आज केवल वही तनाव में नहीं हैं,जिन पर बड़ी जिम्मेदारियां हैं,बल्कि वे नौनिहाल भी हैं,जिनके खेलने-कूदने आनंदित रहने के दिन हैं।तनाव का एक ही कारण है-अस्वीकार भाव।जो भी घटता है इसे स्वीकार न करना ही तनाव का कारण है। मुख्य रूप से अतीत और भविष्य की चिंताओं से तनाव पैदा होता है।अतीत पर हमारा नियंत्रण नहीं होता।जाहे विधि राखे राम तेहि विधि रहियो।प्रभु किसी का भी बुरा करते हैं तो उसमें हमारा भला ही छुपा होता है।
निरर्थक चिंतन की जरूरत नहीं है।हमें आगे की सोचना चाहिए।वर्तमान को स्वीकार करना चाहिए ,इसका मतलब है कि हमें इस समय जो सर्वोत्तम है वही करना चाहिए? तमाम विसंगतियों के बाबजूद परमात्मा सृष्टि को मंगलमय दिशा में ले जाने को संकल्पित हैं ।जो होगा अच्छा ही होगा,यह विश्वास मन में पैदा करना ही होगा ।🙏🙏
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