Phone

9140565719

Email

mindfulyogawithmeenu@gmail.com

Opening Hours

Mon - Fri: 7AM - 7PM

🍁चावल
🌸परिचय-
धान को ओखली में या मशीनों द्वारा पीसकर उसके ऊपर छिल्कों को अलग किया जाता है। बिना छिलके के धान के दानों को चावल कहा जाता है। चावल के शीतल एवं शक्तिवर्द्धक होने के कारण दुनिया भर के लोग चावल का उपयोग दैनिक भोजन के रूप में करते हैं। चावल मुख्यत: बारिश के मौसम की फसल होती है।
🌼कामोद, पंखाली, पंचसाल, आम्रमोर, राजभोग, जीरासार, कालीसार, रातीसार, बेरसाल, वॉकसाल, राजावल, हन्सराज, बासमती, इलायची, पी.आर 12, पी.आर 13 साबरमती आदि पतले और जाया, पन्त 4 आदि मोटे चावल की प्रमुख किस्में हैं।
🌻आयुर्वेद के अनुसार केवल 60 दिनों में तैयार होने वाले साठी चावल अधिक गुणकारी माने जाते हैं। साठी चावल संग्रहणी, पेचिश और मंदाग्नि (भूख कम लगना) को समाप्त करता है। ये चावल पाचक और बलकारी होते हैं तथा वायु पैदा नहीं करते हैं अत: इन्हें निर्दोष एवं पथ्यकर माना गया है।
🌷कारखाने में पालिश किए हुए चावलों की अपेक्षा हाथकूट (घर में ओखली-मूसल के द्वारा कूटना) के चावल बहुत ही उत्तम होते हैं। ऐसे चावल मधुर तथा पुष्टकारक और अति उत्तम होते हैं।
🌼चावलों में चर्बी (स्निग्धता) का तत्व बहुत कम होने से ये पचने में अतिशय लघु और हल्के होते हैं। अत: बच्चों व बीमारों के लिए पके हुए चावल और मूंग की दाल लाभदायक होती है। चावल के साथ दाल मिलाने से उसका वायुकारक गुण कम हो जाता है और पौष्टिक गुण बढ़ता है। चावल में अरहर, मूंग व चना आदि की दाल की खिचड़ी बनायी जाती है। केवल भात की अपेक्षा खिचड़ी अधिक पौष्टिक है। खिचड़ी की अपेक्षा चावल और दाल अलग-अलग पकाकर मिश्रण करके खाने से पाचन जल्दी होता है तथा ये अधिक स्वादिष्ट लगती है। कुछ लोग चावल को पकाते समय उसके माण्ड को निकालकर बाहर निकाल देते हैं। यह ठीक नहीं हैं। चावल का मांड अत्यंत शीतल और पौष्टिक होता है।
🍃चावल मधुर, स्निग्ध, बलप्रद, कषैला, लघु, रुचिकारक, स्वर सुधारने वाला, वीर्यवर्धक, शरीर को पुष्ट करने वाला, शीतल, पित्तनाशक, मूत्रवर्द्धक, मलबन्धक तथा मल को निकालने वाला है। चावल प्रमेह और पेट के कीड़ों को भी नष्ट करता है।
🌻साठी चावल :
साठी चावल, मधुर, शीतल, मलबन्धक, वायु व पित्त का शमन करने वाला और विशेषकर त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) को दूर करता है।
चावलों की किनकी को छाछ (मट्ठे) में पकाकर महेरी बनाई जाती है। छोटे बच्चों और बीमार लोगों के लिए यह बहुत उपयोगी होता है। चावल का आटा बनाकर उससे चपाती तथा मोटी रोटी आदि व्यंजन भी बनाये जाते हैं। दूध के साथ खाया जाने वाला चावल पुष्टिकारक, मैथुनशक्तिवर्द्धक, बलशाली और पेट साफ करने वाला है। चावल के मुरमुरे (लाई) शीतल, हल्के, पाचनशक्तिवर्द्धक, मलमूत्र को उत्पन्न करने वाले, रुक्ष, बलप्रद एवं पित्त, कफ, उल्टी, अतिसार (दस्त), दाह (जलन), रक्त की अशुद्धि (खून की सफाई), प्रमेह और तृषा (प्यास) को दूर करने वाले होते हैं।
🌻रंग : चावल का रंग सफेद और लाल होता है।
💐स्वाद : इसका स्वाद फीका होता है।
🌸स्वरूप : चावल एक प्रकार का अनाज होता है जो बहुत ही प्रसिद्ध है। यह भारतवर्ष के सभी स्थानों में पाया जाता है। इसकी विभिन्न प्रकार की किस्में होती हैं।
🍂स्वभाव : इसकी तासीर ठण्डी होती है।
हानिकारक : चावल का अधिक मात्रा में सेवन गांठे पैदा करता है।
🌸नोट : जिन लोगों के गुर्दे और मसाने में पथरी का रोग हो तो उनके लिए चावल बहुत ही हानिकारक पदार्थ होता है।
🌸दोषों को दूर करने वाला : शक्कर, दूध और घी चावल के दोषों को दूर करते हैं।
💐तुलना : चावल की तुलना जौ से की जा सकती है।
🌻गुण : चावल प्यास को रोकता है। शरीर को ताजा और मोटा करता है। वीर्य को बढ़ाता है तथा पेचिश, मरोड़, आंव, खूनी आंव, खूनी दस्तों आदि को रोकता है। यह गुर्दे तथा मसानों के रोगों को नष्ट करता है। यदि हम चावल को पीसकर मुंह पर मले तो यह निशान को मिटाता है। इसके धानयुक्त छिलका खाना हानिकारक होता है।
चावल के विभिन्न उपयोग :
💮1. यकृत शक्तिवर्द्धक: सूर्योदय से पहले उठकर 1 चुटकी कच्चे चावल मुंह में रखकर पानी से सेवन करने से यकृत (जिगर) बहुत मजबूत होता है।
🍂2. गर्मीनाशक: चावल की प्रकृति ठण्डी होती है। पेट में गर्मी भारी होने पर एवं गर्मी के मौसम में रोजाना चावल खाने से शरीर को ठण्डक मिलती है।
💐3. पेचिश व रक्तप्रदर: एक गिलास चावल के पानी में मिश्री मिलाकर पीने से पेचिश व रक्तप्रदर नष्ट हो जाता है।
🌸4. दस्त:
चावल पकाने पर इसका उबला हुआ पानी जिसे माण्ड कहा जाता है। यह दस्तों के लिए लाभदायक होता है। बच्चों को आधा कप और जवानों को 1 कप हर घंटे के बाद पिलाने से दस्त बंद हो जाते हैं। इसे छोटे बच्चों को कम मात्रा में पिला सकते हैं। इस माण्ड में थोड़ा-सा नमक मिलाकर सेवन करने से यह स्वादिष्ट, पौष्टिक और सुपाच्य होता है। इसमें नमक मिलाकर इसे दस्तों में पीने से लाभ मिलता है। इस माण्ड को 6 घंटे से अधिक समय तक नहीं रखना चाहिए।
उबले हुए चावल में सेंधानमक को मिलाकर छाछ या दही के साथ प्रयोग करने से अतिसार (दस्त) में आराम होता है।
🍃चावल के पके हुए पानी को 2 चम्मच और 1 कप पानी में मिलाकर हर घंटे के बाद पीने से लाभ मिलता है।
चावलों को पकाकर प्राप्त मांड को या चावल को दही के साथ खाने से दस्त में लाभ मिलता है।
💐5. माण्ड बनाने की सरल विधि: 100 ग्राम चावल आटे की तरह पीस लेते हैं। इसे 1 लीटर पानी में उबालते हैं। भली प्रकार उबालने के पश्चात इसे छानकर स्वाद के अनुसार नमक मिला लेते हैं। इसे बच्चों को आधा कप और जवानों को 1 कप हर घंटे के बाद पिलाने से दस्त बंद हो जाते हैं। इसे छोटे बच्चों को कम मात्रा में पिला सकते हैं। दस्तों में यह बहुत लाभकारी होता है।
💐6. कोलेस्ट्राल व रक्तचाप: लम्बे समय तक चावल खाते रहने से कोलेस्ट्राल कम हो जाता है और रक्तचाप भी ठीक रहता है।
💐7. फोड़ा: पिसे हुए चावलों की पोटली सरसों के तेल में बनाकर बांधने से फोड़ा फूट जाता है एवं पस निकल जाती है।
🌻8. कब्ज: 1 भाग चावल और 2 भाग मूंग की दाल की खिचड़ी में घी मिलाकर खाने से कब्ज दूर हो जाती है।
🌺9. गर्भावस्था की वमन (उल्टी): 50 ग्राम चावल को लेकर 250 मिलीलीटर पानी में भिगो देते हैं। आधा घंटा बीतने के बाद इसमे 5 ग्राम धनिया भी डाल देते हैं। 10 मिनट के बाद इसे मलकर छानकर निकाल लेते हैं। 4 बार में इसे 4 हिस्से करके पिलाएं। इसके प्रयोग से गर्भवती स्त्री की उल्टी तुरन्त ही बंद हो जाती है।
1🍁0. भांग का नशा: चावलों का पानी पीने से भांग का नशा उतर जाता है।
🍂11. पेशाब में जलन व रुकावट: आधा गिलास चावल के माण्ड में चीनी मिलाकर सेवन करने से पेशाब मे रुकावट और जलन दूर हो जाती है।
💐12. चेहरे की झांई:
सफेद चावलों को पानी में भिगोकर उस पानी से चेहरे को धोने से चेहरे की झांई और कालिमा मिटकर चेहरे का रंग साफ और सुन्दर हो जाता है।
चावल का आटा लेकर उसकी लेई बना लें। इसके अन्दर 1 चुटकी चंदन का चूरा, 1 चुटकी पिसी हुई हल्दी और 2 चम्मच गुलाबजल डालकर बहुत अच्छी तरह मिलाते रहना चाहिए। इसके बाद आधे घंटे के लिए इसे धूप में रख दें। मेकअप करने से आधा घंटा पहले इसे चेहरे पर लगाये और अच्छी तरह से रगड़ते रहे। बाद में हल्के गुनगुने पानी से अच्छी तरह धोकर मेकअप कर लें। चेहरे में एक नयी खूबसूरती नज़र आयेगी।
🥀13. शीतला (मसूरिका) ज्वर: चावल का पानी बनाकर पांवों के तलवों की फुंसियों पर लगाने से जलन शांत हो जाती हैं।
🌸14. वमन (उल्टी):
चावलों को पानी में भिगोकर रख लें। 4 घंटे के बाद चावलों को पानी में मसलकर छान लें। फिर उस छने हुए पानी में थोड़ा-सा धनिया मिलाकर पीने से उल्टी आना बंद हो जाती है। गर्भावस्था में (मां बनने के समय में) उल्टी को बंद करने के लिए यह बहुत लाभकारी है।
चावलों के पानी में 3 चम्मच बेलगिरी का रस मिलाकर पीने से उल्टी होना बंद हो जाती है।
🥀15. अतिक्षुधा भस्मक रोग (भूख अधिक लगना):
सफेद चावल और सफेद कमल का दाना बकरी के दूध में खीर बनाकर उसका सेवन करने से भस्मक रोग (बार-बार भूख लगना) में लाभ होता है।
100 ग्राम सफेद चावल को 500 मिलीलीटर ऊंटनी के दूध में डालकर खीर बना लें और उसमें घी डालकर खाने से 12 दिन में भस्मक-रोग मिट जाता है।
🏵16. हिचकी का रोग: चावल के चिरवे (भाड़ पर भुने हुए) पानी में 10 मिनट तक भिगोकर पीस लें। जिससे चटनी बन जाये। उसमें सेंधानमक और कालीमिर्च मिलाकर खिलायें। इससे हिचकी बंद हो जाती है।
🌹17. गर्भवती स्त्री का अतिसार: चावल के सत्तू, आम या जामुन की छाल के काढ़े के साथ गर्भवती स्त्री को सेवन कराने से अतिसार (दस्त) और ग्रहणी नष्ट हो जाती है।
🍂18. संग्रहणी के आने पर: 2 से 3 ग्राम चावल दिन में 2 बार खाने से संग्रहणी अतिसार (दस्त) के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
🍁19. खूनी अतिसार के आने पर:
चावल के पानी में 20 ग्राम चंदन को घिसकर, मिश्री और शहद मिलाकर सेवन करने से रक्तातिसार मिट जाता है।
50 ग्राम चावलों को 250 मिलीलीटर पानी में भिगों दें। 2 घंटों के बाद इस पानी में मिश्री को मिलाकर पीने से खूनी दस्त (रक्तातिसार) के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
20🌺. आंवरक्त (पेचिश): चावलों को उबालकर दही में मिलाकर और उसमें भुना हुआ जीरा और स्वाद के अनुसार सेंधानमक भी डालककर खाने से पेचिश के रोगी को लाभ मिलता है।
🌸21. जिगर का रोग: सूरज उगने से पहले उठकर मुंह साफ करके एक चुटकी कच्चे चावल की फंकी लें। इससे यकृत (जिगर) को मजबूती मिलती है।
🌺22. श्वेतप्रदर:
आधा कप चावल को 1 कप पानी में भिगो दें। 100 ग्राम मूंग को तवे पर सेंककर पीसकर बोतल में भर लें। 1 चम्मच मूंग का चूर्ण भीगे हुए चावल के पानी के साथ 1 कप में घोलकर रोजाना 1 बार पीने से श्वेत प्रदर में लाभ होता है।
चावल के पानी में कपास की जड़ को घिसकर पीने से ‘वेतप्रदर रोग मिट जाता है।
25 मिलीलीटर चावल का पानी, 1 चम्मच शहद, 1 ग्राम राल, को सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से श्वेत प्रदर में लाभ मिलता है।
🌹23. अम्लपित्त: चावल, मूंग की दाल, घिया, तोरई, परवल, टिंडे आदि सब्जियां, भोजन में हल्के पदार्थ और खाने के साथ हरे धनिये का सेवन जरूर करें।
2💐4. प्यास अधिक लगना:
लाल चावलों का पानी ठण्डा करके शहद मिलाकर खाने से पुरानी तृष्ण (प्यास) मिट जाती है।
14 से 28 मिलीग्राम चावल का फांट दिन में 2 से 3 बार खाने से प्यास अधिक लगना कम हो जाती है।
🌺25. पित्त ज्वर: चावल और छुहारे को पानी में भिगो दें इससे धुले पानी के साथ 240 मिलीग्राम जस्ता भस्म खाने से पित्त ज्वर ठीक हो जाता है।
🥀26. रक्तप्रदर:
50 ग्राम चावलों को पानी से साफ करके 100 ग्राम पानी में डालकर रखें। 4 घंटे के बाद उन चावलों को उसी पानी में थोड़ा-सा मसलकर पानी पीने से रक्त प्रदर मिट जाता है।
चावलों के पानी में 5 ग्राम गेरू सेवन करने से रक्तप्रदर मिट जाता है।
🌾27. मोटापा दूर करना: चावल का गर्म-गर्म पानी लगातार कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
🌹28. शरीर की जलन: चावल के पानी में चंदन घिसकर घोल बना लें। यह 20 ग्राम घोल रोजाना मिश्री और शहद के साथ सेवन करने से शरीर की जलन दूर होती है।
💐29. आग से जल जाने पर:
कच्चा चावल (अरबा चावल) तथा उससे दुगनी मात्रा में काले तिल को लेकर ठण्डे पानी के साथ पीसकर लगातार 3 दिनों तक लेप करने से तुरंत ही जलन और दर्द दूर हो जाता है। ध्यान रहे 3 दिनों के बीच में जले हुए भाग को धोयें नहीं। जब आराम हो जायेगा तो पपड़ी अपने आप ही हट जायेगी।
धान के छिलके जलाकर उसकी राख को घी में मथकर लगाने से आग से जलने के घाव अच्छे होते हैं।
🌸30. कण्ठमाला: अमलतास की जड़ को पीसकर चावलों के पानी के साथ मिलाकर खाने से कण्ठमाला रोग (गले की गांठे) ठीक हो जाती हैं।
🌻31. बच्चों के विभिन्न रोग: विजयसार के फूलों को बारीक पीसकर चावल के पानी में गोली बनाकर सेवन करने से बालरोगों में लाभ मिलता है।

Recommended Articles

Leave A Comment