Phone

9140565719

Email

mindfulyogawithmeenu@gmail.com

Opening Hours

Mon - Fri: 7AM - 7PM

पंचक में कौन से काम करना मना हैं ।

पंचक की जानकारी

ज्योतिष में अशुभ समय होने पर शुभ कामों को करने की मनाही होती है। इसी के चलते पंचक के समय हर किसी को शुभ करने से रोका जाता है। देखो-देखी लोग इस बात को अपना तो लेते हैं, परंतु पंचक है क्या और इसे अशुभ क्यों माना जाता है इसके बारे में किसी को नहीं पता। तो आइए आज जानते हैं कि आखिर क्यों पंचक को अशुभ कहा जाता है बता दें कि ज्योतिष में पांच नक्षत्रों के मेल से बनने वाले योग को पंचक कहा जाता है। जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि पर रहता है तो उस समय को पंचक कहा जाता है। ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा एक राशि में लगभग ढाई दिन रहता है इस तरह इन दो राशियों में चंद्रमा पांच दिनों तक भ्रमण करता है। इन पांच दिनों के दौरान चंद्रमा पांच नक्षत्रों धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती से होकर गुजरता है। अतः ये पांच दिन पंचक कहे जाते हैं।

इतना तो सब जानते ही हैं कि हिंदू संस्कृति में प्रत्येक काम को करने से पहले मुहूर्त देखा जाता है, जिसमें पंचक सबसे महत्वपूर्ण है। जब भी कोई काम प्रारंभ किया जाता है तो उसमें शुभ मुहूर्त के साथ पंचक का भी विचार किया जाता है। नक्षत्र चक्र में कुल 27 नक्षत्र होते हैं। इनमें अंतिम के पांच नक्षत्र दूषित माने गए हैं। ये नक्षत्र धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती होते हैं। प्रत्येक नक्षत्र चार चरणों में विभाजित रहता है। पंचक धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण से प्रारंभ होकर रेवती नक्षत्र के अंतिम चरण तक रहता है। हर दिन एक नक्षत्र होता है इस लिहाज से धनिष्ठा से रेवती तक पांच दिन हुए। ये पांच दिन पंचक होता है।

पंचक यानि पांच। माना जाता है कि पंचक के दौरान यदि कोई अशुभ काम हो तो उनकी पांच बार आवृत्ति होती है। इसलिए उसका निवारण करना आवश्यक होता है। पंचक का विचार खासतौर पर किसी की मृत्यु के समय किया जाता है। माना जाता है कि यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक के दौरान हो तो घर-परिवार में पांच लोगों पर मृत्यु के समान संकट रहता है। इसलिए जिस व्यक्ति की मृत्यु पंचक में होती है उसके दाह संस्कार के समय आटे-चावल के पांच पुतले बनाकर साथ में उनका भी दाह कर दिया जाता है। इससे परिवार पर से पंचक दोष समाप्त हो जाता है। शास्त्रों में पंचक के दौरान कुछ कामों को करने की मनाही रहती है। उन्हें भूलकर भी इस दौरान नहीं करना चाहिए।

हर 27 दिन बाद नक्षत्र की पुनरावृत्ति होती है इस लिहाज से पंचक हर 27 दिन बाद आता है।

कोन से काम नहीं करने चाहिए ।

हमारे हिंदू धर्म में हर शुभ काम को करने से पहले ग्रह, नक्षत्र और खासकर के पंचकों का ध्यान भी रखा जाता है। उसके बाद ही कोई धार्मिक कार्य किया जाता है। ज्यादातर लोगों को ग्रहों और नक्षत्रों का तो पता ही होता है लेकिन पंचक के बारे में कोई कोई ही जानता है। ज्योतिष शास्त्रों में इसे अशुभ समय माना गया है। ज्योतिष के अनुसार जब चन्द्रमा कुंभ और मीन राशि पर रहता है, तब उस समय को पंचक कहते हैं। कहा जाता है कि इस दौरान कोई भी शुभ काम नहीं करना चाहिए। आइए जानते हैं कौन से कार्य नहीं करने चाहिए। पंचक के दौरान जिस समय घनिष्ठा नक्षत्र हो उस समय घास, लकड़ी आदि ईंधन एकत्रित नहीं करना चाहिए, इससे अग्नि का भय रहता है।

इस समय दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि दक्षिण दिशा, यम की दिशा मानी गई है। इस समय दक्षिण दिशा की यात्रा करना हानिकारक माना गया है। ज्योतिष की मानें तो पंचक के दौरान जब रेवती नक्षत्र चल रहा हो, उस समय घर की छत नहीं बनवानी चाहिए, इससे धन हानि और घर में क्लेश होता है। पंचक में चारपाई बनवाना भी अशुभ माना जाता है। विद्वानों के अनुसार ऐसा करने से कोई बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। अगर पंचक के दौरान किया की मौत हो जाए तो शव का अंतिम संस्कार नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पंचक में शव का संस्कार करने से उस परिवार में पांच ओर मृत्यु जरुर हो जाती है।

लेकिन किसी कारणवश इस दौरान अगर कोई कार्य पूर्ण करना बहुत ज्यादा जरूरी हो तो कुछ ऐसे भी उपाय है, जिनको अपनाकर व्यक्ति अपना जरूरी कार्य कर सकते हैं। आइए जाने क्या है वो उपाय- पंचक के दिनों में अगर घर की छत डलवाना जरूरी हो तो ऐसे समय में मजदूरों को मिठाई खिलाएं, उसके बाद छत डलवाने का कार्य करें। अगर घर में शादी का शुभ समय आ गया है और समय की कमी है तब लकड़ी का समान खरीदना जरूरी हो तो गायत्री हवन करवा कर लकड़ी का फर्नीचर की खरीदारी कर सकते हैं। पंचक में अगर ईंधन इकट्ठा करना जरूरी हो तो पंचमुखी दीपक (आटे से बना दीया, तेल से भरकर) शिव मंदिर में जलाएं, उसके बाद ईंधन खरीदें। पंचक के दौरान अगर किसी कारणवश दक्षिण दिशा की यात्रा करना ही पड़ें तो हनुमान मंदिर में 5 फल चढ़ाकर यात्रा करें।

गरुड़ पुराण में बताया गया है कि यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक का समय में हो जाती है, तो शव के साथ पांच पुतले आटे या कुश से बनाकर अर्थी पर रखें और इन पांचों के शव का पूरी विधि-विधान से अंतिम संस्कार करने से पंचक दोष समाप्त हो जाता है।

Recommended Articles

Leave A Comment