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21- ग्रह की स्थिति बताने के लिये नक्षत्र का संदर्भ अधिक सटीक है, क्योंकि उसमें चार चरण भी होते हैं। अतः ग्रह की ब्रह्मांड में स्थिति नक्षत्र व उसके चरण के साथ बतायी जा सकती है, जोकि राशि आधार से अधिक सटीक है।
22- राशियों के स्वामी में किसी एक ग्रह को एक राशि अथवा दो राशियों का स्वामित्व प्राप्त है वहीं नक्षत्रों में सभी 9 ग्रहों को तीन-तीन नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है।
23- गंडमूल नक्षत्र में जन्मे जातक का गंडमूल शांति 27वें दिन पुनः आने पर करायी जाती है, जिसमें सभी वस्तुओं का 27-27 की संख्या में संग्रह किया जाता है। यदि 27वें दिन तक गंडमूल नक्षत्र का ज्ञान न हो सके तो 27वें महीने में, नहीं तो 27वें वर्ष में, नहीं तो जब भी वह गंडगूल नक्षत्र आये उस दिन उस गंडमूल नक्षत्र की शांति करायी जाती है।
24- यदि किसी बच्चे का जन्म के समय स्वास्थ्य इतना खराब हो जाये कि बच्चा जन्म और मृत्यु के बीच हो तो आप निरीक्षण करने पर 90 प्रतिशत केस में पायेंगे कि बच्चे का जन्म गंडमूल नक्षत्र में हुआ होता है।
25- गंडमूल नक्षत्रों के नाम अश्विनी, मघा, मूल, अश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती है।
26- पंचक नक्षत्र किसी भी शुभ या अशुभ घटना की 5 बार पुनरावृत्ति कराते हैं चाहे वह घटना शुभ हो या अशुभ। तात्पर्य यह है कि यदि किसी परिवार में पंचक में किसी बच्चे का जन्म हुआ हो तो उस कुटुंब में एक वर्ष के अंदर पांच बच्चों का जन्म होता है।
27- यदि किसी परिवार में पंचक के दौरान किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाये तो उस कुटुंब में एक वर्ष के दौरान पांच व्यक्तियों की मृत्यु होती है। इसलिये इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिये दाह संस्कार करते समय, साथ में चार और पुतले बनाकर विधि विधान के साथ दाह संस्कार किया जाता है।
28- पंचक का प्रारंभ काल चंद्रमा के कुंभ राशि में प्रवेश से प्रारंभ होता है और मेष राशि में प्रवेश के समय समाप्त होता है अर्थात जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि में रहता है तो पंचक होता है। इन दो राशियों में वास्तव में कुल साढ़े चार नक्षत्र ही आते हैं क्योंकि प्रत्येक राशि में सवा दो नक्षत्र होते हैं। लेकिन संख्या में 5 नक्षत्र आने के कारण इनको पंचक कहा जाता है।
29- पंचक नक्षत्र हैं – धनिष्ठा-3 से प्रारंभ, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद, रेवती।
30- पंचक नक्षत्रों में ईंधन एकत्र करना, चारपाई बुनना, छत डालना मना है। अर्थात आधुनिक युग में गैस का सिलेन्डर न लेना, पलंग न खरीदना और नये घर की छत डालना माना जा सकता है।
31- रेवती नक्षत्र पंचक और गंडमूल नक्षत्र दोनों होते हैं।

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