, खीरा, ककड़ी।दही, पनीर।फलों के साथ सब्जियां।रात में मूली या दही।गर्म दही।कांसे के बर्तन में दस दिन तक रखा हुआ घी।दाल के साथ शकरकन्द, आलू, कचालू।दाल और चावल या दाल और रोटी।दूध या दही के साथ रोटी।

जानकारी-

जिन्हें रोटी और चावल के साथ दाल खानी हों उन्हें अच्छी मात्रा में सब्जी का भी सेवन करना चाहिए।

उचित मेल-

आम और गाय का दूध।दूध और खजूर।चावल और नारियल की गिरी।दाल और दही।अमरूद के साथ सौंफ।बथुआ और दही का रायता।गाजर और मेथी का साग।दही और आंवला चूर्ण।श्वेतसार के साथ साग सब्जी।मेवे के साथ खट्टे फल।दाल और सब्जी।सब्जी व चावल की खिचड़ी।रोटी के साथ हरे पत्ते वाली सब्जी।अंकुरित दालें और कच्चा नारियल।
[: पुराने समय की कहावत है – – –

चैते गुड़, वैसाखे तेल । जेठ के पंथ¹, अषाढ़े बेल ।।
सावन साग, भादौ दही²। कुवांर करेला, कार्तिक मही³ ।।
अगहन जीरा, पूसै धना। माघे मिश्री, फागुन चना।।
जो कोई इतने परिहरै, ता घर बैद पैर नहीं धरै।।।।

किस माह में क्या न खाएँ

_आवश्यक निर्देश

चैत्र माह में नया गुड़ न खाएं
(15 March -15 April)

बैसाख माह में नया तेल न लगाएं
(16 April-15 May)

जेठ माह में दोपहर में नहीं चलना चाहिए
(16 May-15 June)

अषाढ़ माह में पका बेल न खाएं
(16 June -15 July )

सावन माह में साग न खाएं
(16 July -15 August)

भादों माह में दही न खाएं
(16 August-15 September )

क्वार माह में करेला न खाएं
(16 September -15 October )

कार्तिक माह में जमीन पर न सोएं
(16 October-15 November )

अगहन माह में जीरा न खाएं
(16 November -15 December)

पूस माह में धनिया न खाएं
(16 Dec- 15 Jan)

माघ माह में मिश्री न खाएं
(16 Jan -15 February)

फागुन माह में चना न खाएं
(16 February – 14 March )

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