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हिंदू धर्म में सदियों से पूजा-पाठ, यज्ञ, हवन जैसे शुभ कार्यो में रुद्राक्ष का प्रयोग किया जाता है। रुद्राक्ष के बिना कोई भी धार्मिक अनुष्ठान पूर्ण नहीं होता। अब तो वैज्ञानिक अनुसंधानों के माध्यम से पूरी दुनिया में रुद्राक्ष की गुणवत्ता साबित हो चुकी है। इसके अद्भुत औषधीय गुण प्रयोगशाला में जांच के बाद सही साबित हुए है। इसे धारण करने से शरीर स्वस्थ और मन शांत रहता है।

उत्पत्तिकीकथा

वस्तुत: रुद्राक्ष शब्द का संधि विच्छेद है- रुद्र+अक्षि। अर्थात भगवान शिव का नेत्र। इसकी उत्पत्ति के संबंध में यह भी कहा जाता है कि जब हिमालय की पुत्री सती ने स्वयं को हवन कुंड में समाहित कर दिया था तो भगवान शिव ने रौद्र रूप धारण कर लिया था और सती का शव कंधे पर उठा कर ब्रह्मांड का विनाश करने के लिए तांडव नृत्य करने लगे। शिव जी को रोकने के लिए भगवान विष्णु ने अपना सुदर्शन चक्र चलाया, जिससे सती के शरीर के कई टुकड़े हो गए। टुकड़े जहां-जहां हिस्सों में गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ की स्थापना हुई। अंत में भगवान शिव के शरीर पर सिर्फ सती के शरीर का भस्म रह गया। जिसे देखकर वह रो पड़े। इस तरह भगवान शिव के आंसुओं से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई।

स्वास्थ्यवर्धक_औषधि

रुद्राक्ष एक वनस्पति है। इसके पेड़ पर बेर जैसे फल लगते है। ये पेड़ हिमालय की तराई में पाए जाते है। रुद्राक्ष के प्रभाव से आसपास का संपूर्ण वातावरण शुद्ध हो जाता है। इसे रातभर भिगोकर रखने के बाद और प्रात:काल नियमित रूप से खाली पेट इसका पानी पीना हृदय रोगियों के लिए बहुतलाभदायक साबित होता है।

मान्यता के अनुसार, 1 से लेकर 35 मुंह तक के रुद्राक्ष उपलब्ध है। विविध कार्यसिद्धि के लिए विभिन्न रुद्राक्ष उपयोग में लाए जाते है। लेकिन गौरी-शंकर नामक संयुक्त रुद्राक्ष, पैंतीस मुखी एवं एकमुखी रुद्राक्ष बहुत कम प्राप्त होते है। पुराना रुद्राक्ष अधिक प्रभावशाली होता है।

रुद्राक्षकेविभिन्न_प्रकार

रुद्राक्ष की अलग-अलग किस्मों के लाभ भी अलग होते है। यहां प्रस्तुत है रुद्राक्ष के प्रमुख प्रकार और उनके फायदे:

1️⃣एकमुखी रुद्राक्ष: यह आंख, नाक, कान और गले की बीमारियों को दूर करने में सहायक होता है।

2️⃣द्विमुखी रुद्राक्ष: यह मस्तिष्क की शांति, धैर्य और सामाजिक प्रतिष्ठा की वृद्धि में सहायक होता है। साथ ही इसे धारण करने से पाचन तंत्र संबंधी समस्याएं भी काफी हद तक दूर हो जाती है।

3️⃣पंचमुखी रुद्राक्ष: यह पंच ब्रह्म तत्व का प्रतीक है। यह युवाओं के जीवन को सही दिशा देता है। इससे धन और मान-सम्मान में वृद्धि होती है और यह उच्च रक्तचाप को भी नियंत्रित करता है।

4️⃣सप्तमुखी रुद्राक्ष: यह भगवान कार्तिकेय का प्रतीक माना जाता है तथा इसे धारण करने से आंखों की दृष्टि में वृद्धि होती है।

▪️आमतौर पर चतुर्मुखी रुद्राक्ष शिक्षा के क्षेत्र में सफलता के लिए, पंचमुखी रुद्राक्ष नित्य जप के लिए, षड्मुखी रुद्राक्ष पुत्र प्राप्ति के लिए, चतुर्दश एवं पंचदशमुखी रुद्राक्ष लक्ष्मी प्राप्ति के लिए तथा इक्कीस मुखी रुद्राक्ष ज्ञान प्राप्ति के लिए धारण करने की प्रथा है।

विज्ञान :

▪️मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष धारण करने से दिल की बीमारी, रक्तचाप एवं घबराहट आदि से मुक्ति मिलती है। रुद्राक्ष के बताए चमत्कारिक गुण वास्तविक हैं या नहीं यह जानने हेतु देश-विदेश मेंकई शोध कार्य किए गए एवं कई गुणों की पुष्टि भी हुई।

▪️सेंट्रल काउंसिल ऑफ आयुर्वेदिक रिसर्च नई दिल्ली में 1966 में आयुर्वेदिक औषधि में प्रकाशित किया गया जिसमें रुद्राक्ष थैरेपी की चर्चा की गई थी। अस्सी के दशक में बनारस के इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने डॉ. एस. राय के नेतृत्व में रुद्राक्ष पर अध्ययन कर इसके विद्युत चुंबकीय, अर्धचुंबकीय तथा औषधीय गुणों को सही पाया।

▪️वैज्ञानिकों ने माना है कि इसकी औषधीय क्षमता विद्युत चुंबकीय प्रभाव से पैदा होती है। रुद्राक्ष के विद्युत चुंबकीय क्षेत्र एवं तेज गति की कंपन आवृत्ति स्पंदन से वैज्ञानिक भी आश्चर्य चकित हैं। इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी फ्लोरिडा के वैज्ञानिक डॉ. डेविड ली ने अनुसंधान कर बताया कि रुद्राक्ष विद्युत ऊर्जा के आवेश को संचित करता है जिससे इसमें चुंबकीय गुण विकसित होताहै। इसे डाय इलेक्ट्रिक प्रापर्टी कहा गया। इसकी प्रकृति इलेक्ट्रोमैग्नेटिक व पैरामैग्नेटिक है एवं इसकी डायनामिक पोलेरिटी विशेषता अद्भुत है।

▪️भारतीय वैज्ञानिक डॉ. एस.के. भट्टाचार्य ने 1975 में रुद्राक्ष के फार्माकोलॉजिकल गुणों का अध्ययन कर बताया कि कीमोफार्माकोलॉजिकल विशेषताओं के कारण यह हृदयरोग, रक्तचाप एवं कोलेस्ट्रॉल स्तर नियंत्रण में प्रभावशाली है। स्नायुतंत्र (नर्वस सिस्टम) पर भी यह प्रभाव डालता है एवं संभवत: न्यूरोट्रांसमीटर्स के प्रवाह को संतुलित करता है।

▪️वैज्ञानिकों द्वारा इसका जैव-रासायनिक (बायो कैमिकल) विश्लेषण कर इसमें कोबाल्ट, जस्ता, निकल, लोहा, मैग्नीज़, फास्फोरस, एल्युमिनियम, कैल्शियम, सोडियम, पोटैशियम, सिलिका एवं गंधक तत्वों की उपस्थिति देखी गई। इन तत्वों की उपस्थिति से घनत्व बढ़ जाता है एवं इसी के फलस्वरूप पानीमें रखने पर यह डूब जाता है।

▪️पानी में डूबने वाले रुद्राक्ष को असली माना जाता है, कुछ लोग यह भी मानते हैं कि दो तांबों के सिक्कों के मध्यरखने पर यदि इसमें कंपन होता है, तो यह असली है। असल में इस कंपन का कारण विद्युत चुंबकीय गुण तथा डायनामिक पोलेरिटी हो सकता है। जैव वैज्ञानिकों ने रुद्राक्ष में जीवाणु (बैक्टीरिया), विषाणु (वायरस), फफूंद(फंगाई) प्रतिरोधी गुणों को पाया है। कुछ कैंसर प्रतिरोधी क्षमता का आकलन भी किया गया है।

▪️चीन में हुए खोज कार्य दर्शाते हैं कि रुद्राक्ष यिन-यांग एनर्जी का संतुलन बनाए रखने में कारगर है। दुनियाभर के वैज्ञानिक रुद्राक्ष के इतने सारे गुणों को एक साथ देखकर आश्चर्यचकित हैं।

      

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