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अदृश्य शक्ति एवं जगत को समझने का बेहतरीन माध्यम – छठवीं इंद्रिय
Sixth Sense ………….
१. छठवीं इंद्रिय क्या है ?
छठवीं इंद्रिय अथवा सूक्ष्म-स्तरीय अनुभव की क्षमता का अर्थ है, सूक्ष्म आयाम अथवा देवदूत, भूत, स्वर्ग इत्यादि के अदृश्य शक्ति एवं जगत को अनुभूत करने की क्षमता । इसमें बुद्धि से परे अनेक घटनाओं का कार्य-कारण संबंध समझने की क्षमता भी सम्मिलित है । अतींद्रिय शक्ति, सूक्ष्म-दृष्टि, पूर्वसूचना, पूर्वाभास छठवीं इंद्रिय अथवा सूक्ष्म-ज्ञान की क्षमता के ही पर्यायवाची शब्द हैं । इस संपूर्ण जालस्थल पर हम छठवीं इंद्रिय, अतींद्रिय शक्ति और सूक्ष्म ज्ञान की क्षमता जैसे शब्दों का उपयोग एक-दूसरे के स्थान पर करेंगे ।
२. अदृश्य शक्ति एवं जगत को हम कैसे समझ और अनुभव कर सकते हैं?
सूक्ष्म-विश्व अथवा सूक्ष्म आयाम शब्द को उस विश्व के रूप में परिभाषित करता है जो पंच-ज्ञानेंद्रिय, मन और बुद्धि के परे है । सूक्ष्म-विश्व देवदूत, भूत, स्वर्ग इत्यादि के अदृश्य विश्व से संबंधित है, जिसे केवल छठवीं इंद्रिय के माध्यम से ही अनुभव किया जा सकता है ।
हम स्थूल अथवा दृश्य-विश्व को अपनी पंच स्थूल ज्ञानेंद्रिय (जैसे शब्द, स्पर्श, रूप, रस और गंध), अपने मन (अपनी भावनाओं) तथा अपनी बुद्धि से (निर्णय लेने की क्षमता से) अनुभूत करते हैं; परंतु जब सूक्ष्म-विश्व अथवा अदृश्य शक्ति एवं जगत की बात आती है, तो उसे हम पंच सूक्ष्म-ज्ञानेंद्रिय, सूक्ष्म-मन और सूक्ष्म-बुद्धि से अनुभूत कर सकते हैं, जिसे छठवीं इंद्रिय कहते हैं । जब छठवीं इंद्रिय विकसित अथवा कार्यरत होती है, वह सूक्ष्म-विश्व अथवा अदृश्य शक्ति एवं जगत को अनुभूत करने में सहायक होती है । सूक्ष्म-विश्व के इसी अनुभव को आध्यात्मिक अनुभूति कहते हैं ।
चित्र में हमें गुलाबों का गुच्छा सूंघती एक स्त्री दिखाई दे रही है । यह एक अनुभव हुआ क्योंकि सुगंध का एक स्त्रोत अथवा कारण है – गुलाबों का गुच्छा । दूसरे चित्र में हम एक स्त्री को देख रहे हैं, जो अपने दिन का कार्य आरंभ करने जा रही है । अचानक, बिना किसी कारण के उसे चंदन की तीव्र सुगंध आती है । आरंभ में वह विश्वास नहीं करती; क्योंकि सुगंध का कोई स्त्रोत अथवा कारण नहीं है और अपने काम में लग जाती है । परंतु वह सुगंध उसका पीछा करती है और पूरे दिन उसके साथ रहती है । वह लोगों से पूछती है कि क्या उन्हें कोई सुगंध आ रही है, परंतु सभी का उत्तर नहीं होता है । यह एक आध्यात्मिक अनुभूति हुई । इस प्रकरण में उस स्त्री ने सूक्ष्म-आयाम से आती सुगंध अनुभव की और उसे सूक्ष्म घ्राणेंद्रिय के (सूक्ष्म-स्तरीय सूंघने की क्षमता के) माध्यम से अनुभूत किया । पंच-सूक्ष्म ज्ञानेंद्रिय, सूक्ष्म मन और सूक्ष्म बुद्धि द्वारा अनुभूत करने की इसी क्षमता को किसी व्यक्ति की छठवीं इंद्रिय कहते हैं ।
३. अदृश्य शक्ति एवं जगत का पंच सूक्ष्म ज्ञानेंद्रियों द्वारा छठवीं इंद्रिय का अनुभव
संपूर्ण विश्व पंचतत्त्वों से बना है । ये पंचतत्त्व अदृश्य हैं; परंतु चराचर विश्व इन्हीं से बना है । जब हमारी छठवीं इंद्रिय कार्यरत होती है, हमें इन पंचतत्त्वों की अनुभूति स्थूलतम से सूक्ष्मतम इस क्रम में होती है । अतएव हम पंचतत्त्व पृथ्वी, आप, तेज, वायु, आकाश को क्रमश: गंध, रस, रूप, स्पर्श, ध्वनि के माध्यम से अनुभूत कर सकते हैं । यहां दी गर्इ सारणी सकारात्मक एवं नकारात्मक अनुभूतियों के उदाहरण दर्शाती है, जो हमें हमारी छठवीं इंद्रिय से, अर्थात पंच ज्ञानेंद्रियों के माध्यम से मिलती हैं।
जब किसी व्यक्ति को सूक्ष्म घ्राणेंद्रिय के माध्यम से (गंध की) अनुभूति होती है, तो स्त्रोत सकारात्मक उदा. देवता हो सकते हैं अथवा नकारात्मक जैसे अनिष्ट शक्ति हो सकती है ।
४. अदृश्य शक्ति एवं जगत को जानने हेतु छठवीं इंद्रिय कैसे विकसित होती है ?
सूक्ष्म-विश्व सर्वत्र विद्यमान है, परंतु हम उसकी अनुभूति नहीं ले पाते । भले ही हमें उसकी अनुभूति न हो, उसका हमारे जीवन पर बहुत बडा प्रभाव होता है । इस सूक्ष्म-विश्व ( अदृश्य शक्ति) के स्पंदन पकड पाने के लिए, हमारे पास ‘आध्यात्मिक ऐंटीना’ होना चाहिए अर्थात हमारी छठवीं इंद्रिय जागृत होनी चाहिए । जब हम साधना करते हैं, हमारी छठवीं इंद्रिय जागृत होती है । अध्यात्म के छ: मूलभूत सिद्धांतों के अनुसार नियमित साधना करने से हमारा आध्यात्मिक स्तर बढता है और हम अधिक गहराई से अदृश्य शक्ति एवं सूक्ष्म-विश्व को समझकर अनुभव कर सकते हैं ।

    

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