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अतिसार(डायरिया)

नमस्कार दोस्तों आज मैं अतिसार यानी डायरिया से अवगत कराऊंगा व उसके रोकथाम के उपाय भी दूँगा।

ये रोग 4 प्रकार का होता है

  1. ब्लौस डायरिया – इसको आयुर्वेद में पक्वातिसार कहते है इसमें पतले दस्त होते है कुछ गाढ़ा व कुछ पीला मल निकलता है
  2. म्यूकस डायरिया– गांठ लेकर गाढ़ा व पीला मल निकलता है।

3- सिरस डायरिया – पानी की तरह पतले दस्त

4- सिम्पेथेटिक डायरिया – पतले , गाढ़े भिन्न भिन्न रंगों के दस्त होते है

लक्षण
साधारणतया डायरिया में दस्त होते है , वमन होती है, स्वांस में दुर्गन्ध आती है, पेट फूल जाता है, तथा उसमें पीड़ा होती है रोगी को शीत लगता है कमजोरी आती है प्यास लगती है जीभ का रंग मैला से हो जाता है

डायरिया के कारण– अत्यंत गर्म भोजन करना मिर्च आदि तीक्ष्ण चीजें खाना , उपबास के उपरांत गर्म पदार्थ खाना , नियम पूर्वक आहार विहार का पालन करना , शोक व भय आदि डायरिया को पैदा करते है।

बालको को दूध के दाँत निकलते समय , तथा गर्भवती प्रसूता स्त्रियों को भी ये यह रोग होता है ।

पेचिश(Dysentery)

Dysentery को आयुर्वेद में प्रवाहिका और हिकमत में पेचिश कहा जाता है ।ये तीन प्रकार की होती है ।

प्रथम दर्जा– बड़ी आंतों में सूजन हो जाती है इसलिए मरोड़ा की पीड़ा होकर पतले दस्त होते है।

दूसरा दर्जा -खामेड्सनामक पर्दे में जख्म हो जाता है इस लिए उस समय आंव व खून के दस्त होते है ।

तीसरा दर्जा– वही पर्दा काला और निर्बल हो जाता है उस समय हरे पीले आदि तरह तरह के दस्त आते है।

Dysentery के लक्षण

इस रोग में रोगी के पेट मे सुई चुभने जैसा दर्द होता है थोड़ी थोड़ी देर में पाखाना जाना पड़ता है भूख बन्द हो जाती है प्यास लगती है पेट पर अफारा आ जाता है तथा रोगी के शरीर से दुर्गन्ध आती है ।

यह रोग चिकित्सा करने के बाद भी बढ़ता जाए तो ये असाध्य हो जाता है पहले दर्जे में ये सुख साध्य ,दूसरे दर्जे में कष्ट साध्य और तीसरे दर्जे में असाध्य हो जाता है।

Dysentery के कारण – अत्यंत गर्मी, गर्म व खुश्क पदार्थ , कच्चे फल, कच्चे अन्न, तथा देर से पचने वाले पदार्थ इस रोग के प्रमुख कारण है इसके अतिरिक्त मलेरिया से भी ये रोग पैदा होता है

अतिसार चिकित्सा
अतिसार रोग में रोगी के बार बार पाखाना जाने से और किसी प्रकार का आहार न ले पाने से शरीर मे पानी की कमी हो जाती है ये जल की कमी डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण) जान लेवा भी सिद्ध हो सकती है इसलिए W.H.O का O.R.S घोल ले यदि ये न मिले तो इलेक्ट्रोल पाउडर का प्रयोग करे अथवा घर पर ये घोल बनाये 200 ml ताजा जल में 2 चम्मच ग्लूकोज या शक्कर ओर 2 चुटकी नमक मिला कर । रोगी को आवश्यकता नुसार थोड़ी थोड़ी देर में दे इसके अलावा रोगी को मीठी शिकंजी , नारियल पानी चावल का मांड जौ का पानी , दाल का पानी , मट्ठा अथवा फलों का रस भी दिया जा सकता है।
मामूली रोग में इस प्रयोग से ठीक हो जाते है ।

इसके अलावा –

गृहणी कपाट वटी, अमेविका tab, डायरोल tab, अतिसारांतक कैप्सूल, डायोनिल कैप्सूल, ओजस tab, दीपन tab, डायोरेक्स tab

कोई भी एक दो tab चिकित्सक की देख रेख में ले ।

व साथ मे डायडिन सीरप , अर्क कपूर, क्लोरोडिन पेय, अमृत धारा पुदीन हरा , धारा का प्रयोग चिकित्सक की देख रेख में कर सकते हो ।

Note- रोगी के दस्त में आराम हो जाए तो एकदम न रोके क्योकि दस्त अपच के कारण होते है इससे पाचन तंत्र और शरीर की शुद्धि होती है ऐसे में दीपक और पाचक दवाएं दे

पेचिश(Dysentery) की चिकित्सा

डायोरेक्स tab, डायोरेन tab, ग्रहणी कपाट वटी, डिसेन्ट्रोल tab, डायारिल पेय चिकित्सानुसार दे।

अतिसारों में कुछ शास्त्रोक्त दवाएं

पथ्यादि क्वाथ, पाठादि चूर्ण, शुंठी पुटपाक, समंगादि चूर्ण,गंगाधर चूर्ण, बृहतगंगाधर चूर्ण, , कुटजावलेह, बत्सकावलेह, लौह पर्पटी, स्वर्ण पर्पटी, जाति फलादि वटी, करपुरादि वटी, चंद्रकली वटी, विजयावलेह, बिल्बादि चूर्ण, अतिसार गज केसरी चूर्ण, खदिरादि वटी, अतिसारांतक चूर्ण, रसांजनादि चूर्ण आदि चिकित्सानुसार सेवन कर सकते है ।

अतिसार कुछ घरेलू उपाय

1- सोंठ, काली मिर्च,पीपर, हींग, वच, हरड़, और काला नमक प्रत्येक का समभाग बनाया गया चूर्ण गर्म जल से सेवन करने से आमातिसार नष्ट हो जाता है।

2 – भांगरे का रस दही से सेवन करने से समस्त प्रकार का अतिसार ठीक होता है।

3- बेलगिरी या कच्चे बेल को जल में उबालकर शहद के साथ कुछ दिन तक सेवन करने से समस्त प्रकार का अतिसार और प्रवाहिका रोग नष्ट होता है।

3- बबूल की कोमल पत्तियां अधिक मात्रा में लेकर जल के साथ पीसकर पीने से अतिसार ठीक होता
[जुकाम, खांसी

काली मिर्च और बताशे पानी मे औटा कर गरमागरम पीने से जुकाम, खांसी, हल्की हरारत, और देह का दर्द में आराम आता है और पसीना आकर शरीर फूल सा हो जाता है । एक व्यक्ति आराम से 10 से 15 काली मिर्च 4से5 बतासे को एक गिलास पानी मे उबाले व चौथाई बचने पर पिलाये बच्चे की और बूड़ो की खुराक अपने हिसाब से कम कर ले ।
या
सोंठ या बतासे का काढ़ा पिये जुकाम व छाती का दर्द भी ठीक होता है

या
काली मिर्चो का पिसा छना चूर्ण शहद से चाटे।

या
लोंग भूनकर मिश्री की चाशनी में मिला कर

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