प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में उन्नति करना चाहता है , धन कमाना चाहता है , अपना मकान अपनी मोटर गाड़ी अपनी सब सुविधाएं प्राप्त करना चाहता है । स्वतंत्रता से सुख पूर्वक जीना चाहता है । इसके लिए वह पुरुषार्थ भी करता है ।
परंतु सब लोगों की बुद्धि योग्यता सामर्थ्य स्मृति संस्कार एक जैसे नहीं होते ।
कुछ लोग पूर्व जन्मों की साधना और संस्कारों के कारण विशेष बुद्धिमान, संस्कारी तथा पुरुषार्थी होते हैं । वे अपने जीवन में अन्यों की तुलना में अधिक उन्नति कर जाते हैं । धन बल विद्या बुद्धि सामर्थ्य आदि खूब बढ़ा लेते हैं ।
कुछ पूर्व जन्मों के कमजोर संस्कार वाले कमजोर कर्मों वाले लोग, इस जीवन में उतना आगे नहीं बढ़ पाते, अधिक धन बल विद्या साधन सुविधाएं नहीं जुटा पाते , और जैसे तैसे अपना जीवन चलाते रहते हैं ।
परंतु समाज में कुछ दयालु लोग भी होते हैं, ईश्वर भक्त होते हैं , परोपकारी होते हैं । वे दूसरों की उन्नति में अपनी उन्नति समझते हैं। इसलिए वे कमजोर वर्ग के लोगों को ऊपर उठाना चाहते हैं , उनकी उन्नति कराना चाहते हैं , उन्हें भी सुख पूर्वक जीने का अधिकार देना चाहते हैं ।
इतना सब होने पर भी समाज में देखा जाता है कि कुछ लोग स्वार्थी लोभी क्रोधी मूर्ख और दुष्ट भी होते हैं । वे दूसरों की उन्नति देख कर जलते हैं , तथा कमजोर व्यक्तियों को देखकर खुश होते हैं । ऐसे लोग दूसरों की उन्नति में बाधक बनते हैं । ऐसे लोग अच्छे नहीं हैं। समाज में वही लोग अच्छे हैं जो दूसरों की उन्नति के लिए सोचते और दिन-रात यथाशक्ति प्रयत्न भी करते हैं । हम सब को भी सब की उन्नति में अपनी उन्नति समझनी चाहिए और यथाशक्ति कमजोर लोगों की सहायता करनी चाहिए
संसार में 24 घंटे चारों तरफ लड़ाई-झगड़ा चलता ही रहता है । इस संसार में पुण्य कर्म कम होते हैं , और पाप अन्याय अधिक । जिस का परिणाम यह होता है कि मनुष्यों की संख्या कम है और दूसरे जीव जंतु मनुष्य से लाखों गुना अधिक हैं। परंतु ईश्वर की इस कर्म फल व्यवस्था को लोग प्रायः ठीक से नहीं समझते । और यह नहीं सोचते कि यदि हम दूसरों पर अन्याय करेंगे, तो ईश्वर हमें दंड देगा। समाज राजा भी दंड दे सकता है । यदि वह दंड नहीं दे पाया , तो ईश्वर तो अवश्य ही दंड देगा। इस बात को लोग नहीं समझते। इसलिए दूसरों पर अन्याय करते रहते हैं ।
अब दूसरी बात – जिस व्यक्ति पर अन्याय होता है , वह यदि बलवान हो , तो अन्यायकारी को पीट देता है , और अपना बदला ले लेता है । यदि अन्याय से ग्रसित व्यक्ति कमजोर हो , तो वह पीट नहीं पाता, बदला नहीं ले पाता , और अंदर ही अंदर जीवन भर दुखी होता रहता है । धीरे-धीरे वह डिप्रेशन में चला जाता है , और बहुत सी हानियाँ उठाता है ।
परंतु कोई कोई बलवान व्यक्ति ऐसा भी होता है , जो अन्यायकारी से बदला ले सकता है, उसकी पिटाई भी कर सकता है अथवा अन्य अन्य प्रकार से उसे हानि पहुंचा सकता है। फिर भी वह ऐसा नहीं करता , और उसे माफ कर देता है । उसे ईश्वर के न्याय पर छोड़ देता है , तथा अपने जीवन को शांत प्रसन्न आनंदित बनाकर जीता है। ऐसा ही व्यक्ति असली बलवान है.