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🥀क्या है सेहत का हाल, नाड़ी खोल देती है सारे रा

🌺नाड़ी देख कर रोग की जानकारी देना हमारे यहाँ की एक प्राचीन विद्या है। पहले के समय में चिकित्सक किसी भी व्यक्ति की नाड़ी देख कर उसके रोग के बारे में बता देते थे। यहाँ तक कि शरीर के किस अंग में रोग या तकलीफ हैं, रोगी ने क्या खाया या पिया है या भविष्य में उसे कौन सा रोग हो सकता है आदि। परन्तु रोगों की जांच के लिए जैसे-जैसे आधुनिक मशीनों का उपयोग होने लगा, इस विद्या का उपयोग कम होने लगा हैं। वैसे आज भी हमारे देश में ऐसे बहुत से डॉक्टर हैं जो नाड़ी देख कर रोग के बारे में बता देते हैं।

🌺क्या होता है नाड़ी देखना
हमारा दिल हर समय फैलता और सिकुड़ता यानी धड़कता रहता हैं। जब यह फैलता है तो उसके अंदर फेफड़ों (Lungs) से शुद्ध रक्त आ जाता है और उसके बाद जब सिकुड़ता है तो यह शुद्ध रक्त महाधमनी (Aorta) में चला जाता है। महाधमनी शरीर की सभी धमनियों (Artery) को ये रक्त भेजती है। इस प्रकार से धमनी (Artery) में रक्त के जाने से हर बार धक्का लगता है। इस धक्के को ही नाड़ी का स्पंदन या उछाल कहते हैं। नाड़ी के इस स्पंदन से रोग की जांच करने को ही नाड़ी देखना कहते हैं।

🍁कहाँ की नाड़ी देखते हैं
🌾हमारे हाथ की कलाई की धमनी (Radial-Artery) की 🌾जगह नाड़ी देखी जाती है। वैसे नाड़ी का यह स्पंदन शरीर 🌾के कई स्थानों पर महसूस किया जा सकता है।
🍂कब देखनी चाहिए नाड़ी
🌾जब रोगी आराम कर रहा हो या सुबह के समय जब उसका 🌾पेट खाली हो।
🌾कब नहीं देखनी चाहिए नाड़ी
🌾जब रोगी बहुत घबराया हुआ हो या सो कर उठा हो।
🌾खाना खाने के बाद।
🌾शारीरिक मेहनत करने के बाद।
🌾रोग की पहचान कैसे होती है
🌾नाड़ी से शरीर के रोगों के बारे में कैसे पता किया जाता है, 🍃इसके बारे में यहाँ कुछ जानकारी दे रही हूँ
🌼1) यदि दाहिने हाथ की नाड़ी सख्त, बारीक और कमजोर हो तो वह लिवर की कमजोरी बताती है।
🍂2) जिस तरफ के फेफड़े (Lung) में कोई रोग होता हैं उस ओर की नाड़ी ऊँची होती है।स्नेहा समुह
🍃3) पुराने सिरदर्द वाले रोगी की नाड़ी प्राय: कमजोर होती है।
🌼4) यदि बायीं नाड़ी तेज हो और साथ में खांसी और बुखार भी हो तो फेफड़े (lungs) में रोग होता है।
🌸5) यदि बायीं नाड़ी तीव्र हो परन्तु खांसी या बुखार नहीं हो तो यह मूत्राशय (Urinary-Bladder) की तकलीफ बताती है।
🌸6) किडनी के रोग में नाड़ी कठोर और दृढ़ होती है।
🌸7) यदि नाड़ी बिल्कुल पतली या चींटी की चल जैसी हो जाए तो यह मृत्यु की सूचक है।
🌸8) यदि नाड़ी तेज और लगतार चलते-चलते अटकने लगे तो यह मौत के समीप होने की सूचना देती है।
🌼9) यदि रोगी बुखार में दही खा लेता है तो उसकी नाड़ी गर्म और बहुत तेज हो जाती है।स्नेहा समुह
🍃10) बलगम की अधिकता होने पर नाड़ी मोटी हो जाती है।
🍃11) पाइल्स के रोग में नाड़ी कभी धीमी, कभी टेढ़ी-मेढ़ी और कभी कोमल चलती है।
🌻12) जोड़ो के दर्द में नाड़ी कभी-कभी तेजी से फड़कती है, तो कभी दुर्बलता से।
🍃13) पीरियड्स में तकलीफ होने पर नाड़ी मोटी और स्थिर हो जाती है।
🌺14) तेल और गुड़ खाने वाले की नाड़ी कठोर और शक्तिशाली हो जाती है।
🌼15) अधिक नमकीन भोजन से नाड़ी सीधी और तेज हो जाती है।
🍃16) अधिक मीठा खानेवालों की नाड़ी उछल कर चलती है।
🌻17) मूली खाने से नाड़ी की गति सुस्त हो जाती है

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