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🌻🌼सत्कर्म भक्ति का पूरा फल क्यों नहीं मिलता यही विचार कर रहा था मुझे यही कमियां नजर आयी अपने मे🌼🌻

पूजा करने के बाद भी फल नहीं मिलता, दुःख दूर नहीं होता। आखिर ऐसा क्यों ?

मैंने बहुत सारे लोगो कहते सुना है मैं बहुत पूजा करता हूँ पर कुछ होता नहीं है, मैं इस मंदिर में गया, वहाँ पूजा की, कुछ नहीं हुआ , मैंने २१ शनिवार तक शनि को सरसो तेल चढ़ाया कुछ नहीं हुआ , मैंने सोलह सोमवारी किया फिर भी सुधार नहीं हुआ , मैंने हर कुछ किया पर कोई फल नहीं मिला , लगता है भगवान मेरी नहीं सुनते। यह आज के लोगो की आम समस्या है। पूजा को कर्म कम और काम जादा मानते है। मैं आपको बताने का प्रयास करता हूँ आखिर क्यों आपको पूजा का फल प्राप्त नहीं होता है।

१ ) पूजा एकाग्र मन से नहीं करते है : लोग पूजा तो करते है पर मन हमेसा भटकता रहता है। मन कही और होगा ध्यान कही और होगा, वैसी पूजा करने से अच्छा है आप पूजा न करे कही घूमने चले जाये। अधूरा मन से किया हुआ कार्य कभी नहीं फलता तो पूजा का फल आपको कैसे मिलेगा।

२) मन्त्र पढ़ना जाप करना लोग काम की तरह लेते है : लोग पूजा करते समय मन्त्र ऐसे पढ़ते है जैसे समाचार पत्र पढ़ रहे हो। उनके लिये जाप करना मन्त्र पढ़ना एक काम है वह यह सोचते है की अमुक स्त्रोत्र का इतना स्टेंज़ा पढ़ना है इतना पढ लिया है इतना अभी बाकि है . ध्यान आपका पूजा में काम मन्त्र का पेज पूरा करने में जादा रहता है . ऐसे पूजा से कोई लाभ नहीं है . कृपया ऐसा पूजा करके फल की इच्छा न रखे

३) पूजा को रोज मर्रा का एक काम नहीं समझे : लोग जैसे रोज़ खाना खाते है मुहं धोते है और अन्य काम करते है वैसे ही पूजा को भी एक काम की तरह लेते है . पूजा काम नहीं है यह आराधना है इश्वर से मिलन का जरिया है . इसे पुरे भक्ति भाव से कीजिये. यदि आप ने पूजा को एक रोज मर्रा का काम मात्र बना के छोड़ दिया है तो कृपया पूजा करना छोड़ दीजिये ऐसे पूजा करने से अच्छा है कोई और काम करे. आपको कभी भी कोई फल नहीं मिलने वाला है .

४) मैंने लोगो को देखा है ,बस में, ट्रेन में हनुमान चालीसा निकल लेते है और पढना शुरू कर देते है . उनके लिए हनुमान चालीसा की कोई अहमियत नहीं है ,उनके लिय एकाग्रता कोई मायने नहीं रखता ,ध्यान कोई मायने नहीं रखता, उनके लिए पूजा की मुद्रा मायने नहीं रखती, उनका एक ही उद्द्सेय रहता है हनुमान चालीसा का वह २०-२५ पेज जिसका जल्द से जल्द रीडिंग हो जानी चाहिए . ऐसा करके आप आपना समयबर्बाद कर रहे है . आपने पूजा का मजाक बना रखा है यह ढोंग यह स्वांग छोड़ दीजिये इससे कोई लाभ नहीं मिलने वाला.

५) सतयुग में जो पूजा किया जाता था उसका यदि आप १० गुना पूजा कलयुग में करेंगे तो भी आपको उस पूजा का दसवा हिस्सा ही प्राप्त होगा वह भी तब जब आप उतनी ही नियम निष्ठा से पूजा करे जितना सतयुग में किया जाता था . अर्थात अति कठोर पूजा करेंगे तब भी आपको कलयुग में बहुत अल्प फल की प्राप्ति होगी . लेकिन कलयुग में तो पूजा का बाजारीकरण हो चूका है अब यह एक फैशन बन गया है.

६) आप यदि किसी पंडित से पूजा करवाते है वह और भी बेकार है उससे अच्छा है खुद ही चार मन्त्र जाप कर ले शुद्ध मन से . आज कोई भी पंडित न तो शुद्ध है न ही संस्कारी . उनकी नज़र पूजा पर काम आपकी जेब पर जादा रहता है . मन में एकाग्रता काम और छल जादा रहता है . चूँकि पंडित सही नहीं है तो उसके द्वारा पूजा भी कोई फल नहीं देगा.

७) पूजा के लिय निमत जीवन का कोई पालन नहीं करता उसके कठोरता से लोग अब भागते है . पूजा एक तपस्या है और तपस्या में तकलीफ है और तकलीफ हम उठा सकते नहीं तो कैसे तपस्या होगा और कैसे पूजा करेंगे . और ऐसे पूजा का आपको क्या फल मिलेगा आप खुद सोच लीजिये

८)अब यदि अपने पुरे नियम संयम एकाग्रता ईमानदारी और मनोयोग से पूजा कर भी रहे है तो यदि आपको फल नहीं मिल रहा तो समझे अभी आपके पहले वाले पाप काट रहे है जब वह तक वह पाप नहीं कटेगा आपको पूजा का फल नहीं नज़र आएगा. पूजा जारी रखिये

हमारा सुझाव …….

१) पूजा शुरू करने से पहले ४-५ महीने सिर्फ और सिर्फ योग और ध्यान कीजिय कोई मन्त्र जाप नहीं कोई भजन नहीं कुछ भी नहीं सिर्फ योग ध्यान . जब तक आप अपने मन को बंधना नहीं सीखेंगे तब तक सारा पूजा पाठ बेकार है . पहले मन को काबू में करे और यह सिर्फ योग और ध्यान से काबू में आ सकता है

२) उसके बाद कोई एक मन्त्र को योग और ध्यान के साथ जोड़ कर जाप करे

३) यदि मन भटकने लगे पूजा और मन्त्र जाप तुरंत छोड़ दे

४) घर में पॉजिटिव एनर्जी के लिय अच्छे पोधे जरूर लगाये

५) अपने अवलोकन प्रतिदिन करे

६) सोते समय ध्यान अवश्य करे.

७) किसी भी भीड़ भाड़ वाले जगह पर पूजा ध्यान न करे, कोई फल नहीं मिलेगा.

८) हमेशा याद रखे इश्वर आपके अंदर है और उसे सिर्फ ध्यान से पाया जा सकता है मंदिर और मस्जिद के चक्कर काट कर आपको संतुष्टि मिल सकती है पर इश्वर नहीं .

९) यदि आप यह सब कुछ नहीं कर सकते तो सब कुछ छोड़ दीजिये सिर्फ निःस्वार्थ मन से सबकी सेवा कीजिये क्यूंकि सेवा भाव सब पूजा पाठ से बड़ा है . कोई मन्त्र पढने की जरूरत नहीं किसी मंदिर जाने की जरूरत नहीं .

१०) अपने माता पिता, परिवार और समाज की सेवा करे आपका सारा कष्ट दूर हो जाएगा

११) आप सभी लोगो से अनुरोध है पूजा यदि मन से ध्यान से कर सकतेहै तो करे अन्यथा पूजा करना छोड़ दीजिये और मानव पशु और पौधों के सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दे, ….

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