ईश्वर की व्यवस्था अटल है। उसके नियम सौ प्रतिशत संसार में लागू होते हैं । ईश्वर कभी भी, किसी भी व्यक्ति को माफ नहीं करता, एक बार भी माफ नहीं करता। जैसे बिजली की तार को यदि छुआ जाए, तो वह एक बार भी माफ नहीं करती।
इसलिए ईश्वर की इस व्यवस्था को अवश्य समझें।
अच्छे काम करें और सदा सुखी रहें । बुरे काम से बचें और दंड न भोगें।
यदि कोई व्यक्ति दूसरों के साथ छल कपट आदि धोखा देने का व्यवहार करता है , तो ईश्वर उसके प्रत्येक कर्म को अच्छी प्रकार से नोट करता है। और समय आने पर उसको खतरनाक दंड देता है । उसे कीड़ा मकोड़ा पशु पक्षी वृक्षादि योनियों में जन्म देकर अत्यंत दुख देता है , ताकि उसका सुधार हो जाए , और वह आगे पाप कर्म न करे।
और जो ईश्वर के इस संविधान को स्वीकार करता है । शुभ कर्मों का आचरण करता है । उसे ईश्वर सब प्रकार के सुख भी देता है । मनुष्य बना कर बहुत सा आनन्द भी देता है।
इस प्रकार से वह हमारा रक्षक राजा तथा दयालु भी है।
ईश्वर के दोनों स्वरुपों को जानें, तथा उससे ठीक-ठीक लाभ उठावें
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