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सागर-भर शुभ मंगल कामनाओ सहित

दोस्तो ,

सफल लोगों को देखकर हम यही सोचते हैं कि वाह क्या जिंदगी है। बेहतरीन, शानदार जिन्दगी है। लेकिन क्या हम कभी यह चिंतन करते हैं कि, उनकी इस सफलता के पीछे कितना संघर्ष है??? कितनी मेहनत है??? कितना अनुशासन है??? क्या हम कभी आत्ममंथन करते हैं कि, हम क्यों नही??? हम इस मुकाम पर क्यों नही??? नहीं, हम ऐसा बिल्कुल नही करते। संघर्ष को कभी नही देखते, देखना भी नही चाहते। यह उनके भाग्य में है कहकर वास्तविकता से बचते हैं। भागते हैं। जबकि हमें वाह क्या जिन्दगी है कि जगह उनके परिश्रम, संघर्ष और अनुशासन को देखना चाहिए, जानना चाहिए और अपने जीवन में भी आत्मसात करना चाहिए।

यदि हमें सफल होना है, एक सार्थक जीवन जीना है, जीवन के किसी भी पहलू में अच्छे परिणाम लाना है तो सबसे पहले हमें अनुशासन को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं साथ अपनी कार्यशैली व आदतों को सुधारें। समस्याओं को भी संभावनाओं के रूप में देखें। अपना ध्यान हमेशा समस्याओं को सुलझाने पर लगाएं। समस्याओं पर शिकायतें करने की जगह हल खोजने पर ध्यान केंद्रित कीजिये। बदलाव से न डरें, जोखिम लेने में सहज रहें। आर्थत सहजता से जोखिम लेना सीखें।

क्रमिक विकास व प्रगति की प्रक्रिया में बने रहने के लिए खुद में निरंतर सुधार और बदलाव करते रहें। किताबें पढ़ें, कुछ नया सीखें। साइंस के मुताबिक दो तरह के लोग होते हैं पहले फिक्स्ड माइंडसेट और दूसरे ग्रोथ माइंडसेट। फिक्स्ड ग्रोथ माइंडसेट के लोग एक फिक्स्ड टारगेट को ही पाने की कोशिश करते हैं। ऐसे लोग स्वयं में सुधार करने की रुचि नही रखते, जिसके कारण वह नई चीजें नहीं सीखते। बदलाव से डरते हैं।

इसके उलट ग्रोथ माइंडसेट के लोग असफल होने पर भी मौके तलाशते हैं और उन पर काम करते हैं। फिक्स्ड माइंडसेट के लोगों को लगता है कि वह अपने गोल तक पहुंच गए हैं और उन्हें इंप्रूवमेंट की जरूरत नहीं है। लेकिन जिनका ग्रोथ माइंडसेट होता है। वे हमेशा सीखने के लिए तैयार रहते हैं। अनवरत नया सीखते हैं। कठिन परिश्रम करते हैं। एक के बाद एक अनेक उपलब्धियां हासिल करते जाते हैं। सफलता हासिल करते हैं। इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज कराते हैं।

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