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🌹प्रारब्ध तीन तरह के होते है-
मन्द, तीव्र तथा तीव्रतम🌹

भगवान् कहते है मन्द प्रारब्ध मेरा नाम जपने से कट जाते है ।
तीव्र प्रारब्ध किसी सच्चे संत का संग करके श्रद्धा और विश्वास से मेरा नाम जपने पर कट जाते है ।
पर तीव्रतम प्रारब्ध भुगतने ही पड़ते है।
लेकिन जो हर समय श्रद्धा और विश्वास से मुझे जपते हैं, उनके प्रारब्ध मैं स्वयं साथ रहकर कटवाता हूँ और तीव्रता का अहसास नहीं होने देता हूँ ।

प्रारब्ध पहले रचा, पीछे रचा शरीर ।
तुलसी चिन्ता क्यों करे, भज ले श्री रघुबीर।।

एक गुरूजी थे । हमेशा ईश्वर के नाम का जाप किया करते थे । काफी बुजुर्ग हो गये थे । उनके कुछ शिष्य साथ मे ही पास के कमरे मे रहते थे ।

 जब भी गुरूजी को शौच; स्नान आदि के लिये जाना होता था; वे अपने शिष्यो को आवाज लगाते थे और शिष्य ले जाते थे ।

धीरे धीरे कुछ दिन बाद शिष्य दो तीन बार आवाज लगाने के बाद भी कभी आते कभी और भी देर से आते ।

एक दिन रात को निवृत्त होने के लिये जैसे ही गुरूजी आवाज लगाते है, तुरन्त एक बालक आता है और बडे ही कोमल स्पर्श के साथ गुरूजी को निवृत्त करवा कर बिस्तर पर लेटा जाता है । अब ये रोज का नियम हो गया ।

एक दिन गुरूजी को शक हो जाता है कि, पहले तो शिष्यों को तीन चार बार आवाज लगाने पर भी देर से आते थे । लेकिन ये बालक तो आवाज लगाते ही दूसरे क्षण आ जाता है और बडे कोमल स्पर्श से सब निवृत्त करवा देता है ।

एक दिन गुरूजी उस बालक का हाथ पकड लेते है और पूछते कि सच बता तू कौन है ? मेरे शिष्य तो ऐसे नही हैं ।

वो बालक के रूप में स्वयं ईश्वर थे; उन्होंने गुरूजी को स्वयं का वास्तविक रूप दिखाया।

 गुरूजी रोते हुये कहते है : हे प्रभु आप स्वयं मेरे निवृत्ती के कार्य कर रहे है । यदि मुझसे इतने प्रसन्न हो तो मुक्ति ही दे दो ना ।

 प्रभु कहते है कि जो आप भुगत रहे है वो आपके प्रारब्ध है । आप मेरे सच्चे साधक है; हर समय मेरा नाम जप करते है इसलिये मै आपके प्रारब्ध भी आपकी सच्ची साधना के कारण स्वयं कटवा रहा हूँ ।

 गुरूजी कहते है कि क्या मेरे प्रारब्ध आपकी कृपा से भी बडे है; क्या आपकी कृपा, मेरे प्रारब्ध नही काट सकती है ।

 प्रभु कहते है कि, मेरी कृपा सर्वोपरि है; ये अवश्य आपके प्रारब्ध काट सकती है; लेकिन फिर अगले जन्म मे आपको ये प्रारब्ध भुगतने फिर से आना होगा । यही कर्म नियम है । इसलिए आपके प्रारब्ध स्वयं अपने हाथो से कटवा कर इस जन्म-मरण से आपको मुक्ति देना चाहता हू 

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[ नशा छोड़ने के लिए अचूक उपाय चाहे वह कोई भी नशा हो शराब, गुटखा, तम्बाकू या कोई भी।
अदरक के छोटे छोटे टुकड़े काट ले अब इन पर सेंधा नमक बुरक ले, अब इन टुकड़ो पर निम्बू निचोड़ ले और इन टुकड़ो को धुप में सूखने के लिए रख दे। जब सूख जाए तो बस हो गयी दवा तैयार।
अब जब भी किसी नशे की लत लगे तो ये टुकड़ा निकाला और चूसते रहो। ये अदरक मुह में घुलती नहीं इसको आप सुबह से शाम तक मुह में रख सकते हैं।
अब आप सोचोगे के ऐसा अदरक में क्या हैं तो सुनिए जब किसी आदमी को नशे की लत लगती हैं तो उसकी बॉडी सल्फर की डिमांड करती हैं, और अगर हम सल्फर की कमी शरीर में पूरी कर दे तो फिर बॉडी को ये नशे की उठने वाली तलब नहीं लगेगी।
ये प्रयोग आप 3 से 4 दिन करोगे तो ही आप नशा मुक्त हो जाओगे। अगर कोई बहुत बड़ा नशेबाज हैं या रेगुलर ड्रिंक करते हैं तो उनको ये 7 से 8 दिन लग सकते हैं।
जनजागरण के लिए शेयर करें ताकि हमारा भारत नशामुक्त और स्वास्थ्य बने।
[>>> घुटनों की चिकनाहट और दर्द की समस्या को सही करें सिर्फ 10 दिन में अब तक का सबसे सफल प्रयोग

आज के बदलते परिवेश में खान-पान में भी कुछ न कुछ बदलाव आरहा है, क्योंकि आज वो पुराने जमाने के बिना मिलावटी शुद्ध खाद्य सामग्री नही रही। यही कारण है कि आज के इस आधुनिक और वैज्ञानिक युग मे भी बीमारियों का अंबार खड़ा है, इसमे से एक है घुटने का दर्द। हमने कई बार अपने बड़े बुजर्गो को घुटनों के दर्द से तडपते हुए देखा है। दिन रात दवाई खाने से भी उन्हें कोई आराम नही मिलता है चलने फिरने में बहुत परेशानी होती है और साथ ही घुटनों को मोड़ने में, उठने – बैठने में भी दिक्कत आती है। कभी कभी उन्हें इतना ज्यादा दर्द होता की वो ठीक ढंग से सो भी नहीं पाते और उनके घुटनों में सुजन तक भी आ जाती है। उम्र के साथ हड्डियों की बीमारी बढती जाती है। आज हम घुटनों के दर्द के ऐसे कारगर उपाय बताएंगे जो बहुत असरकारक है अगर इनको अपना लिया तो बुढ़ापे तक किसी सहारे की जरूरत नही पड़ेगी तो आइये जानते है इन उपायों के बारे में।

घुटनो के दर्द (Knee Pain) के चमत्कारी घरेलू रामबाण उपाय

हरसिंगार एक पौधा है जिसके सफेद रंग के फूल होते है ये फूल रात को खिलकर सुबह गिर जाते है इस पौधे के 6 से 7 पत्तों को सिल बट्टे पर पीसकर इसकी चटनी बना ले और एक गलास पानी में उबाले। उबलते उबलते जब यह आधा रहा जाये तो इसको गुनगुना करके प्रतिदिन खाली पेट पीये। ऐसा करने से आपके सरीर और जोड़ो के दर्द से आपको मुक्ति मिलेगी। इस औषधि के साथ कोई अन्य दवा नहीं लेनी है। यह उपाय सबसे ज्यादा कारगर और सफल है।

कनेर के पत्तों को उबालकर उसको उसके पत्तों की चटनी बना ले और तिल के तेल में मिलाकर घुटनों पर मालिश करे ऐसा करने से आपको दर्द से मुक्ति मिलेगी।

आपके घुटनों में दर्द रहता है तो रोज रात को 2 चम्मच मैथी को एक ग्लास पानी में भिगो कर रख दे। और प्रात: काल खाली पेट मेथी को चबा चबा कर खाने से और मेथी का पानी पीने से आपको कभी भी घुटनो का दर्द नही होगा।

एक ग्लास दूध में 4-5 लहसुन की कलियाँ डाल कर अच्छी तरह से उबाले और गुनगुना पीने से भी घुटनों के दर्द में आराम मिलता है।

हर रोज आधा कच्चा नारियल खाने से बुढ़ापे में भी कभी आपको घुटनों के दर्द का परेशानी नही होगी।

अखरोट प्रतिदिन खाली पेट खाने से आपके घुटने में कभी कष्ट नही होगा।

रोज रात को सोने से पहले एक ग्लास दूध ने हल्दी डाल कर पीने से आपको हड्डियों में दर्द की समस्या से मुक्ति मिलेगी।

एक दाल के दाने के बराबर थोड़ा सा चूना (जो आप पान में लगा कर खाते है) को दही में या पानी में मिला कर पीने से आपको हड्डियों में कभी दर्द नही होगा। चूने के पानी को हमेशा सीधे बैठकर ही पिए इससे आपको जल्दी आराम होगा। यह औषधि सिर्फ 1 महीने पीने से ही शरीर की किसी भी

हड्डी में दर्द हो तो वो जल्दी ठीक हो जाएगा।

सुबह और शाम को भद्र आसन करने से आपको लाभ मिलेगा।

हड्डियों के दर्द से बचने के लिए आप अपने भोजन में 25% फल और सब्जियों को शामिल करेगे तो आपको कभी भी हड्डियों के दर्द का सामना नहीं करना पड़ेगा।

नारियल, सेब, संतरे, मौसमी, केले, नाशपति, तरबूज और खरबूजे आदि फलों का सेवन हर रोज जरुर करे।

गोभी, सोयाबीन, हरी पत्तेदार सब्जियों के साथ खीरे, ककड़ी, गाजर, और मेथी को अवश्य शामिल करे।

दूध और दूध से बनी चीजे भरपूर मात्रा में खाए और कच्चा पनीर भी भोजन में शामिल करे, ऐसा करने से आपके जोड़ों के दर्द में कमी आएगी।

मोटा अनाज, मकई, बाजरा, चोकर वाले आटे की रोटियों का जरुर उपयोग करे। क्योंकि इनमे वो सभी तत्व होता है जो आपकी हड्डियों और जोड़ो के दर्द से मुक्ति दिलाता है।

अगर अत्यधिक सर्दी की वजह से आपके दादा या दादी के घुटनों में बहुत अधिक पीड़ा है तो सरसों के तेल में लहसुन और अजवायन को पकाये और फिर जब यह तेल गुनगुना हो जाये तो

घुटनों पर मालिश करे, उनका दर्द गायब हो जायेगा।
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जीवन संचालन करने वाले मुख्य पाँच भौतिक तत्व धरती पर जीवन का संचालन करने वाले मुख्य पाँच भौतिक तत्व ही हैं-

पृथ्वी
अग्नि
आकाश
जल
वायु
इन सबसे मिलकर यह सारा ब्रह्माण्ड बना है। हमारा शरीर भी पंचभूत है इन्हीं पांच तत्त्वों से भरपूर जीवन में मनुष्य वास्तु में इन पांचों तत्वों को संतुलित करके ही सुख समृद्धि तथा शांति प्राप्त कर सकता है लेकिन इन पांचों तत्वों में से एक भी तत्त्व की कमी हो तो हानि, रोग, शोक आदि का मुंह देखना पड़ता है। प्राचीनकाल में हमारे भवन का निर्माण करने वाले राज मिस्त्रियों को वास्तु का बहुत ज्ञान था। जहां मनुष्य, वास करता है। उसी का नाम वास्तु है, सुखी समृद्धि एवं सुखमय जीवन यापन करने के लिए वास्तु के नियमों का पालन अवश्य करना चाहिये।

‘पिरामिडोलॉजी’ नामक एक विशुद्ध विज्ञान का विकास प्राचीनकाल में इसी उद्देश्य के लिये हमारे ऋषियों के द्वारा किया गया है। आज इसके प्रवक्ताओं का मत है कि पिरामिडों के विशिष्ट आकार प्रकार में ‘अलौकिक शक्ति’ छिपी पड़ी है। इनकी आकृति इतनी मायावी है कि उसे निखिल ब्रह्माण्ड का मानव कृत लघु संस्करण कहा जा सकता है। इनमें ‘सूक्ष्म ब्रह्माण्डीय ऊर्जा’ का बहुलता से एकत्रीकरण होता रहता है। जो जीवित तथा निर्जीव पदार्थों को प्रभावित किए बिना नहीं रहती।

पिरामिडनुमा भवन चाहे वह चैकोर हो अथवा गोलाकार, विभिन्न प्रकार की ब्रह्मंडीय तरंगों को आकर्षित कर अपना प्रभाव मानव शरीर और मन पर अवश्य डालते हैं। पर्यवेक्षकों का कहना है कि सभी पिरामिड उत्तर-दक्षिण एक्सिस पर बने हैं। यह भी एक वैज्ञानिक रहस्य है जो बताता है कि भू चुम्बकत्व एवं ब्रह्मांडीय तरंगों का इस विशिष्ट संरचना से निश्चय ही कोई संबंध है। उत्तर-दक्षिण गोलाद्धों को मिलाने वाली रेखा पृथ्वी की चुम्बकीय रेखा है। चुम्बकीय शक्तियाँ विद्युत तरंगों से सीधी जुड़ी हुई हैं जो यह दर्शाती हैं कि ब्रह्मांड में बिखरी मैग्नेटोस्फीयर में विद्यमान चुम्बकीय किरणों को संचित करने की अभूतपूर्व क्षमता पिरामिड में है। यही किरणें एकत्रित होकर अपना प्रभाव अंदर विद्यमान वस्तुओं या जीवधारियों पर सकारात्मक रूप से डालती हैं। इन सभी पिरामिडों का प्रयोग यदि आज की आवश्यकता के अनुरूप किया जाये तो मनुष्य अवश्य इनसे अनेक लाभ उठा सकता है।🙏🏼
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: धारणा द्वारा पंचभूतों पर विजय या अधिकार प्राप्‍त करके योगी जन्‍म, जरा, मृत्‍यु आदि को जीत लेता है; इस विषय में यह सूत्र भी प्रमाण है— पृथ्व्यप्तेजोअनिलखे समुत्थिते पंचात्मे के योग गुणे प्रवृत्ते। न तस्य रोगो न जरा न मृत्यु: प्राप्तस्य योगाग्निमयं शरीरम॥ ‘ध्‍यानयोग का साधन करते-करते जब पृथ्‍वी, जल, तेज, वायु, और आकाश-इन पाँच महाभूतों का उत्‍थान हो जाता है अर्थात् जब साधक का इन पाँचों महाभूतों पर अधिकार हो जाता है और इन पाँचों महाभूतों से सम्‍बन्‍ध रखने वाली योग विषयक पाँचों सिद्धियाँ प्रकट हो जाती हैं, उस समय योगाग्निमय शरीर को प्राप्‍त कर लेने वाले उस योगी के शरीर में न तो रोग होता है, न बुढ़ापा आता है और न उसकी मृत्‍यु ही होती है। अभिप्राय यह कि इच्‍छा के बिना उसका शरीर नष्‍ट नहीं हो सकता योगदर्शन 03। 46,47 ।🙏🏼
पतंजलि योग सूत् से
[मैसेज अच्छा है पड़ना जरूर

छोटा सा जीवन है, लगभग 80 वर्ष।

उसमें से आधा =40 वर्ष तो रात को

बीत जाता है। उसका आधा=20 वर्ष

बचपन और बुढ़ापे मे बीत जाता है।

बचा 20 वर्ष। उसमें भी कभी योग,

कभी वियोग, कभी पढ़ाई,कभी परीक्षा,

नौकरी, व्यापार और अनेक चिन्ताएँ

व्यक्ति को घेरे रखती हैँ।अब बचा ही

कितना ? 8/10 वर्ष। उसमें भी हम

शान्ति से नहीं जी सकते ? यदि हम

थोड़ी सी सम्पत्ति के लिए झगड़ा करें,

और फिर भी सारी सम्पत्ति यहीं छोड़ जाएँ,

तो इतना मूल्यवान मनुष्य जीवन

प्राप्त करने का क्या लाभ हुआ?

स्वयं विचार कीजिये :- इतना कुछ होते हुए भी,

1- शब्दकोश में असंख्य शब्द होते हुए भी…

👍मौन होना सब से बेहतर है।

2- दुनिया में हजारों रंग होते हुए भी…

👍सफेद रंग सब से बेहतर है।

3- खाने के लिए दुनिया भर की चीजें होते हुए भी…

👍उपवास शरीर के लिए सबसे बेहतर है।

4- देखने के लिए इतना कुछ होते हुए भी…

👍बंद आँखों से भीतर देखना सबसे बेहतर है।

5- सलाह देने वाले लोगों के होते हुए भी…

👍अपनी आत्मा की आवाज सुनना सबसे बेहतर है।

6- जीवन में हजारों प्रलोभन होते हुए भी…

👍सिद्धांतों पर जीना सबसे बेहतर है।

इंसान के अंदर जो समा जायें वो

             ” स्वाभिमान “
                    और
जो इंसान के बाहर छलक जायें वो

             ” अभिमान “
ये मैसेज पूरा पढ़े, और
   अच्छा लगे तो सबको भेजें 🙏

🔹जब भी बड़ो के साथ बैठो तो   

      परमात्मा का धन्यवाद करो ,

     क्योंकि कुछ लोग
      इन लम्हों को तरसते हैं ।

🔹जब भी अपने काम पर जाओ
      तो परमात्मा का धन्यवाद करो

     क्योंकि
     बहुत से लोग बेरोजगार हैं ।

🔹 परमात्मा का धन्यवाद कहो

     जब तुम तन्दुरुस्त हो ,

     क्योंकि बीमार किसी भी कीमत पर सेहत खरीदने की ख्वाहिश रखते हैं ।

🔹 परमात्मा का धन्यवाद कहो

      की तुम जिन्दा हो ,
      क्योंकि मरते हुए लोगों से पूछो

      जिंदगी की कीमत क्या है।

दोस्तों की ख़ुशी के लिए तो कई मैसेज भेजते हैं । देखते हैं परमात्मा ,के धन्यवाद का ये मैसेज कितने लोग शेयर करते हैं !🌹🙏😊😊🙏🌹
[मिट्टी के बर्तनों से स्टील और प्लास्टिक के बर्तनों तक

    *और फिर कैंसर के खौफ से दोबारा मिट्टी के बर्तनों तक आ जाना,*

अंगूठाछाप से दस्तखतों (Signatures) पर
और फिर अंगूठाछाप (Thumb Scanning) पर आ जाना,

फटे हुए सादा कपड़ों से साफ सुथरे और प्रेस किए कपड़ों पर
और फिर फैशन के नाम पर अपनी पैंटें फाड़ लेना,

ज़्यादा मशक़्क़त वाली ज़िंदगी से घबरा कर पढ़ना लिखना
और फिर IIM MBA करके आर्गेनिक खेती पर पसीने बहाना,

क़ुदरती से प्रोसेसफ़ूड (Canned Food & packed juices) पर
और फिर बीमारियों से बचने के लिए दोबारा क़ुदरती खानों पर आ जाना,

पुरानी और सादा चीज़ें इस्तेमाल ना करके ब्रांडेड (Branded) पर
और फिर आखिरकार जी भर जाने पर पुरानी (Antiques) पर उतरना,

बच्चों को इंफेक्शन से डराकर मिट्टी में खेलने से रोकना
और फिर घर में बंद करके फिसड्डी बनाना और होश आने पर दोबारा Immunity बढ़ाने के नाम पर मिट्टी से खिलाना…..

गाँव, जंगल, गौशाला से डिस्को पब और चकाचौंध की और भागती हुई दुनियाँ की और से
फिर मन की शाँति एवं स्वास्थ के लिये शहर से जँगल गाँव व गौशालाओं की ओर आना

इससे ये निष्कर्ष निकलता है कि टेक्नॉलॉजी ने तुम्हे जो दिया उससे बेहतर तो भगवान ने तुम्हे पहले से दे रखा था ..!!


[: मांसाहारियों के लिये विटामिन बी12 के बेहतरीन श्रोत

शैलफिश (Shellfish) के 100 ग्राम में विटामिन B12 की 98.9μg (1648% DV) मात्रा होती है। 100 ग्राम लीवर (बीफ) में 83.1μg (1386% DV) विटामिन B12 होता है। वहीं टोफू मछली (Silken Tofu) के 100 ग्राम में 2.4μg (40% DV)। रेड मीट (बीफ) के 100 ग्राम में 6.0μg (100% DV) होता है। अंडे या चिकन के 100 ग्राम में 2.0μg (33% DV) होता है।

शाकाहारियों के लिये दूध और दही
100 ग्राम फैट रहित दही में (10% DV) विटामिन B12 व 15 प्रतिशत डेली वैल्यू (DV, रोजाना आवश्यक मात्रा) प्रति कप होता है। है। दही में बी-कॉम्‍पलेक्‍स विटामिन्‍स जैसे विटामिन बी2 और बी1 तथा बी12 भी होते हैं। वहीं 100 ग्राम कम वसा वाले दूध में 0.46μg (8% DV) तथा 19 प्रतिशत डेली वैल्यू (DV, रोजाना आवश्यक मात्रा) प्रति कप होता शाकाहारी लोगों के लिये आपके लिये दूध एक अच्‍छा विकल्प है। इसके अलावा सोया प्रोडक्‍ट सोया बीन, सोया दूध आदि में भी विटामिन B12 प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।

चीज़ भी है एक अच्छा विकल्प (Cheese)
पनीर में विटामिन बी 12 की मात्रा इसके प्रकार और किस्म पर निर्भर करती है। स्विस पनीर सबसे ज्यादा विटामिन B12 प्रदान करता है। 100 ग्राम (56% DV) स्विस चीज़ में 3.34μg होता है। कॉटेज चीज़ में भी विटामिन बी12 की मात्रा काफी अधिक होती है।

खमीर (Yeast extract spreads) में विटामिन बी12
ब्रिटेन और यूरोप में खमीर के सेवन का काफी प्रचलन है, और इसे अब अमेरिका में भी पसंद किया जाने लगा है। खमीर शाकाहारियों के लिये विटामिन बी12 का एक बेहतरीन श्रोत है। इस के 100 ग्राम में 0.5μg (8% DV) विटामिन बी12 होता है।
[ अर्जुन एक दिव्य पेड़

अर्जुन का पेड़ 64 दिन जड़ी बूटी में से एक है यह भारतवर्ष में बहुत कम स्थानों पर पाया जाता है यह हिमालय की तलहटी में पाया जाता है छोटा नागपुर के पास में पाया जाता है और दक्षिण बिहार 
आदि की तरफ भी सामान्य रूप से पैदा होता है इसकी ऊंचाई लगभग 40 से 60 फुट तक होती है इसके पत्तों का आकार मनुष्य की जीभ के समान जैसा होता है इस वृक्ष के ऊपर वैशाख के महीने में अत्यंत सुंदर फूल 
आते हैं इस पेड़ से भूरे रंग का गोद  निकलता है जो लोग हृदय रोग से परेशान हैं उनके लिए इसके मुकाबले की कोई औषधि नहीं है इसकी छाल को काढ़ा बनाकर उस में गुड़ डालकर और थोड़ा फल
सा दूध डाल डाल कर और क्या कर पीने से हृदय की सूजन का बढ़ना रुक जाता है और हृदय से संबंधित किसी भी प्रकार की बीमारी में  इससे बहुत 
फायदा मिलता है इस वृक्ष की छाल का सत्व  निकालकर और शुद्धिकरण की प्रक्रिया करके  रक्त में इंजेक्शन की तरह पहुंचाया जाए तो हृदय को तुरंत आराम मिलता है यदि हृदय का कोई बाल निष्क्रिय हो गया  
हो या हृदय  सिकुड़ गया हो या फिर कोई और तकलीफ हो तो इसे प्रयोग करने से आश्चर्यजनक लाभ पहुंचता है इसकी लकड़ी को फर्नीचर बनाने के कार्य में भी प्रयोग किया जाता है इस पेड़ की छाल कुछ सफेद रंग की 
होती है इसके फल छोटे छोटे होते हैं और इस पर सफेद रंग के फूल लगते हैं इन फूलों को भी औषधीय कार्य में प्रयोग किया जाता है  भारतवर्ष में इस पेड़ को अलग -अलग राज्यों में अलग -अलग नामो से जानते है  |
 

► तनावमुक्त होकर तथा मन व शरीर शांत रखकर व्यायाम करें।

► इस हकीकत को स्वीकारें कि हमेशा युवा नहीं रह सकतीं। चाहे दिन रात व्यायाम करें। बढ़ती उम्र को गर्व से स्वीकार करें।

► अच्छे स्वास्थ्य और लंबी जिंदगी के लिए योगाभ्यास तो जरूरी है ही पर इसके अतिरिक्त कुछ सामान्य नियमों और सावधानियों का पालन भी आवश्यक है। इन नियमों-सावधानियों व जानकारियों के पालन से दिनचर्या व्यवस्थित होने लगती है और हम लंबे समय तक युवा बने रह सकते हैं।

► प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व उठने का नियम बनाएं। इसके लिए रात में जल्दी सोने की आदत डालें। सुबह उठने के बाद शौचादि से निवृत्त होकर ऊषापान करें। ऊषापान के लिए रात में पानी तांबे के बर्तन में भर कर रख दें और सुबह उसमें से लगभग दो गिलास पानी खाली पेट पीएं। सर्दी के मौसम में पानी थोड़ा गुनगुना कर लें।

► सूर्योदय से पहले ही नित्यकर्म से निवृत्त होकर खुले वातावरण में जाकर योगाभ्यास करें।

► अपनी दिनचर्या में शारीरिक श्रम को महत्व दें। कई रोग इसीलिए पैदा होते हैं, क्योंकि हम दिमाग से अधिक और शरीर से कम काम लेते हैं। आलस्य त्यागकर पैदल चलने, खेलने, सीढ़ी चढ़ने, व्यायाम करने, घर के कामों में हाथ बंटाने आदि शारीरिक श्रम वाली गतिविधियों में लगें।

► दिन में कम से कम दो लीटर पानी अवश्य पीओ।

► भूख लगने पर ही भोजन करें। जितनी भूख हो, उससे थोड़ा कम खाएं। अच्छी तरह चबा कर खाएं। दिन भर कुछ न कुछ खाते रहने का स्वभाव छोड़ दें। दूध, छाछ, सूप, जूस, पानी आदि तरल पदार्थों का अधिकाधिक सेवन करें।

► प्रकृति के नियमों के अनुरूप चलें, क्योंकि \’कुदरत से कुश्ती\’ करके कोई निरोगी नहीं हो सकता।

► प्रतिदिन योगाभ्यास का नियम बनाएं।

आपकी त्वचा आपके स्वास्थ्य के बारे में क्या कहती है ?

त्वचा से जानें स्वास्थ्य का हाल :त्वचा हमारे शरीर का सबसे बड़ा अंग है। इसके बहुत से कार्य हैं,जिसमें शरीर को सुरक्षा प्रदान करना भी शामिल है। कोमल, चिकनी, सुंदर, ओजयुक्त, दमकती त्वचा स्वस्थ होने की निशानी है। इसके विपरीत फोड़े-फुसी, पिम्पल्स, दाद-खाज़ एवं धब्बों से युक्त त्वचा रोगी होने की निशानी है।

हमारे शरीर के अंगों की लगभग सभी क्रियाविधि का असर हमारी त्वचा के रंग-रूप पर अवश्य पड़ता है। जब शरीर के अंग एवं ग्रंथियाँ अपना कार्य ठीक से नहीं करेंगी तो उसका सीधा एवं तुरंत या देर-सबेर प्रभाव त्वचा पर पड़ेगा ही। त्वचा हमारे शरीर से अपशिष्टों को भी बाहर निकालती है इसलिए यदि शरीर में अपशिष्टों की वृद्धि होगी तो भी त्वचा इससे प्रभावित होगी तथा उसके रंग-रूप में परिवर्तन अवश्य होगा। खून एवं लसिका की मात्रा तथा उनकी अवस्था का असर भी त्वचा पर दिखाई पड़ता है।

त्वचा के द्वारा रोगों का पता 3 चीज़ों से लगाया जाता है : (1) त्वचा की अवस्था (2) त्वचा का रंग तथा (3) त्वचा पर उपस्थित धब्बे या निशान।

त्वचा से रोगों की पहचान :

1- नम या गीली त्वचा –अधिक मात्रा में तरल लेने से त्वचा गीली प्रतीत होती है। अधिक मात्रा में पानी, फलों का जूस, दूध एवं चीनी लेने से त्वचा नम रहती है।

नम त्वचा बताती है कि रोगी का रक्त पतला है, उसे ज़्यादा पसीना आता है, उसे मूत्र भी ज़्यादा आता है। ऐसे व्यक्ति में चक्कर, याददाश्त में कमी, मंदबुद्धि, डायरिया आदि लक्षण या रोग पाए जा सकते हैं।

2- तैलीय या ऑयली त्वचा –सामान्यतः त्वचा हल्की-सी ऑयली होती है। अत्यधिक वसा या फैटी खाद्य पदार्थ खाने वालों की त्वचा अधिक तैलीय होती है। घी, तेल एवं एनिमल प्रोटीन अधिक मात्रा में लेने वालों की त्वचा तैलीय होती है। गालब्लैडर या किडनी में पथरी, ब्रेस्ट या ओवरी अथवा गर्भाशय में गाँठ या सिस्ट, मधुमेह आदि होने पर भी त्वचा अधिक तैलीय हो जाती है।

3- रूखी या ड्राय त्वचा –रूखी त्वचा शरीर में पानी की कमी को इंगित करती है। लेकिन यह रूखापन त्वचा के नीचे अत्यधिक फैट जमने पर भी होता है। क्योंकि फैट की सतह या लेयर पानी को त्वचा तक नहीं पहुँचने देगी जिससे कि त्वचा रूखी दिखाई देगी। रूखी त्वचा से मुक्ति पाने वालों को अपनी डाइट में पानी की मात्रा बढ़ाना चाहिए साथ ही फैट की मात्रा को घटाना चाहिए।

4- खुरदरी या रफ़ त्वचा –इस प्रकार की त्वचा बताती है कि व्यक्ति अधिक मात्रा में प्रोटीन एवं जटिल फैट का सेवन कर रहा है। अधिक मात्रा में शुगर, सॉफ्ट ड्रिंक्स, दवाइयाँ एवं रसायन का सेवन करने वालों की भी त्वचा खुरदरी हो जाती है। धमनियों में फैट जमने से या धमनियाँ सख्त होने के कारण भी त्वचा खुरदरी हो जाती है।

6- पीली त्वचा –लिवर एवं गालब्लैडर के रोगों में त्वचा का रंग पीला हो जाता है।सफ़ेद रंग लिवर, गालब्लैडर, स्प्लीन एवं लसिका ग्रंथियों के सुचारू रूप से कार्य नहीं करने के कारण त्वचा का रंग सफेद हो सकता है। अत्यधिक दूध एवं अन्य डेयरी उत्पाद खाने वालों में भी त्वचा का रंग सफेद हो सकता है।

7- लाल रंग –हृदय एवं रक्त वाहिनी के रोग, फेफड़ों की समस्या, अधिक मात्रा में मसालों का सेवन करने के कारण त्वचा का रंग लाल हो सकता है।

8- नीली त्वचा –लिवर की कार्यप्रणाली में गड़बड़ी, स्प्लीन तथा पैंक्रियाज़ में समस्या होने पर त्वचा का रंग नीला होने लगता है। यदि त्वचा के किसी हिस्से में रक्त का प्रवाह बाधित होता है, तो भी त्वचा नीली होने लगती है।

9- एक्ज़िमा –त्वचा पर रूखे, कठोर, उभरे हुए सफ़ेद, पीले या लालिमायुक्त पैच को एक्ज़िमा कहते हैं। एक्ज़िमा का कारण उत्सर्जनतंत्र एवं सर्कुलेटरी सिस्टम में गड़बड़ी है। हृदय, लिवर एवं किडनी में चर्बी या फैट जमा होना एक्ज़िमा का प्रमुख कारण है।

खाने में अत्यधिक डेयरी प्रॉडक्टस, नॉनवेज़, शुगर एवं अंडा लेने वालों में एक्ज़िमा की समस्या अधिक होती है। अंडे को तेल या बटर में तलकर खाने वालों को एक्ज़िमा होने की संभावना अत्यधिक होती है। यदि आप एक्ज़िमा से पीड़ित हैं, तो अपने भोजन से फैटी वस्तुएँ बिलकुल अलग कर दीजिए।

10- पिम्पल्स –अत्यधिक फैट, शुगर एवं जंक-फूड्स लेने वालों को पिम्पल्स अधिक होते हैं। पिम्पल्स लाल तथा सफेद रंग के होते हैं। पिम्पल्स शरीर के ऊपरी हिस्से में होते हैं। अधिकतर पिम्पल्स गालों पर, माथे पर, नाक एवं ठोड़ी पर होते हैं। कंधों, कमर एवं पीठ पर भी पिम्पल्स होते हैं। पिम्पल्स जिस स्थान पर होते हैं वे किसी अंग की क्रियाविधि की खराबी को इंगित करते हैं। जैसे :

माथे पर पिम्पल्स – आँतें
गालों पर पिम्पल्स – फेफडे
मुँह के आस-पास – प्रजनन तंत्र
नाक पर – हृदय
जबड़ों पर – किडनी
पीठ पर – फेफड़े
छाती पर – फेफड़े एवं हृदय
कंधों पर – पाचनतंत्र

पिम्पल्स के उपरोक्त स्थान बताते हैं कि संबंधित अंगों की क्रियाविधि में गड़बड़, उन पर सूजन एवं फैट जमा होने के कारण हुई है। यदि हम संबंधित अंगों का उपचार करेंगे, तो उन विशिष्ट स्थानों के पिम्पल्स भी ग़ायब हो जाएँगे।

11- त्वचा पर लाल निशान –त्वचा पर लाल निशान तेज़ बुख़ार के बाद उत्पन्न हो सकते हैं, जैसे : टाइफ़ॉइड, न्यूमोनिया, यू.टी.आई., मलेरिया आदि।

12- त्वचा पर काले निशान –ये काले निशान अपनी स्थिति (अर्थात जहाँ पर यह निकलते हैं) से अंग विशेष की क्रियाविधि में आई बाधा को भी दर्शित करते हैं। जैसे : चेहरे पर दाईं आँख के नीचे के काले निशान लिवर रोग, तो बाईं आँख के नीचे के काले निशान किडनी एवं यौनांगों की अति क्रियाशीलता की तरफ़ इशारा करते हैं।

नाक के नथनों के पास की त्वचा पर काले निशान किडनी एवं ब्लैडर की समस्या की निशानी है। गालों पर काले निशान फेफड़ों की समस्या बताते हैं, तो होंठों के आसपास के हिस्से पर काले निशान पाचनतंत्र (आमाशय तथा आँतों) की समस्या के सूचक हैं। माथे पर काले निशान स्प्लीन एवं गालब्लैडर की समस्या की तरफ़ इशारा करते हैं। छाती पर काले निशान होना यह बताता है कि हृदय में इन्फेक्शन हुआ था।

13- त्वचा पर नीले निशान –त्वचा पर नीले रंग के निशान होना यह बताता है कि रक्त नलिकाओं में कहीं कोई अवरोध है। केपेलरीज़ के फटने से भी त्वचा पर नीले निशान उभर आते हैं।अत्यधिक मीठा खाने वाले एवं किडनी तथा परिसंचरण (सर्कुलेटरी) तंत्र की गड़बड़ी से भी इस प्रकार के निशान बन जाते हैं।

विशेष चिकित्सीय सलाह हेतु आप व्यक्तिगत रात्रि 9 बजे के बाद सम्पर्क कर सकते हैं

निरोगी रहने हेतु महामन्त्र

मन्त्र 1 :-

• भोजन व पानी के सेवन प्राकृतिक नियमानुसार करें

• ‎रिफाइन्ड नमक,रिफाइन्ड तेल,रिफाइन्ड शक्कर (चीनी) व रिफाइन्ड आटा ( मैदा ) का सेवन न करें

• ‎विकारों को पनपने न दें (काम,क्रोध, लोभ,मोह,इर्ष्या,)

• ‎वेगो को न रोकें ( मल,मुत्र,प्यास,जंभाई, हंसी,अश्रु,वीर्य,अपानवायु, भूख,छींक,डकार,वमन,नींद,)

• ‎एल्मुनियम बर्तन का उपयोग न करें ( मिट्टी के सर्वोत्तम)

• ‎मोटे अनाज व छिलके वाली दालों का अत्यद्धिक सेवन करें

• ‎भगवान में श्रद्धा व विश्वास रखें

मन्त्र 2 :-

• पथ्य भोजन ही करें ( जंक फूड न खाएं)

• ‎भोजन को पचने दें ( भोजन करते समय पानी न पीयें एक या दो घुट भोजन के बाद जरूर पिये व डेढ़ घण्टे बाद पानी जरूर पिये)

• ‎सुबह उठेते ही 2 से 3 गिलास गुनगुने पानी का सेवन कर शौच क्रिया को जाये

• ‎ठंडा पानी बर्फ के पानी का सेवन न करें

• ‎पानी हमेशा बैठ कर घुट घुट कर पिये

• ‎बार बार भोजन न करें आर्थत एक भोजन पूर्णतः पचने के बाद ही दूसरा भोजन करें

मैं भारत को भारतीयता के मान्यता के आधार पर फिर से खड़ा करना चाहता हूँ उस काम मे लगा हुआ हूँ

वन्देमातरम जय हिंद

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