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हमारी कितनी आंखें हैं ?

वैसे ही आमतौर पर तो हम सब की दो आंखें होती हैं जिससे हम देखते हैं समझते हैं भावनाएं व्यक्त करते हैं बहुत से जीवन के महत्वपूर्ण कार्य इन आंखों से ही संपन्न होते हैं हमारे जीवन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा यह आंखें हैं लेकिन क्या इन आंखों के अलावा भी हमारे पास कोई और भी आंख है जी हां इन दो आंखों के अलावा भी हमारे पास एक नहीं दो नहीं सैकड़ों हजारों करोड़ों आंखें मौजूद हैं
सबसे पहले तो बात करते हैं कि इन दो आंखों के अलावा हमारे पास एक तृतीय नेत्र भी होता है इसको अंग्रेजी में थर्ड आई कहते हैं और इसी को आज्ञा चक्र भी कहा जाता है कुछ लोग इसको सिक्स सेंस भी कहते हैं यह माथे के में दोनों भौहों के बीच में जहां हम लोग तिलक लगाते हैं माथे पर वहां पर आज्ञा चक्र होता है इसको ही तृतीय नेत्र कहा जाता है जब हम सो जाते हैं और यह हमारी भौतिक दो आंखें बंद हो जाती हैं तब भी हम मन की आंखों से अनेकों अनेक सपने देखते रहते हैं वह सपने इसी तृतीय नेत्र के माध्यम से ही हम देख पाते हैं और इसके साथ ही एक बहुत ही विशेष बात है कि हमारे शरीर में करोड़ों करोड़ों और रोम हैं के सभी रोम छिद्र शरीर के लिए आंख का काम करते हैं क्योंकि शरीर का पैर से लेकर सिर तक और सिर से लेकर पैर तक हर अंग हर भाग हर स्थान और हर रोम अपने आप में आंख है क्योंकि वह पूर्ण रूप से अपनी क्रिया सदैव करता रहता है पर ये सभी करोड़ों आंखें सभी के पास मौजूद तो हैं परंतु यह आंखें किसी-किसी ही व्यक्तित्व की पूर्ण रूप से कार्य कर पाती हैं केवल उस व्यक्तित्व की असंख्य आंखें काम करती हैं जिसकी कुंडलिनी शक्ति बहुत अच्छे स्तर तक जागृत होती है वह व्यक्ति इन असंख्य आंखों के माध्यम से अपने आसपास की हर स्थिति को अपने शहर गांव की स्थिति को राज्य और देश की स्थिति को पूरी पृथ्वी की स्थिति को हलचल को और ब्रह्मांड की हर गति को हर परिवर्तन को इन आंखों के माध्यम से लगातार देख सकता है और महसूस कर सकता है साथ ही उन घटनाओं में अपना हस्तक्षेप भी कर सकता है लेकिन इतने उच्च स्तर की योग्यता बहुत कड़ी मेहनत से बहुत उच्च स्तर की योग्यता से ही प्राप्त हो सकती है ऐसे अनेकों अनेकों उदाहरण हमारे इतिहास में भरे पड़े हैं कि हमारे भारत के प्राचीन समय के ऋषि-मुनियों ने बहुत उच्च स्तर की कठिन समस्याओं को संपन्न करके साधना को संपन्न करके अपने महान कुंडलिनी उर्जा को पूर्ण रूप से जागृत किया और बहुत उच्च स्तर के रस भरे चमत्कार भरे दुर्लभ कार्य संपन्न किए जो कि हम सोच भी नहीं सकते कि इतने उच्च स्तर के कार्य उन्होंने संपन्न किए ऐसे ऋषि मुनि त्रीकालज्ञ कहलाते थे उनको भूत भविष्य और वर्तमान हर चीज का ज्ञान होता था वह सभी ज्ञान इन आंखों के माध्यम से ही प्राप्त होता रहता था चाहे कोई वर्तमान समय की बात करता हो चाहे भूतकाल की बात करता हो चाय भविष्य काल की बात करता हो ऐसी ऋषि-मुनियों के पास हर तरह का ज्ञान हर तरह का प्रश्न का उत्तर उपस्थित रहता था ऐसे ऋषि मुनि अपने दिव्य ज्ञान के माध्यम से गुप्त आंखों के माध्यम से कई कई जन्म पीछे की घटनाओं को देख पाते थे और उन समस्याओं के कारण बता करके उनका हल भी करवा सकते थे यह सभी गुप्त क्रियाएं गुप्त असंख्य आंखों के माध्यम से ही संपन्न हो सकती थी और आज के समय में भी अगर किसी व्यक्तित्व की कुंडलिनी शक्ति जागृत है तो वह भी भूत भविष्य और वर्तमान की स्थिति में को अच्छी प्रकार देख सकता है समझ सकता है घटनाओं में कारण को पहचान सकता है और उन समस्याओं का हल भी प्राप्त करके समाधान कर सकता है और अंत में यही कहना चाहूंगा कि जी हां हमारी आंखों के अलावा भी हमारे पास असंख्य आंखें हैं
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