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विश्व के सर्वश्रेष्ठ मेधा सम्पन्न दार्शनिक व विचारक ऋषियों महर्षियों ने प्रकृति को जान व समझकर प्रकृति में होने वाले भौतिक,आध्यात्मिक परिवर्तन तथा घटनाओं का विश्लेषण कर महत्वपूर्ण तिथियों को सुव्यवस्थित कर पर्व एवं व्रत की रचना की,जो कि पूर्णतः तर्क संगत एवं वैज्ञानिक है।
हमारे दिग्दृष्टा पूर्वजों ने ब्रह्माण्ड से पिण्ड तक की गतिविधि एवं गुणधर्म को समझकर प्राणी मात्र पर होने वाले प्रभाव को जानकर नियम व सिद्धांत प्रतिपादित किये।हमारे महानतम पूर्वजों ने सभी श्रेष्ठ नियम व सिद्धांत को हमारे दैनिक जीवन में उतारने के लिये उन्हें हमारे व्रत एवं त्योहारों से संलग्न किया।अतः हमारी परम्पराओं में ही दुनिया के बड़े बड़े वैज्ञानिक कारण छुपे हुये हैं।
हमारी ऐतिहासिक,सांस्कृतिक विरासत को भी समझाने के लिये हमारे महानतम पूर्वजों ने उसे हमारी आस्था का विषय बना दिया और आध्यात्मिक तथ्यों से संलग्न किया।कल शनिवार से नववर्ष प्रारम्भ हो रहा है, ये भी उसी दिव्य दृष्टि की वैज्ञानिक सोच व आध्यात्मिक चेतना तथा सर्वश्रेष्ठ मेधा का ही परिणाम है।प्रकृति का नववर्ष,विश्व का नववर्ष,हमारा नववर्ष अर्थात वैज्ञानिक नववर्ष, सैद्धान्तिक नववर्ष अर्थात तार्किक नववर्ष अर्थात वास्तविक नववर्ष ये चैत्रमास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा।

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