मनुष्य अच्छी तरह जानता है। कि “असत्य” अच्छा नहीं है।। फिर भी वह उसमें आसक्त रहता है। वह अपने दुर्गुणों को नहीं छोड़ सकता।। वह अपने दुर्गुणों को नष्ट करने के लिए प्रयत्नशील नहीं होता । इसका काऱण क्या है।। “अविद्या” रहस्यमयी है।” “बुरे संस्कारों के कार्य रहस्यमय हैं।।” सत्संग तथा गुरु – सेवा के द्वारा इस मोह को नष्ट किया जा सकता है। तुम स्वार्थ तथा लोभ के उन्माद में झूठे बन गए हो।। तुम नहीं जानते कि तुम वास्तव में क्या कर रहे हो,”तुम्हारी बुद्धि लोभाच्छन्न है। ” एक न एक समय तुम्हारी चेतना तुम्हें कोसेगी।। “पश्चाताप के कारण तुम्हारा हृदय रक्तरंजित होगा। “तभी तुम अपने को शुद्ध बनाओगे।। जप करो, भगवान का कीर्तन करो, उपवास रखो, अच्छे कर्म करो, गरीबों तथा बीमारों की सेवा करो और इस प्रकार अपने को शुद्ध बनाओ। तुम में सच्चाई आएगी, सच्चाई से तुम मुक्ति, शान्ति तथा पूर्णता प्राप्त करोगे।।
Զเधॆ Զเधॆ🙏🙏
[रबड़ की गेंद जिस दिशा में जितनी जोर से मारी जाती है, वहाँ से वह ठीक उलटी दिशा में उतने ही जोर से वापस आती है।। देखना यह है कि हम दूसरों के साथ कैसा रवैया अपनाते और कैसा व्यवहार करते हैं ? उसकी प्रतिक्रिया ठीक वैसी ही होगी। देना घाटे का सौदा नहीं है।। सत्पात्रों के हाथ हमारी सेवा, सद्भावना एवं सहायता पहुँचती है तो निश्चित रूप से वह अनेक गुनी होकर वापस लौटती है। हमारी उदारता भी ऐसी ही है।। यदि हम अपने को खाली करते रहेंगे तो बदले में ईश्वरीय व्यवस्था हमें उसी अनुपात से भर देगी। खाली तालाब चाहे उथला हो या गहरा वर्षा आते ही लबालब भर जाता है।।
जय श्री कृष्ण🙏🙏
[आपके बहुत से मित्र ऐसे होंगे जो आपको बहुत अच्छे लगते होंगे , और हमेशा आपके आगे पीछे घूमते रहते होंगे । आपको लगता होगा कि ये आपके बड़े हितैषी हैं , आपकी मुसीबत में काम आने वाले हैं । परंतु जब आपके ऊपर कठिन समय आएगा, तब उनकी परीक्षा हो जाएगी, कि वे लोग आपका कितना साथ देते हैं। आपकी मुसीबत के समय जो आपके प्रिय लोग आपको छोड़कर भाग जाएँगे, तब आपको पता चल जाएगा, कि वे भरोसा करने योग्य नहीं है।। और जो लोग आप पर मुसीबत आने पर भी आपका साथ ना छोड़ें, आपकी सेवा सहायता पूरे मन से श्रद्धा से करें , वही आपके सच्चे मित्र होंगे। वही भरोसा करने योग्य होंगे।। तो छोटे-छोटे कठिन समय में अपने सब मित्रों की परीक्षा करते रहें। जो भरोसा पात्र हैं, उन्हीं से मित्रता रखें। और जो कपट मुनि हैं, उनसे जरा सावधान रहें।।
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सज्जन आदमी का मतलब वो नही जो झूठ सह लेता हो अपितु वो जरुर है जो झूठ की सह (पक्ष) नहीं लेता हो। अधिकांशतया एक खामोश रहने वाले इंसान को दुनिया द्वारा सज्जन आदमी का दर्जा दे दिया जाता है। लेकिन जो खामोश रहे वो सज्जन नही अपितु असत्य के प्रतिकार का जिसके अन्दर जोश रहे वही सज्जन है।। जो सरलता असत्य का विरोध न कर सके वह समाज व स्वयं दोनों के लिए बड़ी ही घातक है। अगर झूठ और अन्याय को सह लेना ही सरलता होती तो फिर भगवान् राम को कभी भी ” शील संकोच सिन्धु रघुराई “” न कहा जाता।। श्री राम सरल अवश्य थे लेकिन केवल सुग्रीव के लिए, बालि के लिए नही, केवल अहिल्या के लिए, ताड़का के लिए नही, केवल विभीषण के लिए, रावण के लिए कदापि नही।।
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यह जिस्म तो किराये का घर है; एक दिन खाली करना पड़ेगा:!!सांसे हो जाएँगी जब हमारी पूरी यहाँ; रूह को तन से अलविदाकहना पड़ेगा:!!वक्त नही है तो बच जायेगा गोली से भी; समय आने पर ठोकर से मरना पड़ेगा:!!मौत कोई रिश्वत लेती नही कभी; सारी दौलत को छोंड़ के जानापड़ेगा:!!ना डर यूँ धूल के जरा से एहसास से तू; एक दिन सबको मिट्टी में मिलना पड़ेगा:!!सब याद करे दुनिया से जाने के बाद; दूसरों के लिए भी थोडा जीना पड़ेगा:!!मत कर गुरुर किसी भी बात का ए दोस्त:! तेरा क्या है..? क्या साथ लेके जाना पड़ेगा…!!इन हाथो से करोड़ो कमा ले भले तू यहाँ… खाली हाथ आया खाली हाथ जाना पड़ेगा:!!ना भर यूँ जेबें अपनी बेईमानी की दौलत से… कफ़न को बगैर जेब के ही ओढ़ना पड़ेगा..!!यह ना सोच तेरे बगैर कुछ नहीं होगा यहाँ; रोज़ यहाँ किसी को ‘आना’ तो किसी को ‘जाना’ पड़ेगा…!
जय श्री कृष्ण🙏🙏