🌹मलेरिया बुखार का सरल इलाज
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🌹तुलसी के हरे पत्तों तथा काली मिर्च को बराबर मात्रा में लेकर, बारीक पीसकर गुंजा जितनी गोली बनाकर छाया में सुखावें। 2-2 गोली तीन-तीन घण्टे के अन्तर से पानी के साथ लेने से मलेरिया में लाभ होता है।
🌻नीम अथवा तुलसी का 20 से 50 मि.ली. काढ़ा या तुलसी का रस 10 ग्राम और अदरक का रस 5 ग्राम पीने से मलेरिया में लाभ होता है।
🌻करेले के 1 तोला रस में 2 से 5 ग्राम जीरा डालकर पीने से अथवा रात्रि में पुराने गुड़ के साथ जीरा खिलाने से लाभ होता है।
🌻पुदीना एवं तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम लेने से अथवा पुदीना एवं अदरक का रस 1-1 चमच सुबह-शाम लेने से लाभ होता है |
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🌹इरिटेबल बाउल सिंड्रोम 🌹के लिए घरेलु रामबाण उपचार।
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम आंतो का एक रोग हैं। जिसमे अचानक बैठे बैठे एक दम से आंतो में दर्द होता हैं और मल आने का अनुभव होता हैं। इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के रोगी प्राय: बार बार दस्त जाना, पेट फूलना, कब्ज, पेट दर्द से दुखी रहते हैं। यह बीमारी लम्बे समय तक चलती रहती हैं। इरिटेबल बाउल सिंड्रोम रोग में लम्बे समय से दस्त होते हैं, नित्य ही पांच छ: बार पतले दस्त होते हैं , गैस बहुत निकलती ह
🍂ये रोग ज़्यादातर अधिक चिंता तनाव की वजह से या बे सर पैर का कुछ भी खाने पीने की वजह से होता हैं। इसलिए इसका इलाज करने से पहले व्यक्ति को तनाव और चिंता को त्याग कर एक स्वस्थ मन का निर्माण करना चाहिए। और भोजन में बहुत परहेज करना चाहिए. सिर्फ पाचक भोजन ही करना चाहिए.
🌺आपने कभी गौर किया होगा जब आपको एक दम से भयंकर चिंता या तनाव हो जाता हैं तो एक दम से पेट में दर्द होता हैं और शौच जाना पड़ता हैं। तनाव और चिंता को दूर करने के लिए ध्यान, प्राणायाम और योगा का सहारा लिया जाना उचित हैं।
🥀इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के घरेलु उपचार।
🌺धनिया।
एक चम्मच साबुत बिना पिसा हुआ धनिया एक चम्मच बूरा खांड(चीनी) दोनों चबा चबाकर खाए और अंत में पानी से निगल जाएँ। दस्त पेट के रोगो में लाभ होगा।
रात को धनिया पानी में भिगोकर प्रात : पानी छानकर बूरा खांड(चीनी) या शक्कर मिलाकर नित्य पियें। ये प्रयोग अनेक लोगो पर सफलता पूर्वक आज़माया हुआ हैं।
🌻बेल, धनिया, मिश्री, सौंफ।
अमीबोबायसिस, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम, कई बार दस्त जाना, आंव, पेचिश, आदि पाचन तंत्र के रोग, चाहे नया रोग हो चाहे पुराना हो इनमे ये निम्नलिखित प्रयोग बहुत सफल हैं।
🌸पिसा हुआ धनिया, मिश्री, सौंफ, बेल(बेलगिरी के फल) का चूर्ण इनको 100 – 100 ग्राम की मात्रा में मिलाये। अब इसमें एक चौथाई भाग अर्थात 25 ग्राम पीसी हुई सौंठ मिलाकर इस मिश्रण की दो दो चम्मच खाने से एक घंटा पहले चार बार पानी से फंकी ले।
🌻हल्दी।
इस रोग में हल्दी बहुत लाभ करती हैं। भोजन के एक घंटा पहले या बाद में आधा चम्मच पिसी हल्दी की फंकी ठन्डे पानी से नित्य लीजिये। आंतो के रोगो में हल्दी बहुत गुणकारी हैं।
🌹इसबगोल।
इसबगोल इरिटेबल बाउल सिंड्रोम में बहुत लाभकारी हैं। इसबगोल फाइबर का बहुत अच्छा स्त्रोत हैं। ये मल को बांधकर रखता हैं। और इस रोग में तो ये रामबाण हैं। भोजन के १५ मिनट पहले एक चम्मच इसबगोल का छिलका ठन्डे पानी के साथ लेना चाहिए।
🌻घर पर बनाये चूर्ण.
सोंठ, नागरमोथा, अतीस और गिलोय ये सभी पंसारी (जो आयुर्वेदिक कच्ची दवा बेचता है) से मिल जाएँगी. इन सब का बराबर चूर्ण लेके मिक्स कर लें। फिर 10gm चूर्ण लेके 400ml पानी मे डाल के उबालिये फिर 100ml बच जाए तो उतार कर छान लीजिये। यह सुबह शाम खली पेट सेवन करना है।
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