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💫 सर्दी का बुखारः💫

पहला प्रयोगः 6 ग्राम सोंठ के साथ 2 ग्राम दालचीनी का 20 से 50 मि.ली. काढ़ा या आधा से 2 ग्राम पीपर के साथ निर्गुण्डी का 20 से 50 मि.ली. रस पीने से सर्दी के बुखार में लाभ होता है।

दूसरा प्रयोगः 1 से 2 ग्राम तुलसी, 2 से 5 ग्राम अदरक एवं आधा से 2 ग्राम मुलहठी को घोंटकर 2 से 5 ग्राम शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता है। सर्दी के बुखार में किसी अनुभवी वैद्य के परामर्श से त्रिभुवनकीर्तिरस एवं लक्ष्मीविलासरस ले सकते हैं।

तीसरा प्रयोगः सर्दी के बुखार की गंभीर हालत में अजवाइन एवं नमक को सेंककर उसकी गरम-गरम पोटली छाती पर रखने से कफ पिघलकर वेदना शांत होती है।

चौथा प्रयोगः अदरक व पुदीने का काढ़ा देने से पसीना आकर ज्वर उतर जाता है। शीतज्वर में लाभप्रद है।

💫पित्तज्वर💫

सौंफ तथा धनिया के काढ़े में मिश्री मिलाकर पीने से पित्तज्वर का शमन होता है।

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💫न्यूमोनिया💫

पुदीना का ताजा रस शहद के साथ मिलाकर दो-तीन घंटे के अंतराल से देते रहने से न्यूमोनिया से होने वाले अनेक विकारों की रोकथाम होती है और ज्वर शीघ्रता से मिट जाता है।

💫सर्व प्रकार के बुखार की रामबाण दवा💫

पहला प्रयोगः दो तोला कुटी हुई गुडुच (गिलोय) को रात्रि में थोड़े पानी में भिगोकर सुबह मसल-छानकर पीने से सब प्रकार के बुखार में लाभ होता है।

दूसरा प्रयोगः 30 से 40 मुनक्कों को लगभग 250 ग्राम पानी में रात को भिगो दें। सुबह उसे खूब उबालकर उसके बीज निकालकर खा जायें और वही पानी पी जायें। इससे शरीर में बल और स्फूर्ति का संचार होगा। रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ेगी और ज्वर का उन्मूलन हो जायेगा।

तीसरा प्रयोगः रात्रि में 25 ग्राम सोंफ पानी में भिगोकर रखें। सुबह उसी पानी में उबालें। उबल जाने पर सोंफ को खूब मसलकर उसका पानी छान लें। इस पानी में 4 मूँग भार (200-250 मि.ग्राम) जितनी फुलायी हुई लाल फिटकरी का चूर्ण डालकर सुबह खाली पेट 40 दिन तक पीने से पुराने से पुराना किसी भी प्रकार का बुखार मिटता है। इस प्रयोग से 20 वर्ष पुरानी कब्जियत भी दूर हो जाती है।

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