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-मानसिक विद्युत

  • लगभग 80 अरब साइकल्स  मानसिक शक्ति उर्जा के रुप में हर समय हर मनुष्य के शरीर के विभिन अंगो से वातावरण  में प्रवाहित होती रहती है ।यह ऊर्जा सकारात्मक व नाकारात्मक संकल्पों के रुप में होती है ।

-जब यह मानसिक विद्युत बहुत अधिक मात्रा में सकारात्मक संकल्पों के रुप में होती है तो हमारे पास आने वाले व्यक्ति विचित्र अनुभव करेगें ।

-इस मानसिक  विद्युत को बढा  कर और केंद्रित कर के हम किसी भी व्यक्ति को बदल सकते है । बदलने का अर्थ है वह सकारात्मक सोचने लगेगा । कई  लोग बदलने का मतलब समझते है वह हमारी इच्छा अनुसार काम करने लगेगा । वह हमारा नौकर  नही बन जायेगा    । हम उसे कहे झाडू लगाओ तो वह झाडू लगायेगा । हां  उसे  जो भी  काम पसंद है करेगा तो वही परंतु उसमे सकारात्मकता आ जायेगी । दूसरों का कल्याण होगा । किसी का नुकसान नही होगा ।

-जितनी सकारात्मक विद्युत की मात्रा  अधिक होगी, उतना ही उस व्यक्ति की वाणी में मिठास होगी, स्वभाव में शालीनता होगी । होठो  पर मुस्कान होगी । चेहरा  खिला  हुआ होगा । उमंग होगा । चुस्त होगा ।  तुरंत काम करेगा ।

-चेहरे पर उदासी, आँखो में दीनता, निस्तेज शरीर, मन में दुःख, तनाव, मानसिक पीड़ा, आलस्य, काम करने को मन न करना, खाली  खाली  महसूस करना, बोर महसूस करना, यॆ लक्षण दर्शाते है कि  मानसिक विद्युत  कम हो गई है ।

-जिन व्यक्तियों से  हमारी मनसिक विद्युत मेल खाती  है । उन से मिलने पर हमें बहुत अच्छा  लगेगा । वह व्यक्ति जिंदगी में जब हमें पहली  बार मिलते है हम उनकी ओर  खिंचे  चले जाते है । उन से बात करने को मन करता है । उन्हे देखने से बल मिलता है ।  उन पर पूरा विशवास   होता है । खुशी होती है । हाँ अगर ऐसे व्यक्तियों से मिलने पर ज़रा सा  भी  मन में भय या तनाव होता है तो ऐसे सम्बन्ध किसी कर्म बंधन की निशानी है । उन से मेल  मिलाप बढ़ाते समय सामाजिक नियमों का ध्यान  रखो । नहीं  तो सांप  डस  लेगा ।

-बीमारी और कुछ  नही, जिस स्थान पर विद्युत कम हो जाती है वहां रोग पैदा  हो जाता है । जहां रोग है उस स्थान पर मन से संकल्प दो आप ठीक है ठीक है । अपने इष्ट के शरीर के उसी भाग  पर मन एकाग्र करो और उसे याद करो तो इस से आप के शरीर का वह हिस्सा ठीक हो जायेगा । उस भाग  पर अपने मन को एकाग्र करो और ऐसे महसूस करो जैसे आप की आती जाती सांस  वहां पड़  रही है । आप का वह भाग  रोग मुक्त हो जायेगा  ।

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