आचार्य शंकर प्रश्नोत्तरी
विज्ञान्महाविज्ञतमोऽस्ति को वा
नार्या पिशाच्या न च वञ्चितो यः ।
का शृङ्खला प्राणभृतां हि नारी
दिव्यं व्रतं किं च समस्त दैन्यम् ॥
ज्ञातुं न शक्यं हि किमस्ति सर्वै-
र्योषिन्मनो यच्चरितं तदीयम् ।
का दुस्त्यजा सर्वजनैर्दुराशा
विद्याविहीनः पशुरस्ति को वा ॥
वासो न सङ्गः सह कैर्विधेयो
मूर्खैश्च नीचैश्च खलैश्च पापैः ।
मुमुक्षुणा किं त्वरितं विधेयं
सत्सङ्गतिर्निर्ममतेश भक्तिः ॥
प्रश्न – समझदारों में सबसे ज्यादा समझदार कौन है ?
उत्तर – जो (भ्रष्ट)स्त्रीरूप पिशाचिनी से नहीं ठगा गया है ।
प्रश्न – प्राणियों के लिए साँकल क्या है ?
उत्तर – नारी ।
प्रश्न – श्रेष्ठ व्रत क्या है ?
उत्तर – पूर्णरूप से विनयभाव ।
प्रश्न – सब किसी के लिये क्या जानना सम्भव नहीं है ?
उत्तर – स्त्री का मन और उसका चरित्र ।
प्रश्न – सब लोगों के लिए क्या त्यागना अत्यन्त कठिन है ?
उत्तर – बुरी वासना (विषयभोग और पाप की इच्छाएँ)।
प्रश्न – पशु कौन है ?
उत्तर – जो सद्विद्या से रहित (मूर्ख) है ।
प्रश्न – किन-किन के साथ निवास और संग नहीं करना चाहिए ?
उत्तर – मूर्ख, नीच, दुष्ट और पापियों के साथ ।
प्रश्न – मुक्ति चाहने वालों को तुरंत क्या करना चाहिए ?
उत्तर – सत्संग, ममता का त्याग और परमेश्वर की भक्ति ।