देवी सरस्वती का सिद्ध शाबर मन्त्र🌺
ॐ गुरूजी सरस्वती माई स्वर्ग लोक बैकुंठ से आई।शिवजी बैठे अँगूठे मरोड़।देवी देवता आये तैतीस करोड़।साधु संतों की जो रक्षा करें।दानव दैत्यों का भक्षण करें।शिव शक्ति बिन कोण थी।जिव्हा ज्वाला माई बसे,सरस्वती माई बसे हमेश।भूली वाणी कंठ कराओ गोरी नन्द गणेश।महादेव पुत्र गणेश आया।रिद्धि बुद्धि लाया।अन्न धन से भरे भण्डार।देह कुंची हिंगलाज की।ज्ञान कुंची नव ग्रहों की। कंठ कुंची गुरु गोरक्ष नाथ की।लागी कुंची खुले कपाट।अब देखो ब्रम्हाण्ड का पाट।अक्षय घर का भरे भण्डार।अनन्त कोटि सिद्धों में लौंग,सुपारी-पान,श्रीफल का होवे प्रवान।आगच्छ आगच्छ गोरां पार्वती पुत्र गणेश।ॐ सरस्वती देवी विदमहे ब्रम्हपुत्री धीमही तन्नो आद विद्याय प्रचोदयात।इतना सरस्वती माई जाप सम्पूर्ण भया।शून्य की गादी बैठ राजा भर्तहरि नाथ ने आपो आप सुनाया।श्री नाथजी गुरूजी को आदेश।
देवी सरस्वती का सिद्ध शाबर मन्त्र उन साधकों के लिए दिया गया है जो संस्कृत के जानकर नहीं है और देवी सरस्वती की कृपा चाहते हैं। इस मन्त्र का नित्य एक सो आठ बार जप बड़ा फलदाई होता है।