त्रिपुरसुंदरी – विन्धयाचल
निराकार ब्रह्म शिवकी शक्ति महामाया महात्रिपुर सुंदरी विंध्यवासिनी। ललिता सहस्त्र पाठमे महात्रिपुरसुन्दरी का भूलोकमे विन्धयाचल धाम वर्णित किया गया है । सृष्टि करते ब्राह्मण 14 ब्रह्मांड की रचना कर भगवती को सभी ब्रह्मांडमें स्थिर वास करने की याचना की ओर भगवती का भूलोकमे विन्धयाचल पर्वत पर स्वयम प्रागट्य हुवा वो महालक्ष्मी स्वरूप है विंध्यवासिनी माता।
ये शक्तिपीठ बहोत विस्तारमे फैला हुवा है । यहां माता उनके सभी आवरण देवी देवताओं महालक्ष्मी महासरस्वती महाकालि स्वरूप सह ब्रह्मा विष्णु महेश , अष्ट मातृका अष्ट भैरव 24 शक्ति और 24 वीर 64 योगिनी ओर क्षेत्रपाल सहित श्रीयंत्र में दर्शाए सभी 2882 आवरण देवता भी यहां स्थित है । ज्यादातर देव देवी शक्तियां शिबलिंग के रुप मे स्थापित है। क्षेत्रके सभी दर्शन केलिए तो एक मास से ज्यादा समय चाहिए किन्तु तीनो प्रमुख माताओ के मंदिर 2 – 2 – 2 की.मि.के त्रिकोण में स्थित है ये त्रिकोण परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए। सभी महाविद्या सह तंत्र के सभी देवताओं के स्थान इस क्षेत्र में है । पूरे विषयमे 33कोटि देवताओ के एक जगह स्थान हो ऐसा एक मात्र ये दिव्य धाम की यात्रा जीवन को धन्य बना देती है।विन्ध्वासिनी पूजन के परंपराओं मुजब अनेक पूजा विधान है ,क्योंकि चारो पीठ के शंकराचार्यो की अधिष्ठात्री है । श्रीयंत्र का मध्य बिंदु है ये धाम इसलिए साल भर लाखो भक्तोंकी भीड़ रहती है।उत्सवों में 10 -20 की.मि.लाइन होती है दर्शनार्थियो की पर इस क्षेत्रमे पांव रखना ही अपनेआपमे परिपूर्ण यात्रा है। पूजन अनुष्ठान का एक विधान :-
मंत्र :- ॐ ह्रीं महालक्ष्मये नमः
विनियोग :- ॐ अस्यश्री विंध्यवासिनी विशालाक्षी महालक्ष्मी मंत्रस्य , श्री सदाशिव ऋषि: , पंक्ति छन्दः , श्री महालक्ष्मी देवता , ह्रीं बीजं , ॐ शक्ति: , चतुर्वर्ग सिद्धयर्थे जपे विनियोग ।
न्यास :- श्री सदाशिव ऋषिये नमः ( शिरसि ) पंक्ति छन्दसे नमः ( मुखे ) विशालाक्षी महालक्ष्मी देवतायै नमः ( रदये ) ह्रीं बीजाय नमः ( गुह्ये ) ॐ शक्तिये नमः ( पादयो ) चतुर्वर्ग सिद्धयर्थे जपे विनियोगाय नमः ( सर्वांगे )
ध्यान मंत्र :- ध्याये देवी विशालाक्षी तप्त जाम्बु नद प्रभाम
द्वीभुजामम्बिकाम चंडी खड़ग खर्पर धारिणीम
नानालंकार। सुभगां रक्ताम्बर धरां शुभाम
सदा षोडश वर्शियां प्रसन्नास्याम त्रिलोचनाम
भगवती का षोडशोपचार पूजन करके इस विधान मुजब मंत्रनुष्ठान किया जाता है । अष्ट सिद्धि ओर नोउ निधि का वरदान प्राप्त होता है। चारो पीठ के शंकराचार्यो भी जिनका पूजन करते है तो उनकी फलश्रुति क्या होंगी आप समज सकए है । किसिभी कार्य हेतु ओर आध्यात्मिक उन्नति केलिए पूर्ण श्रद्धा भाव से एकबार ये यात्रा करके आप स्वयं ही उनकी अनुभूति करे और महात्रिपुरसुन्दरी के आशीर्वाद प्राप्त करेl