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गर्मी में लू लगने पर उपाय

इसमें शरीर की ऊष्मा नियंत्रण विधि विफल हो जाती है शरीर का तापमान 42 डिग्री सेंटीग्रेट (107डिग्री फारेनहाइट) तक बढ़ जाता है। रोगी की आंखे लाल,सिर चकराना, बेचैनी,सिर दर्द,जी मचलना,बेहोशी,ऐंठन,नाड़ी का गति बढ़ना आदि लक्षण हो जाते है इसके उपाय:-

खुले शरीर धूप में न निकलें। अगर निकलना ही पड़े तो धूप में निकलने पर सिर अवश्य ढंके। आंखों पर सनग्लासेस लगाएं और हो सके तो सफेद या हल्के रंग के कॉटन के कपड़े ही पहनें। 

गर्मी में पोदीने ओर प्याज के खाने में प्रयोग से लू नहीं लगती।

  अचानक ठंडी जगह से एकदम गर्म जगह ना जाएं। खासकर Ac में बैठे रहने के बाद तुरंत धूप में ना निकलें। कच्चा प्याज रोज खाएं। धूप में निकलने पर अपने पॉकेट में छोटा सा प्याज रखें, यह लू शरीर को लगने नहीं देता और सारी गर्मी खुद सोख लेता है। 

 ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। जिससे पसीना आकर शरीर का तापमान नियमित निर्धारित हो सके तथा शरीर में जल की कमी न हो सके। अधिक गर्मी में मौसमी फल, फल का रस, दही, मठ्ठा, जीरा छाछ, जलजीरा, लस्सी, आम का पना पिएं या आम की चटनी खाएं।

  बुखार तेज होने पर रोगी को ठंडी खुली हवा में आराम करवाना चाहिए। 104 डिग्री से अधिक बुखार होने पर बर्फ की पट्टी सिर पर रखना चाहिए। 

भुने हुए प्याज को पीसकर जीरा का चूर्ण ओर मिश्री मिलाकर खाने से लू का प्रकोप खत्म हो जाता है।

  रोगी को तुरंत प्याज का रस शहद में मिलाकर देना चाहिए। रोगी के शरीर को दिन में चार-पांच बार गीले तौलिए से पोंछना चाहिए। चाय-कॉफी आदि गर्म पेय का सेवन अत्यंत कम कर देना चाहिए। 

 प्यास बुझाने के लिए नींबू के रस में मिट्टी के घड़े अथवा सुराही के पानी का सेवन करवाना चाहिए। बर्फ का पानी नहीं पिलाना चाहिए क्योंकि इससे लाभ के बजाए हानि हो सकती है।

  मरीज के तलवे पर कच्ची लौकी घिसें, इससे सारी गर्मी लौकी खींच लेगी और तुरंत राहत मिलेगी। लौकी कुम्हला जाए तो समझें कि लू की गर्मी उतर रही है। यह क्रिया बार-बार दोहराएं।

जौ का आटा व पिसा हुआ प्याज मिलाकर शरीर पर लेप करें तो लू से तुरंत राहत मिलती है। जब रोगी को बाहर ले जाएं, तो उसके कानों में गुलाब जल मिलाकर रूई के फाहे लगाएं। रोगी की नाभि पर खड़ा नमक रखकर उस पर धार बांध कर पानी गिराए। सारी गर्मी झड़ जाएगी। 

कैरी का पना विशेष लाभदायक होता है। कच्चे आम को गरम राख पर मंद आंच वाले अंगारे में भुनें। ठंडा होने पर उसका गूदा (पल्प) निकालकर उसमें पानी मिलाकर मसलना चाहिए। इसमें जीरा, धनिया, शकर, नमक, कालीमिर्च डालकर पना बनाना चाहिए। पने को लू के रोगी को थोड़ी-थोड़ी देर में दिया जाना चाहिए।

रोगी को उल्टियां ओर दस्त होने पर पानीं में नींबू ,नमक ओर शक्कर मिलाकर थोड़ी थोड़ी देर में पिलाना चाहिए।

प्राणायाम
चंद्र भेदी प्राणायाम करना चाहिए।(सिर्फ बाएं नथुने से सांस लेना)

एक्यूप्रेशर
नाक के दोनों छिद्र के ठीक बीच में(अपने होठों के ऊपरी साइड में) अंगुली से दबाब देना चाहिए।

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