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हमारे सनातन हिन्दू धर्म में मांगलिक प्रतीको का अत्यधिक महत्व है क्योकि इन्हे घर में रखने से किसी भी कार्य में बाधा उत्तपन नहीं होती. व हर कार्य मंगलमय ढंग से पूर्ण होते है।

यदि हम मंगलीक प्रतिको के बारे में बात करें तो उनमे से कुछ के बारे में तो आप जानते है परन्तु कुछ के बारे में आप बिलकुल नहीं जानते. घर में मंगल प्रतिको या वस्तुओं के रहने से हर कार्य में बरकत तो बनी रहती है। साथ ही धन समृद्धि और सुख की वर्षा भी परिवार में होती है. तो आइये जानते है इन प्रतिको के बारे में।

ॐ है सर्वोपरि मंगल प्रतीक :- यह सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का प्रतीक है. बहुत सी आकाश गंगाएँ इसी तरह फैली हुई है. ॐ शब्द तीन ध्वनियों से बना हुआ है, अ, उ, म इन तीनों ध्वनियों का अर्थ उपनिषद में भी आता है. यह ब्र्ह्मा विष्णु महेश का प्रतीक है तथा इसके साथ ही भूः लोक, भवः लोक तथा स्वर्ग लोक का भी प्रतीक है।

ॐ का घर में होना अत्यन्त आश्यक है. यह सम्पूर्ण मंगल करता ॐ ब्र्हम तथा गणेश जी का प्रतीक माना जाता है. लोग अक्सर ताम्बे, पीतल तथा अष्टधातु से बने ॐ के प्रतीक को अपने घरों के प्रवेश द्वार पे लगाते है. ॐ प्रतीक को स्वस्तिक के चिन्ह के साथ लगाया जाता है।

दुसरा मांगलिक प्रतीक स्वास्तिक :- स्वास्तिक चिन्ह को शक्ति, सौभाग्य, समृद्धि तथा और मंगल का प्रतीक माना गया है. स्वास्तिक चिन्ह हर मंगल कार्य में बनाया जाता है. स्वस्तिक चिन्ह का बाया हिस्सा गणेश की शक्ति ”गं” का बीजमंत्र माना जाता है।

स्वास्तिक चिन्ह में जो चार बिंदिया होती है उन्हें शक्ति, पृथ्वी, कच्छप तथा अनन्त देवताओ का प्रतीक माना जाता है।

इस मंगल प्रतीक को गणेश की पूजा , धन, सम्पति, ऐशवर्य की देवी लक्ष्मी के पूजा के साथ, बहीखाते की पूजा के लिए विशेषतः प्रयोग किया जाता है. इसके चारो दिशाओं के अधिपति देवता अग्नि, इंद्र, वरुण, सोम की पूजा तथा सप्तऋषियों के आशीर्वाद के प्राप्ति के लिए प्रयोग किया जाता है।

मंगल कलश :- सुख एवं समृद्धि का प्रतीक माने जाने वाले मंगल कलश का शाब्दिक अर्थ घड़ा है.यह समुद्र मंथन का भी प्रतीक है. ईशान भूमि में रोली से अष्टदल कमल की आकृति बनाकर उसमे मंगल कलश की स्थापना की जाती है।

एक कांस्य या ताम्र कलश में जल भरकर उसमे कुछ आम के पत्ते डालकर उसके मुख्य पर नारियल रखा होता है. कलश पर रोली, स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर, उसके गले पर मौली ( नाडा ) बाँधी जाती है।

शंख:- शख को नादब्रह्म और दिव्य मंत्री की संज्ञा दी गई है. शंख समुद्र मंथन के समय प्राप्त छोड़ अनमोल रत्नो में से एक है. लक्ष्मी के साथ उतपन्न होने के कारण इसे लक्ष्मी भ्राता भी कहा जाता है. यही कारण है की जिस घर में शंख होता है वहां लक्ष्मी का वास होता है।

दीपक और धूपदान :- सुन्दर और कल्याणकारी , आरोग्य और सम्पदा को देने वाले दीपक समृद्धि के साथ ही अग्नि और ज्योति का प्रतीक माना जाता है. परम्परिक दीपक मिटटी का होता है. इसमें पांच तत्व है मिटटी, आकाश, जल, अग्नि और वायु।

हिन्दू अनुष्ठान में पंचतत्वों की उपस्थिति अनिवार्य होती है. घर में सुख शांति एवं समृद्धि के लिए धूपदान का होना आवश्यक है वह भी मिटटी का।

पंचसुलक :- यह खुली हथेली की छाप होती है, जो पांच तत्‍वों की प्रतीक है. हमारे आस-पास जो कुछ है वह, और हमारे शरीर भी इन पांच तत्‍वों से बने हैं. इससे सौभाग्‍य के लिए इस प्रतीक के इस्‍तेमाल का महत्‍व स्‍पष्‍ट होता है।

जैन धर्म में इसे बेहद अहमियत दी गई है. हिंदू लोग गृह प्रवेश जन्‍म संस्‍कार और विवाह आदि के अवसरों पर हल्‍दी-सनी हथेली छापते हैं. मुख्‍य प्रवेश द्वार पर लगी पंचसूलक की छाप समृद्धि, सख, और शुभता लाती है।

गरुड़ घंटी :- जिन जगहों पर घंटियों की आवाज नियमित रूप से आती रहती वह स्थान सुख एवं शांति से भरा रहता है. घंटियों की ध्वनि द्वारा वहां की सभी नकरात्मकता समाप्त हो जाती है. नकरात्मकता हटने से समृद्धि का द्वार खुलता है।

बासुरी:- बांस से निर्मित बासुरी भगवान श्री कृष्ण को अतिप्रिय थी. जिस घर में भी बासुरी होती है वहां पर परिवार प्रेम-पूर्वक तथा साथ ही सुख समृद्धि के साथ रहते है. बासुरी को उन्नति तथा प्रगति का सूचक बताया गया है।

बासुरी वास्तु दोष को दूर करने में भी सहायक होती है. घर में सुख शांति एवं समृद्धि की प्राप्ति के लिए दो बासुरी को घर के प्रवेश द्वार के पीछे क्रास चिन्ह में लगाना चाहिए।

लक्ष्मी का प्रतीक कोडिया :-पीली कौड़ी को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. कुछ सफेद कौड़ियों को केसर या हल्दी के घोल में भिगोकर उसे लाल कपड़े में बांधकर घर में स्थित तिजोरी में रखे. दो कोड़ियो को खुद की जेब में भी हमेशा रखे इससे धन लाभ होगा।

माला :- रुद्राक्ष, चंदन, तुलसी और कमलगट्टे तीनो में कमलगट्टे की माला घर में अवश्य रखना चाहिए.इसके बिना सब व्यथ है. माना जाता ही की कमलगट्टे की माला से धन प्राप्ति के मार्ग भी खुल जाते है. दरअसल, कमलगट्टे लक्ष्मीजी को प्रिय है।

तुलसी के बीज से या कमल के बीज से बनी माला से जप किया जाता है. इसे पूजाघर में रखना चाइये और जब भी आप इस माला को फेरते हुई अपने ईष्टदेव का 108 बार नाम लेंगे तो इससे घर और मन में सकरात्मक वारावरण और भावो का संचार होगा।

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