पानी तेल या दूध का कुल्ला करने के चमत्कारिक फायदे
हमारी परम्पराएँ और घरेलु ज्ञान इतना ज़बरदस्त है के अगर हम इन पर थोडा भी ध्यान देवें तो बिना दवा के भी स्वस्थ रह सकते हैं.
आज आपको ऐसी ही एक विधि से परिचित करवा रहें हैं जिसका नाम है कुल्ला.
कुल्ला एक ऐसी विधि है जिससे आप बिना दवा के जुकाम, खांसी, श्वांस रोग, गले के रोग, मुंह के छाले, शरीर को डी टोक्सिफाय करने, गर्दन के सर्वाइकल जैसे रोगों से मुक्ति पा सकते हैं. आइये जानते हैं कुल्ला करने की सही विधि और इसके चमत्कारिक लाभ.
पानी का कुल्ला
मुंह में पानी का कुल्ला तीन मिनट तक भर कर रखें. इससे गले के रोग, जुकाम, खांसी, श्वांस रोग, गर्दन का दर्द जैसे कड़कड़ाहट से छुटकारा मिलता है. नित्य मुंह धोते समय, दिन में भी मुंह में पानी का कुल्ला भर कर रखें. इससे मुंह भी साफ़ हो जाता है.
मुंह में पानी का कुल्ला भर कर नेत्र धोएं. ऐसा दिन में तीन बार करें. जब भी पानी के पास जाएँ मुंह में पानी का कुल्ला भर लें और नेत्रों पर पानी के छींटे मारें, धोएं. मुंह का पानी एक मिनट बाद निकाल कर पुनः कुल्ला भर लें. मुंह का पानी गर्म ना हो इसीलिए बार बार कुल्ला नया भरते रहें.
भोजन करने के बाद गीले हाथ तौलिये से नहीं पोंछे. आपस में दोनों हाथों को रगड़ कर चेहरा व् कानों तक मलें. इससे आरोग्य शक्ति बढती है. नेत्र ज्योति ठीक रहती है.
गले के रोग, सर्दी जुकाम या श्वांस रोग होने पर थोडा गुनगुना पानी ले कर इसमें सेंधव् (सेंधा) नमक मिला कर कुल्ला करना चाहिए, इस से गले, कफ, ब्रोंकाइटिस जैसे रोगों में बहुत फायदा होता है.
तेल का कुल्ला
सुबह सुबह बासी मुंह में सरसों या तिल का तेल भर कर पूरे 10 मिनट तक उसको चबाते रहें, ध्यान रहे ये निगलना नहीं है, ऐसा करने से मुंह और दांतों के रोग तो सभी ठीक होंगे ही, साथ में पूरी बॉडी डी टोक्सिफाय होगी. अनेक रोगों से मुक्त होने की इस विधि को तेल चूषण विधि कहा जाता है. आयुर्वेद में इसको गण्डूषकर्म कहा जाता है और पश्चिमी जगत में इसको आयल पुल्लिंग के नाम से जाना जाता है.
दूध का कुल्ला.
अगर मुंह में या गले में छाले हो जाएँ और किसी भी दवा से ठीक ना हो रहें हो तो आप सुबह कच्चा दूध (अर्थात बिना उबला हुआ ताज़ा दूध) मुंह में कुछ देर तक रखें. और ध्यान रहे इस दूध को आपको बाहर फेंकना नहीं है. इसको मुंह में जितना देर हो सके 10 से 15 मिनट तक रखें, कुछ देर बाद बूँद बूँद कर के ये गले से नीचे उतरने लगेगा.. इस प्रयोग को दिन में 2-4 बार कर सकते हैं. आपको मुंह, जीभ और गले के छालो में पहले ही दिन में आराम आना शुरू हो जायेगा.🙏🙏
शरीर की कमजोरी ,दुबलापन का कारण व उपचार :
★ कोई भी दुबली-पतली, लम्बी, सुडौल शरीर वाली लड़की किसी के भी आकर्षण का केन्द्र बन सकती है। लेकिन दुबली-पतली लड़की का मतलब यह नहीं है कि उसके शरीर की हडि्डयां दिखाई दें, गाल अन्दर की ओर घुसे हुए हों, आंखों के आस-पास काले घेरे पड़े हों और स्तन बिल्कुल भी न पता चले। ये अच्छे शरीर की नहीं बल्कि कमजोरी की निशानी है।
★ बेशक शरीर मोटा न हो पर ऐसा सुडौल और मजबूत तो होना चाहिए कि कोई देखे तो देखते रहे। आजकल के समय में अच्छा फिगर बनाने के लिये लड़कियां किशोरावस्था में ही बहुत जागरूक रहती है जिसके लिये वो डाइटिंग को बहुत अच्छा मानती है इसलिये वे कई बार भूखा रहने और व्यायाम करने से भी पीछे नहीं हटती।
दुबलेपन और कमजोरी में फर्क :
★ कई लोग शुरू से ही या अनुवांशिक कारणों से दुबले पतले होते हैं। वे चाहे कितना भी खा पी लें उनकी कद काठी ऐसी ही होती है कि उन्हें कुछ खाया-पिया लगता ही नहीं। ऐसे लोग जरूरी नहीं कि कमजोर ही कहलाये जाए वे किसी मोटे इन्सान से भी भारी काम कर सकते हैं
★ ऐसे ही कई लोग दिखने में तो बहुत मोटे होते हैं पर जब उनसे कुछ भारी सामान उठाने को या कुछ दूर पैदल चलने को कहो तो वे ये नहीं कर पाते तो ऐसे लोगों को हम स्वस्थ कैसे कह सकते हैं।
★ कुछ लोग सोचते हैं कि कमजोरी खून की कमी या `एनीमिया´ के कारण ही होती है पर ऐसा नहीं है कमजोरी के कई कारण हो सकते हैं और दुबलेपन के भी।
दुबलेपन के कारण :
1. कभी-कभी दुबलापन वंशानुगत या खानदान के बाकी लोगों के शरीर के हिसाब से ही होता है। इस दुबलेपन को कमजोरी नहीं कहा जा सकता।
2. अक्सर सयुंक्त घरों की महिलाओं के ऊपर पूरे घर की जिम्मेदारी होती है। वह सारे घर को खाना खिलाने के बाद बचा खुचा खाना खाने में ही अपना सौभाग्य मानती है लेकिन यह भोजन और उसके अपने शरीर के प्रति बहुत ही बड़ी लापरवाही है। इसको हम लापरवाही के साथ-साथ नासमझी भी कह सकते हैं। वे ये नहीं जानती कि हमें क्या खाना चाहिए और कितना खाना चाहिए। जिसके कारण वे अक्सर कमजोर हो जाती है। कभी-कभी स्त्रियाँ अत्यधिक व्रत रखने के कारण और बहुत सी मोटी हो जाने के डर से कम ही खाती है
3. बहुत सी स्त्रियां अक्सर दूसरों को देखकर मन ही मन जलती-कुढ़ती रहती है और चिड़चिडी होकर अन्दर ही अन्दर अपना खून जलाती रहती है जिससे उनकी भूख-प्यास कम हो जाती है। इसके कारण वे बहुत ज्यादा दुबली-पतली हो जाती है।
4. बहुत से लोग होते हैं जो दिन-रात काम में लगे रहते हैं जिसकी वजह से वे अपने खाने-पीने की तरफ ध्यान नहीं देते हैं और ज्यादा मेहनत करने की वजह से दुबले-पतले रह जाते हैं। मेहनत अपने शरीर और ताकत के हिसाब से ही करनी चाहिए। मेहनत करने के साथ-साथ शरीर को आराम देना भी जरूरी है जिसके लिये आवश्यक है पूरी नींद लेना।
5. अक्सर गांवों में या शहरों में भी लड़कियों की छोटी उम्र में ही शादी कर दी जाती है जिसकी वजह से छोटी उम्र में ही मां बनने या ज्यादा संसार व्यवहार करने से उनका शरीर पूरी तरह से पनप नहीं पाता और वे दुबली-पतली रह जाती है।
6. कभी-कभी स्त्रियों को कोई ऐसा रोग हो जाता है जो वे चाहकर भी किसी को बताने में शर्माती है या उसके प्रति लापरवाही करती है। ऐसे रोगों मे शुरू में तो कोई परेशानी नहीं होती लेकिन रोग पुराने हो जाने पर इन्हे ठीक करवाने में बहुत परेशानी होती है। अगर आपको ऐसा लगता है कि आप कुछ दिन पहले ठीक थी और अचानक आपका शरीर कमजोर होता जा रहा है तो तुरन्त डॉक्टर के पास जाएं।
7. कई बार हम भोजन तो सही और पौष्टिक लेते हैं पर कुछ ऐसा नहीं करते कि जिससे कि भोजन सही तरीके से पच जाये। इसकी वजह से शरीर में दुबलापन रह जाता है। कुछ लोग सोचते हैं कि दुबले लोगों को व्यायाम करने की जरूरत नहीं रहती। दुबली स्त्रियों को भी जब तक पौष्टिक भोजन का लाभ नहीं मिल सकता जब तक कि वे इसके साथ में पूरा आराम और व्यायाम न करें।
दुबलेपन तथा कमजोरी को दूर करने के सबसे असरकारक उपाय :
• भोजन में हमेशा दूध, दही, फल-सब्जी, हरे पत्तों वाली सब्जियां, दालें, दलिया, मक्खन खाने चाहिए। मांस, मछली या अण्डा की जगह मेवे, मूंगफली, पनीर या अंकुरित दालों का उपयोग करना चाहिए । घी, मलाई खाना भी आपके लिये सही है खासतौर पर तब जब कि आपकी त्वचा रूखी हो। बस इतनी बात का ध्यान रखना जरूरी है कि पौष्टिक भोजन को पचाने के साथ में हल्का व्यायाम करना भी बहुत जरूरी है।
• ज्यादा समय तक भूखा नहीं रहना चाहिए जब भी भूख लगे कुछ न कुछ खा लेना चाहिए। अगर कभी-कभी 1-2 व्रत रख लिए जाए तो शरीर के लिये अच्छा है पर ज्यादा व्रत रखना नुकसानदायक हो सकता है। अगर आपको भूख कम लगती हो तो रोजाना मट्ठा (लस्सी) पीने से भूख बढ़ने लगती है।
• रोजाना भोजन के बाद केला खाना चाहिए।
• दूध मे शहद डालकर पीना लाभकारी होता है।
• दूध और दलिये में थोड़े से मेवे डालकर खाने चाहिए।
• दूध के साथ खजूर खाना भी अच्छा होता है।
• दूध में कच्चे नारियल की खीर बनाकर खानी चाहिए।
• दूध के साथ अश्वगंधा पाउडर दूध के साथ लेना चाहिए।
• थोड़ी सी मूंगफली रोजाना खाना लाभकारी होता है।
• रोजाना भोजन में मक्खन और घी खाना चाहिए।
दूध या दाल में रोटी के छोटे छोटे टुकड़े मथ कर खाना चाहिए
दुबलेपन को दूर करने का नाश्ता नियमित रूप से 2 महीना
•2 पके केले खाकर 1 पाव गर्म दूध मिश्री व 2 इलाइची मिला पिये
*1 चम्मच असगन्ध चूर्ण शहद के साथ मिलाकर चाटे बाद में1 पाव गर्म दूध मिश्री मिला पिये
50 ग्राम कच्ची मूंगफली 3 4 घंटे पानी मे भिगो कर छिलका उतारकर पीस ले 25 ग्राम देशी गाय घी में धीमि आंच पर भुने लालिमा आने पर 25 ग्राम शक्कर व 2 इलायची पीस कर हलवा
• 60 ग्राम छिलका उतरा हुया जौ का खीर
. 15 -20 पिंड खजूर, थोड़ी किशमिस चौथाई चम्मच सोंठ चूर्ण 1पाव दूध में उबाले व 1 चम्मच देसी गाय का घी मिलाकर ले
• रोजाना सुबह खुली और ताजी हवा में घूमना चाहिए। लंबी-लंबी सांस लेकर फेफड़ों में खूब हवा भर लें और फिर निकाल दें। पूरे दिन में पानी भी खूब पीना चाहिए।
• किसी भी व्यक्ति से जलने या नफरत करने की आदत छोड़ देनी चाहिए। हमेशा खुश रहिये और दूसरों को भी खुश कीजिए।
• नींद पूरी लेनी चाहिए। 6 से 8 घंटे जरूर सोना चाहिए।
शरीर को फौलाद सा मजबूत बना देंगे यह नुस्खें
पहला प्रयोगः 1 से 2 ग्राम सोंठ एवं उतनी ही शिलाजीत खाने से अथवा 2 से 5 ग्राम शहद के साथ उतनी ही अदरक लेने से शरीर पुष्ट होता है।
दूसरा प्रयोगः 3 से 5 अंजीर को दूध में उबालकर या अंजीर खाकर दूध पीने से शक्ति बढ़ती है।
तीसरा प्रयोगः 1 से 2 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को आँवले के 10 से 40 मि.ली. रस के साथ 15 दिन लेने से शरीर में दिव्य शक्ति आती है।
चौथा प्रयोगः एक गिलास पानी में एक नींबू का रस निचोड़कर उसमें दो किसमिश रात्रि में भिगो दें। सुबह छानकर पानी पी जायें एवं किसमिश चबा जायें। यह एक अदभुत शक्तिदायक प्रयोग है।
पाँचवाँ प्रयोगः शाम को गर्म पानी में दो चुटकी हल्दी पीने से शरीर सदा नीरोगी और बलवान रहता है।
असमय आनेवाले वृद्धत्व को रोकने के लिएः
पहला प्रयोगः त्रिफला एवं मुलहठी के चूर्ण के समभाग मिश्रण में से 1 तोला चूर्ण दिन में दो बार खाने से असमय आनेवाला वृद्धत्व रुक जाता है।
दूसरा प्रयोगः आँवले एवं काले तिल को बराबर मात्रा में लेकर उसका 1 से 2 ग्राम बारीक चूर्ण घी या शहद के साथ लेने से असमय आने वाला बुढ़ापा दूर होता है एवं शक्ति आती है।
बलवर्धक प्रयोग :
छुहारा : लगभग 10 ग्राम छुहारे लेकर पीस लें। रोजाना कम से कम 2 ग्राम की मात्रा में इस छुहारे के चूर्ण को 250 मिलीलीटर हल्के गर्म दूध के साथ सोते समय लेने से शरीर मजबूत होता है। इसका सेवन केवल सर्दियों के दिनों में करना चाहिए।
हरड़ :लगभग 100-100 ग्राम की मात्रा में हरड़ का छिलका और पिसा हुआ आंवला को लेकर इसमें 200 ग्राम की मात्रा में खांड़ मिलाकर इस चूर्ण को सुबह के समय लगभग 10 ग्राम की मात्रा में 250 मिलीलीटर हल्के गर्म दूध के साथ लेने से शरीर में मजबूती आती है।
तालमखाना : लगभग 25-25 ग्राम की मात्रा में तालमखाना, असगंध, बीजबन्द, गंगेरन, बरियार, कौंच के बीजों की गिरी, काली मूसली, सफेद मूसली और गोखरू को पीसकर तथा छानकर इस चूर्ण को लगभग 100 ग्राम देसी घी में भूनकर इसमें लगभग 100 ग्राम खांड़ या शक्कर को मिलाकर रख लें। अब इस तैयार मिश्रण में से एक चम्मच चूर्ण रोजाना सुबह के समय दूध के साथ लेने से शरीर में ताकत आती है। इस मिश्रण का प्रयोग सर्दी के दिनों में करना चाहिए।
अतीस : गीली अतीस को दूध में मिलाकर पीने से शरीर ताकतवर बनता है और व्यक्ति की मर्दानगी भी बढ़ती है।
अतीस का चूर्ण लगभग 2 से 3 ग्राम की मात्रा में लेकर उसमें थोड़ा सा छोटी इलायची और वंशलोचन के चूर्ण को मिलाकर खाने से शरीर शक्तिशाली बनता है।
शहद : लगभग 10 ग्राम की मात्रा में शहद, 5 ग्राम की मात्रा में घी और 3 ग्राम की मात्रा में आंवलासार गंधक को लेकर इसमें थोड़ी सी शक्कर मिलाकर सेवन करने से शरीर को मजबूती मिलती है।
असगंध :असगंध के चूर्ण को दूध में मिलाकर पीने से शरीर शक्तिशाली बनता है और आदमी का वीर्य पुष्ट होता है।
बराबर मात्रा में असगंध और विधारा को लेकर और पीसकर इसका चूर्ण बना लें।
बादाम : लगभग 4 बादाम की गिरियों को पीसकर इसमें 1-1 ग्राम की मात्रा में शहद और मिश्री को मिलाकर चाटने से मनुष्य के शरीर में ताकत बढ़ जाती है।
मूसली :काली मूसली के चूर्ण में मिश्री को मिलाकर खाने से शरीर की शक्ति बढ़ती है।
लगभग 10 ग्राम की मात्रा में सफेद मूसली के चूर्ण को 250 मिलीलीटर की मात्रा में दूध लेकर इसको पकायें और गाढ़ा होने तक पकने दें। अब इसको निकालकर 1 प्लेट पर रख दें और सुबह तक वह खीर की तरह उस प्लेट पर जम जायेगा। अब इसमें शक्कर मिलाकर इसको खायें। इसका सेवन 40 दिनों तक करना चाहिए। ऐसा करने से शरीर में ताकत बढ़ती है। इसका सेवन करने के दिनों में गर्म और खट्टे पदार्थों से परहेज करना चाहिए।
गोरखमुण्डी : गोरखमुण्डी के फूलों के चूर्ण को शहद में मिलाकर खाने से शरीर में ताकत आती है।
गोरखमुण्डी के पूरे पौधे को छाया में सुखाकर पीस लें। इसका हलवा बनाकर सेवन करने से आदमी की जवानी हमेशा के लिए बनी रहती है।
गन्ना : गन्ने के रस को रोजाना पीने से शरीर में खून बढ़ता है और शरीर में ताकत आती है
ढाक : ढाक के फूलों की कलियों का गुलकन्द बनाकर 6 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन करने से शरीर की ताकत बढ़ती है।
लगभग 50 ग्राम की मात्रा में ढाक के बीज, लगभग 25 ग्राम की मात्रा में वायबिड़ंग और लगभग 200 ग्राम की मात्रा में गुठली वाले आंवले को एकसाथ पीसकर चूर्ण बना लें। इसके बाद रोजाना इस चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में गाय के दूध के साथ लेने से शरीर की ताकत में वृद्धि होती है।
आम : रोजाना 250 मिलीलीटर आम का रस पीकर और इसके ऊपर से दूध पीने से शरीर में ताकत आती है।
गूलर : लगभग 100 ग्राम की मात्रा में गूलर के कच्चे फलों का चूर्ण बनाकर इसमें 100 ग्राम मिश्री को मिलाकर रख दें। इस चूर्ण को लगभग 10 ग्राम की मात्रा में रोजाना दूध के साथ लेने से शरीर को भरपूर ताकत मिलती है।
पीपल : शाम को सोते समय छोटी पीपल को पानी में भिगोकर रख दें, और सुबह इसको पीसकर इसमें शहद मिलाकर चाटें और ऊपर से दूध पी लें। इसको लगातार 40 दिनों तक खाना चाहिए। इससे शरीर की ताकत में वृद्धि होती है।
खजूर :7 या 8 पिण्डखजूरों को 500 मिलीलीटर दूध में डालकर हल्की आंच पर पका लें और लगभग 400 मिलीलीटर की मात्रा में दूध रह जाने पर दूध को आंच पर से उतार लें। अब इसमें से खजूर निकालकर खाकर ऊपर से इसी दूध को पीने से शरीर में भरपूर ताकत और मजबूती आती है।
दालचीनी : दालचीनी को बारीक पीसकर इसका चूर्ण बना लें। शाम को इसके लगभग 2 ग्राम चूर्ण को 250 मिलीलीटर दूध में डालकर एक चम्मच शहद को मिलाकर पीने से शरीर की ताकत के साथ-साथ मनुष्य के वीर्य यानी धातु में भी वृद्धि होती है।
घी :लगभग 250 ग्राम की मात्रा में शुद्ध देसी घी में बनी जलेबियों को लगभग 250 मिलीलीटर गाय के दूध के साथ रोजाना सुबह के समय लेने से मनुष्य की लम्बाई बढ़ती है। इसका सेवन लगातार 2 या 3 महीने तक करना चाहिए।
विदारीकन्द : लगभग 6 ग्राम की मात्रा में विदारीकन्द के चूर्ण को लगभग 10 ग्राम गाय के घी में और लगभग 20 ग्राम शहद में मिलाकर गाय के दूध के साथ लेने से शरीर में ताकत आती है। इसका सेवन लगातार 40 दिनों तक करना चाहिए।
तुलसी :एक निश्चित मात्रा में तुलसी के बीज या पत्तों को भूनकर इतनी ही मात्रा में इसमें गुड़ मिलाकर लगभग 1-1 ग्राम की गोलियां बनाकर सुबह और शाम को 1-1 गोली गाय के दूध के साथ लेने से शरीर में भरपूर ताकत आती है और व्यक्ति की मर्दानगी भी बढ़ती है।
लगभग आधा ग्राम की मात्रा में तुलसी के पीसे हुए बीजों को सादे या कत्था लगे पान के साथ रोजाना सुबह और शाम खाली पेट खाने से मनुष्य के वीर्य, बल और खून में वृद्धि होती है।
भिलावे : लगभग 25 ग्राम की मात्रा में छिलका उतारे और तेल निकाले हुए भिलावे को लेकर 2 या 3 घंटों तक कूटें और फिर इसके बाद लगभग 400 ग्राम की मात्रा में तिल का तेल लेकर भिलावे में 50-50 ग्राम की मात्रा में डालते जायें, और घोटते जायें। इसके बाद लगभग 1 घंटे बाद इसको निकाल लें। रोजाना इसे 2 ग्राम की मात्रा में सुबह दूध के साथ लेने से शरीर में भरपूर ताकत आती है।
निरोगी रहने हेतु महामन्त्र
मन्त्र 1 :-
• भोजन व पानी के सेवन प्राकृतिक नियमानुसार करें
• रिफाइन्ड नमक,रिफाइन्ड तेल,रिफाइन्ड शक्कर (चीनी) व रिफाइन्ड आटा ( मैदा ) का सेवन न करें
• विकारों को पनपने न दें (काम,क्रोध, लोभ,मोह,इर्ष्या,)
• वेगो को न रोकें ( मल,मुत्र,प्यास,जंभाई, हंसी,अश्रु,वीर्य,अपानवायु, भूख,छींक,डकार,वमन,नींद,)
• एल्मुनियम बर्तन का उपयोग न करें ( मिट्टी के सर्वोत्तम)
• मोटे अनाज व छिलके वाली दालों का अत्यद्धिक सेवन करें
• भगवान में श्रद्धा व विश्वास रखें
मन्त्र 2 :-
• पथ्य भोजन ही करें ( जंक फूड न खाएं)
• भोजन को पचने दें ( भोजन करते समय पानी न पीयें एक या दो घुट भोजन के बाद जरूर पिये व डेढ़ घण्टे बाद पानी जरूर पिये)
• सुबह उठेते ही 2 से 3 गिलास गुनगुने पानी का सेवन कर शौच क्रिया को जाये
• ठंडा पानी बर्फ के पानी का सेवन न करें
• पानी हमेशा बैठ कर घुट घुट कर पिये
• बार बार भोजन न करें आर्थत एक भोजन पूणतः पचने के बाद ही दूसरा भोजन करें
आयुर्वेद में आरोग्य जीवन हेतु 7000 सूत्र हैं आप सब सिर्फ इन सूत्रों का पालन कर 7 से 10 दिन में हुए बदलाव को महसूस कर अपने अनुभव को अपने जानकारों तक पहुचाये
: सोयाबीन खाने के फायदे जानकर हैरान रह जाएंगे आप…
महिलाओं में खानपान की कमी के कारण कमजोर हडि्डयों का होना एक आम समस्या है लेकिन बढ़ती उम्र के साथ ही इनमें ओस्टियोपोरोसिस का खतरा भी बढ़ जाता है. ऐसे में अगर सोयाबीन को डाइट में शामिल किया जाए तो इस खतरे से बचा जा सकता है…
सोया प्रोटीन और आइसोफ्लेवोंस से भरपूर डाइट महिलाओं में हड्डियों को कमजोर होने की ओस्टियोपोरोसिस के खतरे से बचा सकता है. एक अध्ययन में यह दावा किया गया है. इंग्लैंड के हुल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक, सोयाबीन से बनी चीजों में आइसोफ्लेवोंस नामक रसायन होता है जो कि इस्ट्रोजन हार्मोन जैसा होता है और महिलाओं को ओस्टियोपोरोसिस के खतरे से बचा सकता है.
अध्ययन के दौरान प्रारंभिक रजोनिवृत्ति की अवस्था वाली 200 महिलाओं को छह महीनों तक आइसोफ्लेवोंस सहित सोया प्रोटीन युक्त डाइट दी गई. उसके बाद शोधकर्ताओं ने महिलाओं के ब्लड में कुछ प्रोटीनों की जांच करके हड्डियों में हुए परिवर्तन का अध्ययन किया.
शोधकर्ताओं ने पाया कि केवल सोया प्रोटीन लेने वाली महिलाओं की तुलना में आइसोफ्लेवोंस युक्त सोया आहार लेने वाली महिलाओं में हड्डियों के कमजोर होने की रफ्तार धीमी पड़ गई और उनमें ओस्टियोपोरोसिस का खतरा कम हो गया. केवल सोया लेने वाली महिलाओं की तुलना में आइसोफ्लेवोंस के साथ सोया लेने वाली महिलाओं में हृदय रोग का खतरा भी कम पाया गया.
सोयाबीन खाने के ये 5 और फायदे…
- यदि आपको कोई मानसिक रोग है तो आप सोयाबीन को अपनी डाइट में शामिल करें. सोयाबीन मानसिक संतुलन को ठीककरके दिमाग को तेज करता है.
- दिल के रोग होने पर सोयाबीन खाने की सलाह दी जाती है. आप ऐसे भी सोयाबिन खाना शुरू कर देंगे तो आपको दिल की बीमारियां नहीं होगी.
- यदि आपको हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत रहती है तो रोजाना सोयाबीन खाएं. यह ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में सहायक होता है.
- सोयाबीन में लेसीथिन पाया जाता है जो लीवर के लिए फायदेमंद है.
- सोयाबीन की छाछ पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं.
नोट: गर्भधारण करने वाली स्त्रियों को सोयाबीन का उपयोग डॉक्टर की सलाह ले कर ही करना चाहिए.