मानवीय गुणों में एक प्रमुख गुण है “क्षमा” और क्षमा जिस भी मनुष्य के अन्दर है वो किसी वीर से कम नही है। तभी तो कहा गया है कि- ” क्षमा वीरस्य भूषणं और क्षमा वाणीस्य भूषणं ” क्षमा साहसी लोगों का आभूषण है और क्षमा वाणी का भी आभूषण है। यद्यपि किसी को दंडित करना या डाँटना आपके बाहुबल को दर्शाता है।
मगर शास्त्र का वचन है कि बलवान वो नहीं जो किसी को दण्ड देने की सामर्थ्य रखता हो अपितु बलवान वो है जो किसी को क्षमा करने की सामर्थ्य रखता हो। अगर आप किसी को क्षमा करने का साहस रखते हैं तो सच मानिये कि आप एक शक्तिशाली सम्पदा के धनी हैं और इसी कारण आप सबके प्रिय बनते हो।
आजकल परिवारों में अशांति और क्लेश का एक प्रमुख कारण यह भी है कि हमारे जीवन से और जुवान से क्षमा नाम का गुण लगभग गायब सा हो गया है। दूसरों को क्षमा करने की आदत डाल लो जीवन की कुछ समस्याओं से बच जाओगे। निश्चित ही अगर आप जीवन में क्षमा करना सीख जाते हैं तो आपके कई झंझटों का स्वत:निदान हो जाता है।
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परमात्मा का न तो कोई अतीत है। और न कोई भविष्य।। परमात्मा का तो केवल वर्तमान है। आप परमात्मा के संबंध में अतीत और भविष्य का प्रयोग नहीं कर सकते आप नहीं कह सकते कि परमात्मा था आप यह भी नहीं कह सकते कि वह होगा आप केवल यह कह सकते हैं, कि परमात्मा है। वास्तविकता में जो इस क्षण में है।। उसी का नाम परमात्मा है। उसके अतिरिक्त और कोई परमात्मा नहीं है।। इस क्षण में समग्रता से लीन हो जाना ही ध्यान है, समाधि है। इस क्षण को पूरी तरह से जी लेना ही आत्म बोध है, निर्वाण है।।
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