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धुं महाविद्या विजयते तराम

भक्तजनों एक अनुभव आप सभी के लिए निम्न चित्र में महाविद्या शक्ति माँ धूमावती हैं ।
वैसे तो इस दुनिया मे इन महाशक्ति को बहुत कम लोग जानते हैं ।
ओर कमजोर और स्त्री जाति के लिए तो यह शक्ति हानिकारक हैं ।

इनका स्थान कोई मंदिर नही हो सकता और न ही कोई घर हो सकता हैं । इनका स्थान निर्जन स्थान , शमशान, ओर मेली या बेकार जगह , पीपल या सुनसान क्षेत्र माना गया हैं ।

दुनिया मे 90% लोग नही जानते हैं इनके बारे में ओर 9% जानते हैं वो इनका नाम लेने से भी डरते हैं । 1% जिसने माँ को जाना हैं वो इनकी ही इच्छा से जान पाया हैं ।

मेरा अनुभव हैं कि माँ अपने भक्त और साधक की पहले परीक्षा लेती हैं और वो सफल हो जाता हैं उसके बाद दूसरे कोई भगवान और ग्रह उसकी परीक्षा नही ले सकते क्योंकि माँ लेने ही नही देती ओर भक्त को देने ही नही देती ।।

लेकिन इनका नाम लेने से पहले अपनी जबान को काबू में रखे अन्यथा आपका समय बुरा शुरू हो सकता हैं ।।

बिना गुरु की आज्ञा माँ का नाम लेना मतलब आपको 100 कोड़े खाने के बराबर हैं ।
बिना जाने इनका पूजन करना मतलब 10000 कोड़े खाने के बराबर हैं ।

बिना समझे माँ का स्थान अपने घर मे बनाना मतलब 100000 कोड़े खाने के बराबर हैं ।

ओर बिना ज्ञान और गुरु सेवा के इनकी पूजा करना मतलब जीते जी खुद को आग लगाने के बराबर हैं ।

यह शक्ति सम्पूर्ण संसार मे सभी वस्तुओं की स्वामिनी हैं ।
ओर एक धुंए के आकार में सभी जगह व्याप्त रहती हैं ।

माँ के नाम तक जाने में माँ के 2 चक्र से गुजरना पड़ता हैं । और माँ का मंत्र और चित्र दर्शन करना 200 चक्र से गुजरना जैसा हैं । और उनकी शरण प्राप्त होना 2 करोड़ चक्र का सफर तय करना जैसा हैं ।
1 चक्र अर्थात 8 चंद्र हैं और 1 चंद्र मतलब 75 दिन हैं ।
75 x 8 = 600 दिन का सफर उनके प्रति सिर्फ कामना करना होता हैं ।

इस प्रकार धीरे धीरे उनके क्रम में बढ़ते जाते हैं ।
धुं
धुं
धु
मा

ती
ठ:
ठ:
इस प्रकार यह 8 चंद्र बीज को जानने के बाद माँ की शरण का सफर शुरू होता हैं ।।

इनका क्रम पूर्ण किए बिना अगर हम next स्टेप में जाते हैं तो आगे अपने को हर्जाना भरना पड़ेगा और कष्ट सहना पड़ेगा ।।

माँ जल्दी दया नही करती हैं और एक बार जो इनकी दया के संरक्षक में चला जाता हैं उसे इस दुनिया ही नही समस्त दुनिया मे विजय प्राप्त हो जाती हैं ।।

उसे कोई परेशान नही करता यहाँ तक माँ की शरण जाने वाले को कोई भगवान भी आकर परेशान करना चाहे तो नही कर सकता हैं ।।
क्योंकि यह महा शक्ति स्वयं कालाग्नि हैं और काल के पास कोई आता नही उसे सिर्फ वोही बुला सकती हैं ।।

जय महा विद्या धुं शक्ति विजयते तराम ।।

   

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