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🙏चरणामृत🙏

चरणामृत कैसे और क्यों बनाया जाता है ?

(इसको बनाने की विधि बताना आज के समय मे सबसे ज्यादा जरुरी है क्योंकि अधिकांश पंडित,आचार्य, पुजारी,महंत और मठाधीश भी आपको इसके बनाने की विधि को नही समझा सकते है मुश्किल से एक दो लोग ही आपको ऐसे मिल पायेंगे जो आपको ये बता सकते है आप चाहे तो अपने आसपास के पुजारियों या आचार्यों से पूछकर देख सकते है)

चरणामृत के वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनो रहस्य:

प्रथम इसको बनाने की विधि:

भगवान विष्णु के शालिग्राम “शिला” पर गर्मी के दिनों में चंदन का लेपन किया जाता है और सर्दी के दिनों में केसर का लेपन किया जाता है और इस लेपन पर तुलसी पत्रों को चढ़ाया जाता है दूसरे दिन सुबह उस लेपन को पानी की सहायता से किसी तांबे बर्तन में उतार लिया जाता है जिससे ताम्रपात्र के औषधीय गुण भी इस चरणामृत में मिल जाते है और इसी पानी मे आवश्यकतानुसार ऊपर से भी तुलसीपत्र मिलाया जाता है इसी को चरणामृत कहा जाता है !!

अब इसका वैज्ञानिक कारण समझना चाहिए

इसके पीछे मुख्य उद्देश्य मानव शरीर को रोग एवं व्याधियों से बचाना है सर्दी के दिनों में “केसर तुलसी युक्त चरणामृत” हमे सर्दी जन्य खांसी,जुकाम, फेफड़ों के संक्रमण आदि रोगों से बचाता है और हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है
इसी तरह गर्मी में यही “चरणामृत चंदन तुलसी युक्त” हो जाता है और गर्मी में होने वाले लू, बुखार,नकसीर,रक्त सम्बंधित आदि रोगों से रक्षा करता है और हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है

इसी कारण प्राचीन समय से ही मन्दिरों में तुलसी चंदन और केसर युक्त चरणामृत देने की परम्परा चली आ रही है !!

अब इसके आध्यात्मिक रहस्यों को जानते है

पाप व्याधियों को दूर करने के लिए विष्णु भगवान के चरणों का अमृत रूपी जल सर्वोत्तम औषधि माना गया है !!

उसमें तुलसी का सम्मिश्रण होना चाहिए और वह जल सरसों का दाना जिसमें डूब सकें इतने प्रमाण में होना चाहिये !!

जैसे औषधि के सेवन से शरीर का रोग नष्ट हो जाता है इसी प्रकार चरणामृत समस्त पापों का नाश करता है और अकाल मृत्यु दूर करता है

तुलसी की गंध वातावरण को पवित्र करती है और सभी प्राणियों में प्राण ऊर्जा का संचार करती है !!

तुलसी के स्पर्श मात्र से कई प्रकार के रोगों का नाश होता है !!

जिस घर मे तुलसी का पौधा लगा होता है उस घर मे आकाशीय बिजली गिरने की संभावना ना के बराबर होती है !!

चरणामृत लेने के नियम: चरणामृत ग्रहण करने के बाद बहुत से लोग सिर पर हाथ फेरते हैं, लेकिन शास्त्रीय मत है कि ऐसा नहीं करना चाहिए। इससे नकारात्मक प्रभाव बढ़ता है। चरणामृत हमेशा दाएं हाथ से लेना चाहिए और श्रद्घाभक्तिपूर्वक मन को शांत रखकर ग्रहण करना चाहिए इससे चरणामृत अधिक लाभप्रद होता है।

जय सनातधर्म 🙏🙏

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