ईश्वर का कोई ठेकेदार नहीं, कोई बिचौलिया, कोई दलाल नहीं –
ईश्वर को खोजना है तो किसी और के पास मत दौड़ो।
वह तुम्हारे अन्दर भी है, बाहर भी है।
जो कुछ देख रहे हो उसके भी अंदर और बाहर है
और जो कुछ जानते हो और जो कुछ जो तुम नहीं जानते ईश्वर वहां भी है।
जो तुम समझते हो या जो कुछ तुम्हारी समझ से बाहर है, वहां भी ईश्वर पहले से है।
इसलिए ईश्वर को पाना है तो किसी मध्यस्थ के पास मत दौड़ो, किसी बिचौलिए के पास मत दौड़ो, किसी दलाल के पास मत जाओ।
हरि व्यापक सर्वत्र समाना…
तुम जहां भी हो वहीं रहो,
वहीं आसन लगाओ
तुम्हारा समर्पण भावना ही तुम्हारी भेंट है
तुम्हारी श्रद्धा ही तुम्हारी भेंट है
जिसने तुमको जीवन दिया
जिसने माता पिता दिया
भाई दिया बहन दिया
मित्र और मित्राएँ दिया
यह रंगभरा संसार दिया
उस ईश्वर को क्या तुम धन्यवाद नहीं कहोगे???
या बस स्वार्थ और भय से किसी बिचौलिए के पास दौड़ोगे??
उससे क्यों डरते हो??
वह तुम्हारा शत्रु नहीं।
तुम्हारे बुरे कर्म ही तुम्हारे शत्रु हैं, उससे डरो।
परन्तु ईश्वर से नहीं,
क्योंकि वह तुमसे प्रेम करता है।
विश्वास करो वह तुमसे प्रेम करता है।
डरो मत वह तुमसे कोई बदला नहीं लेगा।
वह कोई सांसारिक व्यक्ति नहीं जो तुमसे बदला ले, वह ईश्वर है, राग-द्वेष से बिल्कुल परे।
वह कोई तानाशाह भी नहीं जो तुम्हे काट खाये
इसलिए तुम डरते क्यों हो??
वह तो तुमसे अथाह प्रेम करता है
इसीलिए तो उसने तुम्हे यह रंगभरा संसार दिया
इसीलिए तो तुमको शरीर,जीवन यह सारी पृथ्वी, ब्रह्मांड सबकुछ दिया।
क्या तुम अभी भी उससे डरते हो???
क्या तुम उसके प्रेम का उत्तर प्रेम से नहीं दोगे??
क्या उसे धन्यवाद नहीं दोगे??
या किसी बिचौलिए के पास दौड़ोगे?
स्वार्थ के बोझ से हारे-थके??
डरे-डरे????