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पुनर्जन्मऔरज्योतिष

कहते हैं कि कुंडली में आपके पिछले जन्म की स्थिति लिखी होती है। यह कि आप पिछले जन्म में क्या थे। कुंडली, हस्तरेखा या सामुद्रिक विद्या का जानकार व्यक्ति आपके पिछले जन्म की जानकारी के सूत्र बता सकता है।
ज्योतिष के अनुसार जातक के लग्न में उच्च या स्वराशि का बुध या चंद्र स्थिति हो तो यह उसके पूर्व जन्म में सद्गुणी व्यापारी (वैश्य) होने का सूचक है। किसी जातक के जन्म लग्न में मंगल उच्च राशि या स्वराशि में स्थित हो तो इसका अर्थ है कि वह पूर्व जन्म में क्षत्रिय योद्धा था।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब भी कोई जातक पैदा होता है तो वह अपनी भक्ति और भोग्य दशाओं के साथ पिछले जन्म के भी कुछ सूत्र लेकर आता है। ऐसा कोई भी जातक नहीं होता है, जो अपनी भुक्त दशा और भोग्य दशा के शून्य में पैदा हुआ हो।

ज्योतिष धारणा के अनुसार मनुष्य के वर्तमान जीवन में जो कुछ भी अच्छा या बुरा अनायास घट रहा है, उसे पिछले जन्म का प्रारब्ध या भोग्य अंश माना जाता है। पिछले जन्म के अच्छे कर्म इस जन्म में सुख दे रहे हैं या पिछले जन्म के पाप इस जन्म में उदय हो रहे हैं, यह खुद का जीवन देखकर जाना जाता सकता है।

पुनर्जन्म और पशु-पक्षी : सभी ने ‘नागिन’ फिल्म तो देखी ही होगी। ऐसा माना जाता है कि सर्प यानी नाग को अपने 7 जन्मों की संपूर्ण स्मृति रहती है। ऊंट भी अपने 3 जन्मों का पूरा हाल जानते हैं। ऊंट और नाग योनि में ऐसे उदाहरण आते हैं, जब ऊंट अपने पुराने क्रूर स्वामी को इस जन्म में भी पहचान लेता है।

कोई सर्प किसी को भी अनावश्यक नहीं काटता। वह दो स्थिति में ही लोगों को काटता है पहला जबकि उसे लगे कि ये व्यक्ति मेरा लिए खतरा है और दूसरा जबकि उसे लगे कि यह व्यक्ति मेरे पिछले जन्म का दुश्मन है। वह जब भी आपको आक्रमण करेगा तो यही सोचकर करेगा कि पिछले जन्मों में आपने भी उसे कहीं पर तंग किया होगा।

अपने शत्रु से बदला लेने के लिए मगरमच्छ, ऊदबिलाव और भालू जैसे जानवर भी हैं, जो अपने पर उपकार करने वाले पिछले जन्मों के पात्रों को भी नहीं भूलते हैं और हमला करने वाले शत्रुओं को भी कई जन्मों तक दिमाग में संजोए हुए रहते हैं। उनका यह व्यवहार उनके मित्र या शत्रु के मिलने पर जाहिर हो जाता है।

आठ कारणों से लेती आत्मा पुनर्जन्म : शास्त्रों के अनुसार आत्मा के पुनर्जन्म के संबंध में बताए गए 8 कारण-

  1. भगवान की आज्ञा से : भगवान किसी विशेष कार्य के लिए महात्माओं और दिव्य पुरुषों की आत्माओं को पुन: जन्म लेने की आज्ञा देते हैं।
  2. पुण्य समाप्त हो जाने पर : संसार में किए गए पुण्य कर्म के प्रभाव से व्यक्ति की आत्मा स्वर्ग में सुख भोगती है और जब तक पुण्य कर्मों का प्रभाव रहता है, वह आत्मा दैवीय सुख प्राप्त करती है। जब पुण्य कर्मों का प्रभाव खत्म हो जाता है तो उसे पुन: जन्म लेना होता है।
  3. पुण्य फल भोगने के लिए : कभी-कभी किसी व्यक्ति द्वारा अत्यधिक पुण्य कर्म किए जाते हैं और उसकी मृत्यु हो जाती है, तब उन पुण्य कर्मों का फल भोगने के लिए आत्मा पुन: जन्म लेती है।
  4. पाप का फल भोगने के लिए।
  5. बदला लेने के लिए : आत्मा किसी से बदला लेने के लिए पुनर्जन्म लेती है। यदि किसी व्यक्ति को धोखे से, कपट से या अन्य किसी प्रकार की यातना देकर मार दिया जाता है तो वह आत्मा पुनर्जन्म अवश्य लेती है।
  6. बदला चुकाने के लिए।
  7. अकाल मृत्यु हो जाने पर।
  8. अपूर्ण साधना को पूर्ण करने के लिए।

कहते हैं कि मीराबाई द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण की ललिता नामक सखी थी, जो इस कलयुग में परम कृष्णभक्त के रूप में राणा सांगा के घर में अवतरित हुईं। वैसे तो वे पूर्णरूप से श्रीकृष्ण में तल्लीन रहीं लेकिन हजारों वर्षों तक उसकी आत्मा वायुमंडल में तैरती रही

हमारा यह शरीर पंच तत्वों से मिलकर बना है- आकाश, वायु, अग्नि, जल, धरती। शरीर जब नष्ट होता है तो उसके भीतर का आकाश, आकाश में लीन हो जाता है, वायु भी वायु में समा जाती है। अग्नि में अग्नि और जल में जल समा जाता है। अंत में बच जाती है राख, जो धरती का हिस्सा है। इसके बा‍द में कुछ है, जो बच जाता है उसे कहते हैं आत्मा। आत्मा कभी नहीं मरती।

महाभारत युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण अर्जुन से कहते हैं- हे कुंतीनंदन! तेरे और मेरे कई जन्म हो चुके हैं। फर्क ये है कि मुझे मेरे सारे जन्मों की याद है, लेकिन तुझे नहीं। तुझे नहीं याद होने के कारण तेरे लिए यह संसार नया और तू फिर से आसक्ति पाले बैठा है।

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि ।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णा न्यन्यानि संयाति नवानि देही।। -गीता 2/22

अर्थात : जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नए वस्त्रों को ग्रहण करता है, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीरों को त्यागकर दूसरे नए शरीरों को प्राप्त होती है।

यहूदी, ईसाइयत, इस्लाम पुनर्जन्‍म के सिद्धांत को नहीं मानते हैं। उक्त तीनों धर्मों के समानांतर- हिन्दू, जैन और बौद्ध ये तीनों धर्म मानते हैं कि पुनर्जन्म एक सच्चाई है। योरप और भारत में ऐसे ढेरों किस्से मिल जाएंगे जिनको अपने पिछले जन्म की याद है। विज्ञान इस संबंध में अभी तक खोज कर रहा है, लेकिन वह किसी निर्णय पर नहीं पहुंचा है। पूर्व जन्म के कई वृत्तांत पत्र-पत्रिकाओं व अखबारों में प्रकाशित हुए हैं। इस विषय पर कई किताबें लिखी जा चुकी हैं और बहुत सी फिल्में भी बनी है। प्रसिद्ध दार्शनिक सुकरात, प्लेटो और पायथागोरस भी पुनर्जन्म पर विश्वास करते थे। दुनिया की लगभग सभी प्राचीन सभ्यताएं भी पुनर्जन्म में विश्वास करती थीं।

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