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सुख में तो सभी प्रसन्न रहते हैं। दुख आने पर ही तो परीक्षा होती है, कि किसमें कितनी शक्ति है । अधिकतर लोग दुख आने पर घबरा जाते हैं , विचलित हो जाते हैं, समस्याओं का सामना नहीं कर पाते , डिप्रेशन में चले जाते हैं । इससे उनका जीवन असंतुलित हो जाता है । ऐसा नहीं करना चाहिए।
जो दुख में घबरा जाता है , वह जीवन की परीक्षा में फेल हो जाता है। जीवन की परीक्षा में फेल नहीं होना है , बल्कि पास होना है। कष्ट आने पर अनेक बार लोगों में बल और उत्साह भी उत्पन्न होता है। वे जीवन में आई उन चुनौतियों को स्वीकार कर लेते हैं। तथा पूरी शक्ति के साथ उनका सामना करते हैं। ऐसे लोग इस युद्ध को जीत भी जाते हैं। यदि आपके जीवन में भी ऐसी स्थिति आए तो घबराएं नहीं , चुनौतियों का सामना करें । संघर्ष करें और विजय प्राप्त करें .
जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं । कभी सुख आता है , कभी दुख भी आता है । प्रायः ऐसा देखा जाता है कि सुख के अवसर पर व्यक्ति नाचने कूदने लगता है । और जब दुख आता है , तो बहुत हैरान परेशान हो जाता है। ये दोनों ही स्थितियां अच्छी नहीं हैं।
जब सुख का अवसर आए , तो उसे सामान्य रूप से निभाने का प्रयत्न करें, बहुत अधिक खुश न हों। यदि आप सुख के अवसर पर ऐसा कर लेंगे , तो जिस दिन दुख आएगा, तब आप उसे भी सामान्य रूप से निभा लेंगे, और बहुत रोना चिल्लाना आदि नहीं करेंगे। इसी समत्व का नाम उत्तम जीवन है।
यह समत्व ईश्वर की कृपा तथा उसके न्याय पर भरोसा रखने से प्राप्त होता है । जो लोग ईश्वर की कृपा तथा न्याय पर विश्वास करते हैं,तो ये दोनों चीजें मिलकर उनके जीवन में समता को उत्पन्न कर देती हैं। इस समता के सहारे वे बड़े आनंद से जीवन जीते हैं. आप भी इस विषय में विचार करें । हो सके तो इसका पालन करके अपने जीवन को सुखी और सफल बनाएं –

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