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सिमरन और ध्यान कैसे करना चाहिए 👏👏
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कभी रात को नींद खुल जाए तो,
बिस्तर पर पड़े हुए नींद न आने के लिए परेशान मत होओ, इस सुनहरे
मौके को मत गँवाओ, यह तो बड़ी शुभ घड़ी है।

सारा जगत सोया है,
पत्नी-बच्चे, सब सोए हैं, मालिक ने एक मौका दिया है।

आराम से चुपचाप बैठ जाओ
अपने बिस्तर में ही, रात के सन्नाटे में प्यार से पहले सिमरन करो फिर धुन को सुनो; ये बोलते हुए झींगुर, यह रात की ख़ामोशी, सारा सँसार सोया हुआ,
पूरी शांति से बैठ जाओ

यही शाँति तुम्हारे अन्दर भी भर जायेगी ।

तुम्हारे शान्त मन में भी संगीत पैदा कर देगी

जब सारा घर और
सारी दुनिया बेहोशी में सोयी पड़ी हो तो
आधी रात चुपचाप सिमरन में बैठ जाना ही भजन के लिए सबसे शुभ घड़ी के लिए है।

ध्यान हमारी मर्जी से नहीं लगता।

ध्यान तो इतना नाजुक
है। एक पल में कहीं का कहीं पहुँच जाता है

ध्यान एकाग्र करने के लिए जोर जबर्दस्ती की नहीं, प्रेम और भरोसे की ज़रूरत है, धीरज रखो

बहुत धीरे-धीरे, आराम से और प्यार से सिमरन करना चाहिए ।

ध्यान बहुत धीरे धीरे एकाग्र होता है।

यदि एक बार हो जाए तो फिर

फिर चौबीस घंटे में
कभी भी हो सकता है ।

नहीं तो लोग हैं कि रोज पाँच बजे सुबह उठते हैं और बैठ गए ध्यान करने। मग़र काम नहीं बनता

कभी भी
मशीन की तरह जल्दी जल्दी सिमरन नहीं, करना चाहिए
ऐसै ध्यान एकाग्र नहीं होता।..
सिमरन शुरू करने से पहले, सतगुरू की हाज़़िरी महसूस करो
फिर उनके दरबार में अपनी हाज़़िरी लगाओ

सतगुरू के चरणों में यह अरदास करो, सच्चे पातशाह मेरी मदद करो दाता ।

प्रेम से, भक्ति भाव से, सहज भाव से सिमरन शुरू करो, और अपने मन से सिमरन करव़ाओ
हमारी सुरत इसे प्रेम से सुने, तभी तो अन्दर का रूख करेगी, तन और मन सुन्न होंगे.

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