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नाड़ी परीक्षा;-आयुर्वेद
इसके पूर्व आपको एक स्वस्थ व्यक्ति का अध्ययन भी होना आवश्यक है ताकि स्वस्थ ओर रोगी की तुलना की जा सके।
आपके पास चिकित्सा के लिए आए रोगी की लिंग, आयु, व्यवसाय, रहन सहन, व्यवहार पर ध्यान दें। महिला- पुरुष, शिशु, बालक, युवा, प्रोड, ओर वृद्ध व्यक्तियों में कुछ रोग सामान्यत: ही होते रहते हें, इन्हे अनुभव से समझा जा सकता है। सामान्य होने वाले रोगों का सिरा पकड़ कर अन्य विशेष रोग की जानकारी पा लेना, ओर नाड़ी पकड़ कर बताते चलना बहुत मुश्किल नहीं होता।
परीक्षण के समय आंख पर ध्यान दें- अगर आंखों और उसके आसपास के हिस्से में सूजन और कालापन हो तो यह किडनी की खराबी तथा असंतुलन हो सकता है। यह चेहरा पढ़नेका प्राचीन तरीका है। आपकी आंखें बताती हैं कि रोगी को पर्याप्त नींद की जरूरत है। आँखों का पीलापन या लालिमा की कमी रक्त की कमी लीवर की खराबी की बात भी कहती है। नमक, कॉफी, बर्फीले पेय और आइसक्रीम से परहेज करना चाहिए। आप गर्म खाना खाएं, सूप पियें। बींस, जड़ वाली सब्जियां और पौष्टिक खाना आपके लिए लाभकारी होगा। यदि आपकी आंखों की सफेदी पीले रंग में बदल गई है तो यह पीलिया का लक्षण हो सकता है। यह लिवर में इन्फेक्शन के कारण, हेपेटाइटिस या लंबे बुखार के कारण भी हो सकता है। यदि आपकी आंखें मोटी या सूजी हुई लग रही हों तो यह थॉयरायड की वजह से भी हो सकता है पर इसके साथ अन्य लक्षण भी हों जैसे धड़कन का बढ़ना या अचानक वजन में कमी आना।

  • त्वचा का रंग रूप पर गोर करें- त्वचा और रोमकूप को ध्यान से देखिए। त्वचा के रंग आदि किसी भी तरह के परिवर्तन को देखें। त्वचा की रुक्षता स्निग्धता, रंग जिनमे हाथ, पैर, ढके ओर खुले रहने वाले शरीर के त्वचा का अंतर, व्यक्ति के परिश्रमी, आराम तलब, पोषण की स्थिति का प्रतीक है। त्वचा के खुले हिस्से पर पड़े धब्बे यह भी बताते हैं, कि इस जगह पर सूरज का प्रभाव अधिक पड़ा है। कहीं-कहीं चर्म रोगादि, खुजली या टीस उठती हो या घाव न भर रहा हो, विशेषकर चेहरे और हाथों के पिछली तरफ, तो यह गंभीर रोग हो सकता है। क्रम से पूरे शरीर का एक नजर से निरीक्षण करें। एक नाड़ी वैध्य इसी कारण रोगी को लिटा कर अधिकतम वस्त्र उतरवाकर देखता है।
    रक्त के बहाव को जांचें -अपने हाथ के अंगूठे से पैर के अंगूठे को दो सेकेंड के लिए नीचे की तरफ दबाएं, फिर छोड़ दें। आप देखेंगे कि नाखून सफेद हो गया पर कुछ ही क्षणों में वह वापस अपने वास्तविक रंग में आ गया। यदि यह प्रक्रिया धीमी गति से हो रही है, तो यह लक्षण है रोगी के थके होने का, ज्यादा भागमभाग का या खून की कमी का। रक्त बहाव सामान्य से कम है तो आपके हाथ-पैर ठंडे या अधिक गर्म हें तो संबन्धित रोग विचार कर सकते हें।
    धड़कन सुनें एक हाथ की कलाई को पकड़ें और नब्ज पर रखकर दबाव डालें। धीरे से दबाने पर आपकी अंगुलियों के नीचे फड़कने का एहसास होगा। यह एक मिनट में कितनी बार फड़कती है गिनें। एक सामान्य व्यक्ति की नब्ज एक मिनट में 72 बार फड़कती है परंतु जो लोग अधिक चुस्त हैं उनकी कम भी हो सकती है। धूम्रपान, तनाव तथा खराब स्वास्थ्य ज्वर आदि, नब्ज के बढ़ने के कारण हो सकते हैं। धीमी या मंद नब्ज निम्न रक्त चाप, भूख, रक्त की कमी अशक्तता की प्रतीक है। अनुभव से धीरे धीरे अनियमित नाड़ी आदि से संबन्धित रोग जाने जा सकते हें।
    बालों की ओर देखे – बाल स्वस्थ या रोगी, सफ़ेद, रंग हीन, विवर्णया या पतलापन हो या कम घन पन यह लक्षण है विशेषकर महिलाओं के भोजन में पौष्टिकता का अभाव या प्रोटीन की कमी का। यह थॉयरायड की समस्या और हार्माेन्स के असंतुलन से भी हो सकता है। ओवरी सिंड्रोम (बच्चे दानी की खराबी) के कारण भी बाल कमजोर होते हैं। यदि रोगी तनाव ग्रस्त तो एसा सिर की त्वचा रूसी छोड़ने लगती है। डैंड्रफ का यह सबसे सामान्य कारण माना गया है। तनाव से और भी समस्याएं हो सकती हैं, यदि यह रूसी हर माह आती और अपने आप ही खत्म होती रहती है तो हार्मोन की वजह से भी ऐसा हो सकता है। शरीर का आलसी ओर भारी होना कब्ज , एसिडिटी या पेट के रोगों की ओर इशारा करता है।
    नाखूनों की जांच करें- नाखूनों में दरारों का होना और बेतरतीब शेप होना यह दर्शाता है कि पाचन संबंधी परेशानी है। नाखून यदि ऊपर की तरफ मुड़े हैं तो इसका अर्थ है कि आपको हृदय या फेफड़ों से संबंधित रोग होने की संभावना है। यदि नाखून अपना स्वाभाविक घुमाव खो चुके हैं तो इसका मतलब है कि आप गंभीर रूप से एनीमिक हैं। भोजन में पौष्टिक तत्वों की कमी, धूम्रपान और रक्त संचार में असंतुलन होने से नाखून पीले और बदरंग हो जाते हैं। इसलिए अपने भोजन में प्रोटीन, कैल्शियम, ताजे फलों और सब्जियों की मात्रा बढ़ाएं।
    शरीर ओर सांस आदि की गंध पर ध्यान दें, दुर्गध आए तो पेट के रोग वजह से भी हो सकता है या हो सकता है कि दांतों को ठीक ठीक प्रकार से साफ न क्या जा रहा हो। शरीर की विभिन्न गंध अलग अलग रोग के होने का संकेत देती हें।
    जीभ देखें एक स्वस्थ जीभ गहरी गुलाबी और चिकनी होती है, जिस पर सफेद परत होती है। पर यदि यह परत मोटी सफेद और पीला रंग लिए हुए है तो यह पाचन संबंधी विकार का सूचक है। इससे यह भी पता चलता है कि आपने एंटिबायोटिक दवाओं को ज्यादा मात्रा में खाया है और इससे आपके मुंह के बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ गया है। इससे छाले या अल्सर भी हो जाते हें।
    हृदय के बारे में जाने , रोगी जब आपके पास आया था तब वह कैसा था चलने सीडी चड़ने से थका तो नहीं था थोड़ी देर बाद उसकी स्थिति क्या हुई वह सामान्य हुआ या नहीं आदि बातों से जान जाएंगे कि उसका स्वास्थ्य क्या कहता है। सांस लेने और छोड़ने में परेशानी तो नहीं हो रही। नब्ज भी देखें कि वह जरूरत से ज्यादा तेज तो नहीं चल रही। दस मिनट प्रतीक्षा करें फिर नब्ज देखें। यदि आप ठीक हैं तो यह सामान्य स्तर पर आ जाएगी और यदि इसे सामान्य होने में अधिक समय लगा तो इसका मतलब है कि ह्रदय रोग हो सकता है। यदि भौहों के बीच रेखाएं हैं, त्वचा तैलीय है, लालिमा रहती है या खुरदरापन है तो लीवर में समस्या है।
    मल-मूत्र के बारे में जाने- प्रश्नोत्तर के माध्यम से मल- मूत्र का रंग रूप ओर जलन आदि से अतिसार विवन्ध इन्फेक्शन, पीलिया आदि होने का अनुमान किया जाता है जिससे अन्य लक्षण के अनुसार रोगनिदान निश्चित किया जाता है।
    यह लेख एक रोगी ओर एक नव चिकित्सक के लिए सहायक होगा। मन में उठे प्रश्न आप पूछ भी सकते हें। एक रोगी के लिए इस लेख को लिखने का उद्धेश्य मात्र इतना ही है कि नाड़ी परीक्षण के नाम पर प्रभावित न होकर आप अपने रोग के बारे में जितना अधिकतम चिकित्सक /वैध्य को बता देंगे उतना ही आपके लिए अच्छा होगा इससे न केवल आपका समय बचेगा, वरन चिकित्सक भी सही चिकित्सा सलाह देने में समर्थ हो सकेगा। ओर एक नव चिकित्सक के लिए इस लेख से रोग निदान की बारीकियाँ समझने में आसानी होगी, जो केवल अनुभव से ही मिलतीं हें।

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