भगवान की लीलाएँ अनन्त हैं और गुण भी अनंत हैं। उनकी लीलाओं का बार बार चिंतन करने से मन उनमें लीन हो जाता है, तद्रूप हो जाता है।
*प्रभु के लिए सर्वस्व का त्याग करना ही सन्यास है। सांसारिक सुखों का उपभोग करने वाले पर भगवान जल्दी कृपा नहीं करते। ये तो दो नाव पर सवार होकर नदी पार करने जैसा है।*
*आज स्थिति यही है कि लोग भजन भी करना चाहते हैं और सांसारिक सुखों का भी उपभोग चाहते हैं। यहाँ कुछ भी छोड़ने का प्रयत्न मत करिये बस प्रभु की ओर चलते रहिये धीरे धीरे कब सब छूट जाएगा पता भी नहीं लगेगा।*
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