11 एक राशि में सवा दो नक्षत्र होते हैं।
12- प्रत्येक नक्षत्र में चार चरण होते हैं।
13- नक्षत्र का विस्तार राशियों के विस्तार से कम होता है।
14- किसी कुंडली में जिस प्रकार ग्रहों के लिये राशि का महत्व होता है उसी प्रकार ग्रह किस नक्षत्र में स्थित है वह भी महत्वपूर्ण होता है।
15- राशियों के समान नक्षत्रों के भी स्वामी होते हैं।
16- ज्योतिष में नामाक्षर के लिये नक्षत्र व उसके चरण उत्तरदायी होते हैं।
17- जिस प्रकार किसी ग्रह का राशि स्वामी होता है उसी प्रकार उसका नक्षत्र स्वामी भी होता है और ग्रह का स्वभाव ग्रह के नक्षत्र स्वामी का प्रभाव लिये हुए होता है।
18- किसी भी मुहूर्त के लिये नक्षत्र विशेष का शुभ होना महत्वपूर्ण होता है।
19- रविपुष्य और गुरुपुष्य जैसे महत्वपूर्ण योगों के लिये राशि नहीं बल्कि पुष्य नक्षत्र का होना आवश्यक होता है।
20- कृष्णमूर्ति पद्धति का आधार नक्षत्र ही है।
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